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सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (UHC) की पहले से कहीं ज़्यादा ज़रूरत है अब

थाईलैण्ड की राजधानी बैंकॉक में एक प्रयोगशाला में काम करते स्वास्थ्यकर्मी. वायरस क्षेत्र में सहयोग पर आधारित ये विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा समर्थित प्रयोगशाला है.
WHO/P. Phutpheng
थाईलैण्ड की राजधानी बैंकॉक में एक प्रयोगशाला में काम करते स्वास्थ्यकर्मी. वायरस क्षेत्र में सहयोग पर आधारित ये विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा समर्थित प्रयोगशाला है.

सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (UHC) की पहले से कहीं ज़्यादा ज़रूरत है अब

स्वास्थ्य

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने कहा है कि कोविड -19 महामारी ने दिखा दिया है कि स्वास्थ्य प्रणालियाँ काफ़ी नहीं हैं और कमज़ोर बुनियादी ढाँचे और स्वास्थ्य सेवाएँ सभी के लिये समान रूप से उपलब्ध नहीं होना कुछ ऐसे मुख्य कारण हैं कि कोरोनावायरस दस लाख से ज़्यादा लोगों की मौत और उसकी लगभग 30 गुना ज़्यादा संख्या को संक्रमित करने का कारक बना है.

यूएन प्रमुख ने गुरुवार को एक मन्त्रिस्तरीय बैठक को दिये अपने वीडियो सन्देश में स्वास्थ्य सेवाओं में ज़रूरत से बहुत कम संसाधन निवेश होने की निराशाजनक तस्वीर की तरफ़ ध्यान खींचा.

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उन्होंने कहा, “सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (UHC) ना केवल कोविड-19 महामारी को ख़त्म करने के लिये बहुत ज़रूरी है, बल्कि यह स्वास्थ्य सम्बन्धी तमाम टिकाऊ विकास लक्ष्य हासिल करने की दिशा में प्रगति को तेज़ करेगी.”

“कोविड-19 ने सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज को पहले से कहीं ज़्यादा तात्कालिक व अहम बना दिया है.”

उन्होंने याद दिलाते हुए कहा कि यही सिफ़ारिश सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज पर उनके नीति पत्र में भी की गई है जो एक दिन पहले ही जारी किया गया. 

वैश्विक सार्वजनिक भलाई

उस नीति पत्र में पेश सिफ़ारिशों में सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों को मज़बूत करने; महामारी का मुक़ाबला करने के लिये वैश्विक जवाबी कार्रवाई में तालमेल बिठाने; और महामारी के दौरान अन्य स्वास्थ्य सेवाओं को हिफ़ाज़त से मुहैया कराने के लिये दिशा-निर्देश भी शामिल हैं. इनमें मानसिक स्वास्थ्य और यौन व प्रजनन स्वास्थ्य कार्यक्रम भी शामिल हैं.

यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने कहा, “हम असाधारण पहल एसीटी ऐक्सीलरेटर (ACT-Accelerator) के लिये भी वित्तीय योगदान का आहवान करते हैं जिसका मक़सद हर किसी को, हर स्थान पर, कोविड-19 की वैक्सीन, परीक्षण व उपचार की उपलब्धता सुनिश्चित करना है.” 

इस कार्यक्रम को एक “वैश्विक सार्वजनिक अच्छाई” के रूप में देखा जाना चाहिये.

तात्कालिकता, पक्का इरादा और नवाचार

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने दोहराते हुए कहा कि कोविड-19 ने दशकों के दौरान हुई प्रगति को धूमिल कर दिया है जिसमें ये सुनिश्चित करने के प्रयास किये जा रहे थे कि हर एक इनसान, हर एक स्थान पर अपनी ज़रूरत के अनुसार स्वास्थ्य सेवाएँ हासिल कर सकें और इसके लिए उन्हें किसी अतिरिक्त वित्तीय कठिनाई का सामना नहीं करना पड़े.

संगठन का कहना है कि स्वास्थ्य सेवाओं को मज़बूत बनाने के लिये संसाधन निवेश करना ना केवल कोविड-19 महामारी का सामना करने के लिये बहुत अहम है, बल्कि लोगों को भविष्य में स्वास्थ्य जोखिमों से बचाने और सभी इनसानों के लिये अच्छा स्वास्थ्य सुनिश्चित करने के लिये भी ज़रूरी है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक टैड्रॉस ऐडहेनॉम घेबरेयेसस ने कहा कि महामारी ने हमारी दुनिया में मौजूद भू-राजनैतिक ख़ामियों को उजागर कर दिया है. उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि इस साझा वैश्विक संकट का सामना करने के लिये एकजुटता की बहुत सख़्त ज़रूरत है.

उन्होंने वर्चुअल बैठक में कहा कि हम महामारी को सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज हासिल करने के हमारे प्रयासों को पटरी से उतारने की इजाज़त नहीं देंगे, बल्कि इस महामारी से हमें और ज़्यादा तात्कालिकता, दृढ़ संकल्प और नवाचार के साथ आगे बढ़ने का जज़्बा हासिल करना चाहिये.

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी प्रमुख ने देशों को याद दिलाते हुए कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं में संसाधन निवेश करना कोई विकल्प भर नहीं है, बल्कि ऐसा करना एक स्थिर, ख़ुशहाल और शान्तिपूर्ण बुनियादों व अर्थव्यवस्थाओं के लिये बहुत बुनियादी अहमियत वाला रास्ता है.

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि स्वास्थ्य क्षेत्र को बढ़ावा देने और उसकी हिफ़ाज़त सुनिश्चित करने से रोज़गारों, शिक्षा, शान्ति, सततता और बहुत से क्षेत्रों में को बढ़ावा और संरक्षण मिलता है. 

टैड्रॉस ऐडहेनॉम घेबरेयेसस ने कोविड-19 महामारी के कारण उत्पन्न हुए संकट की बात स्वीकार करते हुए कहा कि इस संकट को – सार्वभामिक स्वास्थ्य कवरेज को एक वास्तविकता बनाने के प्रयासों के लिये एक निर्णायक मोड़ के रूप में इस्तेमाल किया जाना चाहिये.

उन्होंने कहा, “आगे बढ़ने का रास्ता केवल मिलजुलकर आगे बढ़ने और एक ज़्यादा स्वस्थ, सुरक्षित और समान दुनिया बनाने के लिये एकजुटता से काम करने पर आधारित है, इसमें इस भावना के साथ काम करने की ज़रूरत है कि ये ज़िन्दगी और मौत का मामला है, क्योंकि ये ऐसा ही मामला है.”