बीजिंग सम्मेलन की 25वीं वर्षगाँठ - महिला अधिकारों के वादों को पूरा करने की पुकार
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने सचेत किया है कि यदि देसों ने कोविड-19 के दुष्प्रभावों से निपटने के लिये अभी कार्रवाई नहीं की तो लैंगिक समानता के मुद्दे पर हुई प्रगति मुश्किल में पड़ जाएगी. यूएन महासचिव ने महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर ऐतिहासिक चौथे विश्व सम्मेलन की 25वीं वर्षगाँठ पर गुरूवार को आयोजित एक उच्चस्तरीय बैठक में सरकारों का आहवान किया कि महामारी पर जवाबी कार्रवाई और पुनर्बहाली प्रक्रिया के केन्द्र में महिलाओं को रखना होगा.
चीन की राजधानी बीजिंग में 25 वर्ष पहले आयोजित इस सम्मेलन के ज़रिये महिलाधिकारों को वैश्विक एजेण्डा में ऊपर रखने के प्रयासों में मदद मिली थी.
साथ ही यह स्पष्ट करने में सफलता मिली थी कि विश्व भर में समानता व न्याय की लड़ाई में आगे बढ़ने के लिये महिलाधिकारों को साकार किया जाना होगा.
As we commemorate the 25-anniversary of the Beijing Declaration for women’s empowerment & #genderequality, let's remember that no country has achieved gender equality. Governments must step up efforts to ensure fulfillment of women’s/girls’ rights! #Beijing25 #GenerationEquality pic.twitter.com/nZKqd4GqBN
UNAIDS
यूएन प्रमुख ने गुरुवार को आयोजित बैठक को सम्बोधित करते हुए कहा कि महिला अधिकार आज भी नकारे जा रहे हैं और महिलाएँ उपेक्षा का शिकार हो रही हैं.
यूएन प्रमुख ने महासभा हॉल में कहा, “कोविड-19 ने महिलाधिकार निरन्तर नकारे जाने की स्थिति को और गहरा करते हुए उसका फ़ायदा उठाया है.”
“महामारी के विकराल सामाजिक व आर्थिक असर को मुख्यत: महिलाओं व लड़कियों को ही भुगतना पड़ रहा है.”
महासचिव ने कहा कि बीजिंग सम्मेलन के 25 वर्ष बाद भी महिलाओं को आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है – अनौपचारिक क्षेत्र में कार्यरत महिलाओं के रोज़गार ख़त्म हो जाने का जोखिम ज़्यादा होता है.
साथ ही लिंग आधारित हिंसा, जल्द शादी कराए जाने के मामलों में बढ़ोत्तरी, घरेलू हिंसा और अन्य दमनकारी प्रथाओं से महिलाओं व लड़कियों पर बुरा असर पड़ रहा है.
“अगर हमने अभी कार्रवाई नहीं की तो कोविड-19 लैंगिक समानता की दिशा में एक पीढ़ी की नाज़ुक प्रगति को बर्बाद कर देगा.”
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि आर्थिक स्फूर्ति व राहत पैकेजों में धनराशि को - नक़दी हस्तान्तरण और क़र्ज़ के ज़रिये महिलाओ तक पहुँचाना होगा.
सरकारों को सामाजिक संरक्षा का दायरा अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में कार्यरत महिलाओं तक बढ़ाना होगा और उनके अवैतनिक देखभाल के काम की अहमियत को समझना होगा.
अपर्याप्त प्रगति
बीजिंग सम्मेलन का समापन एक अभूतपूर्व ‘प्लैटफ़ॉर्म फ़ॉर एक्शन’ के साथ हुआ था जो 12 क्षेत्रों में लिये गए संकल्पों पर आधारित था.
इनमें शक्ति व निर्णय-प्रक्रिया, निर्धनता, महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा, शिक्षा, मानवाधिकार और लड़कियों के साथ भेदभाव सहित चिन्ता के अन्य कारण शामिल थे.
विभिन्न यूएन एजेंसियों के मुताबिक इस सम्मेलन के बाद से लैंगिक समानता के लिये वैश्विक लड़ाई में व्यापक प्रगति हुई है.
वर्ष 1995 में 12 देशों में राष्ट्राध्यक्ष व सरकार प्रमुख महिलाएँ थी, अब यह संख्या बढ़कर 22 हो चुकी है.
मातृत्व मृत्यु दर में 40 फ़ीसदी की कमी आई है, पहले से कहीं बड़ी संख्या में लड़कियाँ अब स्कूल जा रही हैं, और महिलाएँ शान्ति प्रक्रियाओं में अहम भूमिकाएँ निभा रही हैं.
लेकिन महिला सशक्तिकरण से जुड़े मुद्दों के लिये संयुक्त राष्ट्र की संस्था (UN Women) की कार्यकारी निदेशक पुमज़िले म्लाम्बो-न्गुका ने कहा कि प्रगति की रफ़्तार धीमी रही है और यह पर्याप्त भी नहीं है.
महिला नेतृत्व का आहवान
यूएन संस्था की प्रमुख म्लाम्बो-न्गुका ने महामारी के बाद के दौर में बेहतर पुनर्बहाली के लिये महिला नेतृत्व, विशेषत: युवा महिला नेत्रियों को भूमिका दिये जाने की आवश्यकता पर बल दिया है.
बैठक के लिये पहले से रिकॉर्ड किये गए अपने सन्देश में उन्होंने कहा कि दुनिया भर में इन बदलावों की माँग की जा रही है. उन्होंने कहा कि यह समय हालात को बदल कर रख देने वालों का है.
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यूएन एजेंसी की कार्यकारी निदेशक के मुताबिक यह समय महिलाओं व लड़कियों के लिये इतिहास की दिशा बदल देने वाली कार्रवाई का है, विशेष रूप से 25-34 वर्ष की उम्र की महिलाओं के लिये, जो अपने पुरुष समकक्षों की तुलना में, ज़्यादा निर्धनता में रहने के लिये मजबूर हैं.
वर्ष 2020 में वैश्विक महामारी के दौरान संयुक्त राष्ट्र के लिये यह वर्ष एक अहम पड़ाव है - बीजिंग सम्मेलन की ऐतिहासिक वर्षगाँठ के अलावा अक्टूबर में संयुक्त राष्ट्र की स्थापना के 75 वर्ष पूरे हो रहे हैं.
जनवरी 2020 में ही टिकाऊ विकास के 2030 एजेण्डा के तहत कार्रवाई के दशक की शुरुआत हुई है ताकि सर्वजन के लिये एक निष्पक्ष व न्यायसंगत विश्व के निर्माण का वादा पूरा करते हुए पृथ्वी की भी रक्षा की जा सके.
यूएन महिला एजेंसी प्रमुख ने कहा है कि टिकाऊ विकास लक्ष्यों के सन्दर्भ में अब लैंगिक विषमता को क़ायम रहने देने के लिये कोई बहाना नहीं बचा है.
यूएन महासभा के अध्यक्ष वोल्कान बोज़किर ने अपने सम्बोधन में सभी के नाम एक अपील जारी करते हुए कहा है कि महिलाओं व लड़कियों के लिये समान परिस्थितियों का निर्माण सुनिश्चित किया जाना होगा.
महासभा अध्यक्ष ने लड़कियों की शिक्षा, महिलाओं के लिये समान आर्थिक अवसरों को बढ़ावा देने और लिंग आधारित हिंसा के अन्त के लिये मज़बूत संकल्प लिये जाने की पुकार लगाई है.