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किर्गिज़स्तान: हिंसक विरोध प्रदर्शनों को विराम देने के लिये सम्वाद का आग्रह

किर्गिज़स्तान की राजधानी बिशकेक में एक ऐतिहासिक इमारत को यूनीसेफ़ की एक मुहिम के तहत रौशन किया गया है.
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किर्गिज़स्तान की राजधानी बिशकेक में एक ऐतिहासिक इमारत को यूनीसेफ़ की एक मुहिम के तहत रौशन किया गया है.

किर्गिज़स्तान: हिंसक विरोध प्रदर्शनों को विराम देने के लिये सम्वाद का आग्रह

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने मंगलवार को कहा है कि वह किर्गिज़ गणराज्य में हालात पर नज़दीकी नज़र रख ररहे हैं जहाँ रविवार को संसदीय चुनावों के बाद विरोध प्रदर्शन भड़क उठे थे. ख़बरों के मुताबिक़ इन प्रदर्शनों में एक व्यक्ति की मौत हो गई और सैकड़ों अन्य घायल हुए हैं. 

संसदीय चुनावों में धाँधली का आरोप लगाते हुए क्रोधित हज़ारों प्रदर्शनकारी विरोध के लिये सड़कों पर एकत्र हुए हैं.

ये प्रदर्शन आम तौर पर शान्तिपूर्ण बताये गए हैं लेकिन हिंसा तब भड़क उठी जब प्रदर्शनकारियों के एक समूह ने सरकारी इमारतों और संसद में जबरन घुसने का प्रयास किया.   

मंगलवार को बड़ी संख्या में राजनैतिक बन्दी रिहा किये गए हैं जिनमें पूर्व राष्ट्रपति भी शामिल हैं जोकि भ्रष्टाचार के मामलों में 11 वर्ष की सज़ा काट रहे हैं. 

मंगलवार को घटनाओं का सिलसिला तेज़ी से आगे बढ़ा और समाचारों के अनुसार किर्गिज़स्तान में अधिकारियों ने चुनाव परिणामों को अमान्य घोषित कर दिया है. 

साथ ही विपक्ष के प्रमुख नेताओं ने साथ मिलकर एक नई सरकार के गठन की योजना घोषित की है. 

चुनावों में अनेक दलों को हिस्सा लेने की अनुमति नहीं मिली थी लेकिन उसमें शिरकत करने वाली चार में से तीन राजनैतिक दलों के वर्तमान राष्ट्रपति सूरोनबे जीनबेकोफ़ के साथ नज़दीकी सम्बन्ध हैं. 

हिंसा से बचने की पुकार

यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने अपने बयान में लोगों के हताहत होने पर अफ़सोस ज़ाहिर करते हुए सभी पक्षों से अधिकतम संयम बरतने और हिंसा से दूर रहने की अपील की है. 

उन्होंने किर्गिज़स्तान के सभी पक्षकारों को सम्वाद में हिंसा लेने और मौजूदा संवैधानिक फ़्रेमवर्क के तहत आगे के रास्ते पर सहमति बनाने के लिये प्रोत्साहित किया है. 

महासचिव गुटेरेश ने भरोसा दिलाया है कि संयुक्त राष्ट्र वर्तमान हालात के शान्तिपूर्वक निपटारे के प्रयासों को हरसम्भव समर्थन देने के लिये तैयार है.

किर्गिज़स्तान उन पाँच मध्य एशियाई देशों में से एक है जिन्होंने पूर्व सोवियत संघ से वर्ष 1991 में स्वतन्त्रता की घोषणा की थी. 

इससे पहले भी वर्ष 2005 और 2010 में विरोध प्रदर्शनों के बाद तत्कालीन सरकारों को सत्ता से बेदख़ल कर दिया गया था.