कोविड-19: ऐहतियाती उपायों से प्रभावित समुद्री नाविकों को राहत पहुँचाने की पुकार

संयुक्त राष्ट्र की संस्थाओं ने वैश्विक महामारी कोविड-19 के कारण लाखों समुद्री नाविकों, चालक दल के सदस्यों व अन्य कर्मचारियों के एक अभूतपूर्व संकट से प्रभावित होने पर चिन्ता ज़ाहिर की है. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (OHCHR), संयुक्त राष्ट्र ग्लोबल कॉम्पैक्ट और व्यवसाय व मानवाधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र के कार्यकारी दल ने मंगलवार को अपने एक साझा बयान में व्यवसाय क्षेत्र और सम्बद्ध पक्षकारों से नाविकों की व्यथा को दूर करने के लिये समुचित कार्रवाई करने का आग्रह किया है.
एक अनुमान के अनुसार यात्रा सम्बन्धी पाबन्दियों के कारण लगभग 4 लाख लोग जहाज़ों में फँसे हुए हैं और क़रीब इतनी ही बड़ी संख्या उन लोगों की है जिन्हें आजीविका या घर वापसी के लिये जहाज़ों पर लौटना है लेकिन उन्हें रोका जा रहा है.
We join the call for governments and businesses to act now to address the crisis affecting some 400.000 people stranded at sea for months because of #COVID19. Such conditions are having a profound negative impact on their basic #HumanRights.Read 👉 https://t.co/jf8CaUR6YE pic.twitter.com/AQKwZlQApK
UNHumanRights
कोविड-19 से बचाव के लिये सरकारों द्वारा लागू किये गए ऐहतियाती उपायों से प्रभावित लोगों को इस पीड़ा से गुज़रने के लिये मजबूर होना पड़ रहा है.
यात्रा पर प्रतिबन्धों, जहाजों पर चढ़ने या उतरने सम्बन्धी पाबन्दियों और यात्रा दस्तावेज़ जारी करने की सेवाएँ स्थगित होने से वैश्विक जहाज़रानी सैक्टर में कार्य करने की परिस्थितियों पर गम्भीर रूप से दबाव बढ़ा है.
इसके परिणामस्वरूप, समुद्री नाविक या तो जहाज़ पर चढ़ने में असक्षम हैं या फिर उन्हें उतरने की अनुमति नहीं मिल पा रही है और वे वहीं फँसे हुए हैं.
अन्तरराष्ट्रीय श्रम मानकों के मुताबिक जहाज़ों पर लगातार काम करने की अवधि 11 महीने निर्धारित है लेकिन कोविड-19 के कारण उन्हें कॉन्ट्रैक्ट में तयशुदा अवधि से कहीं ज़्यादा समय तक रहना पड़ रहा है.
ऐसी ही परिस्थितियों का सामना मत्स्य उद्योग और तटों से दूर बीच समुद्र में कार्यरत लोगों को करना पड़ रहा है.
“इन हालात का समुद्री नाविकों व अन्य कर्मचारियों के शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य के अधिकार, आवाजाही की स्वतन्त्रता के अधिकार और पारिवारिक जीवन के अधिकार सहित अन्य बुनियादी मानवाधिकारों पर गम्भीर असर हुआ है.”
“इससे सुरक्षा व पर्यावरणीय जोखिमों का ख़तरा भी नाटकीय ढँग से बढ़ा है.”
अपने वक्तव्य में तीनों संस्थाओं ने ध्यान दिलाते हुए कहा है कि समुद्री नाविकों के मानवाधिकारों का सम्मान सुनिश्चित करने की ज़िम्मेदारी महज़ जहाज़रानी सैक्टर तक सीमित नहीं है.
व्यवसाय व मानवाधिकार पर यूएन के दिशा-निर्देशक सिद्धान्तों के अनुरूप यह ज़िम्मेदारी उन हज़ारों व्यवसायिक उद्यमों पर भी लागू होती है जो समुद्री मार्ग से मालढुलाई सेवाओं का इस्तेमाल कर रहे है. यह कुल विश्व व्यापार का लगभग 90 फ़ीसदी हिस्सा है.
“सभी सैक्टरों के व्यवसायिक उद्यमों, विशेष रूप से बहुराष्ट्रीय कम्पनियों, वैश्विक ब्रैण्ड और सैक्टर से सम्बद्ध वित्तीय संस्थानों को मूल्याँकन करना चाहिये और कोविड-19 के सन्दर्भ में समुद्री नाविकों के मानवाधिकारों पर कार्रवाई करनी चाहिये, चाहे फिर वे वैल्यू चेन में किसी भी स्थान पर हों.”
यूएन मानवाधिकार कार्यालय, यूएन ग्लोबल कॉम्पैक्ट और यूएन कार्यकारी दल ने कोविड-19 महामारी और और सरकारों की जवाबी कार्रवाई से समुद्री नाविकों के मानवाधिकारों पर हुए असर की गहन समीक्षा करने सहित अन्य क़दम उठाने का आग्रह किया है.
उन्होंने ज़ोर देकर कहा है कि इस असर के दंश को कम करने के लिये हरसम्भव प्रयास किये जाने होंगे.
साथ ही समुद्री नाविकों, कामगार संगठनों, व्यापार संघों, नागरिक समाज और अन्य पक्षकारों के साथ अर्थपूर्ण सम्वाद स्थापित करने का आग्रह किया गया है ताकि प्रासंगिक उपाय व कार्रवाई सुनिश्चित की जा सके.