शहरीकरण की ‘रूपान्तारकारी सम्भावनाओं’ का लाभ उठाने की दरकार

संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष अधिकारियों ने सोमवार, 5 अक्टूबर, को ‘विश्व पर्यावास दिवस’ के अवसर पर निम्न आय वाले परिवारों और कमज़ोर तबके के जनसमूहों को ज़्यादा सुरक्षित व किफ़ायती आवास मुहैया कराने की आवश्यकता पर बल दिया है. उन्होंने कहा है कि ज़रूरतमन्दों के लिये जल, साफ़-सफ़ाई, परिवहन और अन्य बुनियादी सेवाओं तक आसान पहुँच सुनिश्चित की जानी होगी.
यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने अपने सन्देश में स्पष्ट किया कि वैश्विक महामारी कोविड-19 और उसके भीषण असर के मद्देनज़र ऐसा करना और भी ज़्यादा ज़रूरी हो गया है.
1 billion people live in overcrowded settlements with inadequate housing.Action is needed now to provide low-income families & vulnerable populations with affordable housing and easy access to water, sanitation & other basic services.#WorldHabitatDay pic.twitter.com/CmP4gRyOfA
antonioguterres
“इस महामारी की मुख्य जवाबी कार्रवाई स्वच्छ जल और स्वच्छता तक पहुँच के साथ सामाजिक दूरी का बरता जाना है. इसके बावजूद झुग्गियों में ये उपाय लागू करना मुश्किल साबित हुआ है.”
उन्होंने कहा कि इसका अर्थ यह है कि संक्रमण का बढ़ा हुआ ख़तरा, ना सिर्फ़ झुग्गियों में बल्कि पूरी तरह शहरों में भी है, जिनमें से बहुत से शहरों में लोग निम्न आय वाले अनौपचारिक सैक्टर के श्रमिक के रूप में काम करते हैं और अनौपचारिक बस्तियों में रहते हैं.
दुनिया भर में, एक अरब से ज़्यादा लोग भीड़-भाड़ वाली बस्तियों में रहते हैं जहाँ आवास की पर्याप्त सुविधा नहीं है. वर्ष 2030 तक यह संख्या बढ़कर एक अरब 60 करोड़ तक पहुँच जाने की सम्भावना है.
यूएन प्रमुख ने कहा कि बढ़ती आबादी की ज़रूरतों को पूरा करने के लिये हर दिन 96 हज़ार आवासों के निर्माण की ज़रूरत को रेखांकित किया गया है.
इस प्रक्रिया को हरित भविष्य का हिस्सा बनाया जाना होगा जिसके लिये बड़ी साझीदारीयों, निर्धन समुदायों के हित में नीतियों और शहरों में आवास सुविधाएँ बेहतर बनाने के लिये नियामकों की आवश्यकता होगी.
“महामारी पर क़ाबू पाने, इससे उजागर हुई ख़ामियों व विषमताओं को दूर करने और जलवायु परिवर्तन से लड़ाई में हमारे प्रयासों के तहत लोगों व पृथ्वी के लिये शहरीकरण की रूपान्तरकारी सम्भावनाओं का लाभ उठाने का यही समय है.”
‘विश्व पर्यावास दिवस’ हर वर्ष अक्टूबर महीने के पहले सोमवार को मनाया जाता है.
इस दिवस पर विश्व के शहरों व नगरों में हालात और पर्याप्त आवास के अधिकार पर ध्यान केन्दिरत किया जाता है.
वर्ष 2020 में इस दिवस पर टिकाऊ शहरी विकास में आवास की मुख्य भूमिका की ओर ध्यान आकृष्ट किया जा रहा है.
विश्व पर्यावास दिवस की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र जनरल असेम्बली में वर्ष 1985 में प्रस्ताव पारित होने के बाद हुई थी.
संयुक्त राष्ट्र मानव पर्यावास कार्यक्रम (UN-Habitat) के मुताबिक कोविड-19 महामारी के 95 फ़ीसदी मामले शहरी इलाक़ों में सामने आए हैं.
इस महामारी के ख़िलाफ़ लड़ाई में आवासीय व्यवस्था को बेहद अहम कारण बनाया गया है – दुनिया भर में लोगों को घर पर रहने और अपने हाथ धोने के लिये प्रोत्साहित किया जा रहा है.
यूएन-हैबिटैट की कार्यकारी निदेशक मायमूनाह मोहम्मद शरीफ़ ने अपने सन्देश में कहा कि लेकिन एक अरब से ज़्यादा लोगों के लिये ये सरल उपाय अपना पाना असम्भव है.
“हमने अस्पतालों में भीड़ होने, रोज़गार खोने, स्कूलों के बन्द होने और आवाजाही पर पाबन्दी होने को देखा है. लेकिन हम उबर सकते हैं और उबरेंगे, और अपने अनुभवों का इस्तेमाल बेहतर व हरित पुनर्निर्माण में करेंगे.”
उन्होंने कहा कि नगरों और शहरों ने बेघर लोगों को आपास मुहैया कराने, एकान्तवास स्थलों की व्यवस्था करने, लोगों को घरों से निकाले जाने पर रोक लगाने, ट्रकों में पानी मुहैया कराने के लिये तेज़ी से कार्रवाई की गई.
उन्होंने कहा कि इन उपलब्धियों को महामारी के गुज़र जाने के बाद के दौर में भी बरक़रार रखा जाना होगा जिसके अभाव में निर्धनता और विषमताओं के और भी ज़्यादा गहराने का ख़तरा है.