2020 का नेनसेन शरणार्थी पुरस्कार कोलम्बिया की मानवाधिकार कार्यकर्ता को

कोलम्बिया में शरणार्थियों की भलाई के लिये काम करने और बच्चों व किशोरों को यौन शोषण से बचाने में, दो दशक तक असाधारण काम करने के लिये मेयर्लिन वरगारा पेरेज़ को नेनसेन शरणार्थी पुरस्कार के लिये चुना गया है.
संयुक्त राष्ट्र के शरणार्थी मामलों के प्रमुख फ़िलिपो ग्रैण्डी ने कहा है कि शोषण व तस्करी के शिकार बच्चों को बचाने में दो दशक से अपनी सेवाएँ दे रहीं एक शिक्षक और मानवाधिकार रक्षक मेयर्लिन वरगारा पेरेज़ “हममें सर्वश्रेष्ठ” का प्रतिनिधित्व करती हैं.
🙏 Meet Mayerlin, our inspirational 2020 #NansenAward laureate who made it her life’s mission to rescue girls and boys from sexual exploitation. https://t.co/5VqPpCPeti pic.twitter.com/BkiQLQ75OW
Refugees
मेयर्लिन वरगारा पेरेज़ रिनेसर संस्थान (Renacer Foundation) की कैरीबियाई क्षेत्रीय संयोजक हैं और उन्होंने इस ग़ैर-लाभकारी संगठन के यौन शोषण और बच्चों व किशोरों के साथ दुर्व्यवहार का ख़त्म करने के लक्ष्य को हासिल करने के लिये कड़ी मेहनत की है.
यूएन शरणार्थी उच्चायुक्त फ़िलिपो ग्रैण्डी ने कहा कि दुनिया के बेहद कमज़ोर और नाज़ुक हालात का सामना करने वाले कुछ बच्चों को बचाने और उनकी हिफ़ाज़त करने के लिये मेयर्लिन वरगारा पेरेज़ के जिस साहस और निस्वार्थ लगन का परिचय दिया है, वो वाक़ई अभिवादन के क़ाबिल है.
मेयर्लिन वरगारा पेरेज़, पिछले दो दशकों के दौरान यौन शोषण व तस्करी के शिकार लड़कियों और लड़कों को बचाने और उन्हें सुरक्षा मुहैया कराने की अपनी मुहिम में असाधारण सीमाओं तक चली गई हैं, इस मुहिम में अक्सर उनकी ख़ुद की सुरक्षा को भी ख़तरे पैदा हुए हैं.
उन्होंने कोलम्बिया के उत्तरी हिस्से में सक्रिय मानव तस्करों की सक्रियता वाले इलाक़ों में तलाशी के लिये दूरदराज़ के समुदायों में बारीक़ी से तलाशी और छानबीन के लिये लम्बी यात्राएँ की हैं.
उन्होंने बताया है कि शोषण ने युवाओं के दिमाग़ों पर गहरे घाव छोड़ दिये हैं.
मेयर्लिन वरगारा पेरेज़ ने यौन शोषण व तस्करी से बचाई गई लड़कियों के बारे में कहा, “उनके शरीरों को बुरी तरह झिंझोड़ा गया है, दुर्व्यवहार किया गया है और इस तरह शोषण किया गया है कि वो ख़ुद अपने शरीरों से जुदा महसूस करते हैं, जैसेकि ये शरीर उनके नहीं हैं.”
32 वर्ष पहले स्थापित रिनेसर संस्थान ने लगभग 22 हज़ार बच्चों व किशोरों को व्यापसायिक यौन शोषण के चंगुल से बचाने में मदद की है.
साथ ही, अन्य तरह के यौन शोषण व लैंगिक हिंसा पर आधारित अन्य तरह के शोषण से भी बहुत से पीड़ितों को बचाया है.
वर्ष 2020 का नेनसेन शरणार्थी पुरस्कार विजेता मेयर्लिन वरगारा पेरेज़ इस मुहिम में लगी एक टीम का नेतृत्व करती हैं और उनकी टीम कोलम्बिया सरकार की बाल संरक्षण संस्था – कोलम्बियाई परिवार कल्याम संस्थान के साथ निकट संजोयन में काम करती है.
मेयर्लिन वरगारा पेरेज़ के अथक प्रयासों की बदौलत, वर्ष 2009 में, दो ऐतिहासिक क़ानून वजूद में आए: पहला – बच्चों के यौन शोषण में सहायता करने वालों को 14 वर्ष तक की क़ैद का प्रावधान, और दूसरा – ऐसे परिसरों के मालिकों पर कार्रवाई करना जो अपने यहाँ बच्चों का यौन शोषण होने देते हैं.
संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (यUNHCR) का कहना है कि वैश्विक अनुमानों के अनुसार हर वर्ष लाखों लोगों की तस्करी की जाती है और पीड़ितों में महिलाओं और लड़कियों की संख्या सबसे ज़्यादा होती है.
संघर्षों व टकरावों के कारण तस्करी की गतिविधियाँ बढ़ाने के मामलों में आग में घी काम करते हैं. इनमें बच्चों का सशस्त्र गुटों के सदस्यों के साथ जबरन विवाह कराना और लड़ाई में हिस्सा लेने के लिये बच्चों की जबरन भर्ती करना जैसी गतिविधियाँ शामिल होती हैं.
एक अनुमान के अनुसार, वर्ष 2015 के बाद से, वेनेज़ुएला के लगभग 17 लाख लोगों को पड़ोसी देश कोलम्बिया में पनाह लेनी पड़ी है. इनमें से बहुत से लोग सीमा पर सक्रिय मानव तस्करी के गैंगों, आपराधिक गुटों और अवैध सशस्त्र गुटों की नज़रों में आ जाते हैं.
इसके अलावा, कोविड-19 महामारी का फैलाव रोकने के लिये लागू किये सख़्त उपायों ने बहुत से लोगों को सुरक्षा की तलाश में अनियमित रूप से सीमा पार करने के लिये मजबूर कर दिया है.
यूएन शरणार्थी उच्चायुक्त फ़िलिपो ग्रैण्डी का कहना है, “मानव तस्करी को रोकना और बच्चों को यौन शोषण से बचाना केवल एक क़ानूनी ज़िम्मेदारी ही नहीं है, यह एक नैतिक दायित्व भी है जिसके लिये एकजुट वैश्विक प्रयासों की ज़रूरत है.”
संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (UNHCR) द्वारा हर साल दिया जाने वाला नेनसेन शरणार्थी पुरस्कार जबरन विस्थापित लोगों की सहायता करने के लिये असाधारण कार्यों व प्रयासों को पहचान देने के लिये दिया जाता है.
अभी तक, शरणार्थियों की समर्पित सेवा और जबरन विस्थापित व देश विहान लोगों की मदद के लिये असाधारण कार्य करने के लिये 82 से ज़्यादा व्यक्तियों, समूहों और संगठनों को ये पुरस्कार दिया जा चुका है.