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जैवविविधता शिखर बैठक – ‘भावी पीढ़ियों के फलने-फूलने’ के लिये प्रकृति को स्वस्थ रखना होगा

स्लोवेनिया के जंगल में एक भूरा भालू और उसका बच्चा.
Unsplash/Marco Secchi
स्लोवेनिया के जंगल में एक भूरा भालू और उसका बच्चा.

जैवविविधता शिखर बैठक – ‘भावी पीढ़ियों के फलने-फूलने’ के लिये प्रकृति को स्वस्थ रखना होगा

एसडीजी

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा है कि मानवता प्रकृति के मुक़ाबिल एक युद्ध लड़ रही है जिस पर तत्काल विराम लगाए जाने और पर्यावरण के साथ इनसानों के सम्बन्ध को पुनर्स्थापित किये जाने की आवश्यकता है. बुधवार को जैवविविधता मुद्दे पर आयोजित एक अहम शिखर बैठक में पर्यावरण कार्यकर्ताओं और शीर्ष यूएन अधिकारियों ने टिकाऊ विकास सुनिश्चित करने के लिये जैविक संरक्षण की पुकार लगाई है. 

महासचिव गुटेरेश ने  बैठक को सम्बोधित करते हुए आगाह किया कि वनों की कटाई, जलवायु परिवर्तन और वन्यजीवन का भोजन के रूप में इस्तेमाल किये जाने से पृथ्वी पर जीवन चक्र के समक्ष संकट पैदा हो रहा है. 

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“हम इस नाज़ुक बनावट का हिस्सा हैं – और हमें इसे स्वस्थ रखने की ज़रूरत है ताकि हम और भावी पीढ़ियाँ फल-फूल सकें.”

बुधवार को आयोजित इस शिखर बैठक का उद्देश्य जैविविधता संरक्षण के लिये महत्वाकाँक्षा का दायरा बढ़ाना है. 

यूएन प्रमुख ने ध्यान दिलाते हुए कहा कि बार-बार लिये गए संकल्पों के बावजूद इस वर्ष वैश्विक जैवविविधता लक्ष्यों को हासिल करने में प्रयास पर्याप्त साबित नहीं हुए हैं. 

तीन प्राथमिकताओं का पुलिन्दा

यूएन प्रमुख ने जैविविधता के संरक्षण व टिकाऊ प्रबन्धन के लिये तीन प्राथमिकताओं पर बल दिये जाने का आहवान किया है. 

पहली प्राथमिकता, कोविड-19 से पुनर्बहाली और व्यापक विकास योजनाओं में प्रकृति-आधारित समाधानों को समाहित किया जाना होगा. 

वैश्विक जैवविविधता के संरक्षण के ज़रिये रोज़गार सृजन व उपलब्धता और आर्थिक वृद्धि सुनिश्चित किये जा सकते हैं जिसकी आज सख़्त ज़रूरत है. साथ ही इन उपायों से जलवायु परिवर्तन के ख़िलाफ़ लड़ाई में भी मदद मिलेगी. 

वनों, महासागरों और मज़बूत पारिस्थितिकी तन्त्रों में कार्बन को सोखने की क्षमता है और स्वस्थ्य जलमय भूमि (Wetlands) से बाढ़ का असर कम होता है.

महासचिव गुटेरेश के मुताबिक प्रकृति के साथ समरसता क़ायम करके जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों से बचा जा सकता है जिसमें मानवता और पृथ्वी का ही फ़ायदा है. 

दूसरी प्राथमिकता, आर्थिक प्रणालियों व वित्तीय बाज़ारों को प्रकृति को ध्यान में रखते हुए संरक्षण प्रयासों में संसाधन निवेश करने होंगे. 

महासचिव ने ध्यान दिलाया कि देश अपनी सम्पदा की गणना करते समय उसमें प्राकृतिक संसाधनों को शामिल नहीं करते हैं. मौजूदा व्यवस्था, संरक्षण की बजाय विनाश की ओर झुकी है.

उन्होंने सरकारों का आहवान किया है कि वित्तीय निर्णय लिये जाते समय जैवविविधता सम्बन्धी आवश्यकताओं का भी ख़याल रखा जाना होगा. 

इस सम्बन्ध में प्रकृति-सम्बन्धी वित्तीय प्रकटीकरण पर एक नए कार्यबल से वित्तीय संस्थाओं को विनाशकारी गतिविधियों से हटकर प्रकृति आधारित समाधानों पर ध्यान केन्द्रित करने में मदद मिलेगी.

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और तीसरी प्राथमिकता के रूप में, यूएन प्रमुख ने ऐसी महत्वाकाँक्षी नीतियाँ व लक्ष्य अपनाने का आग्रह किया है जिनसे जैवविविधता की रक्षा की जाएगी और किसी को भी पीछे नहीं छूटने दिया जाएगा. 

प्रकृति से निर्धन समुदायों को व्यवसायिक अवसर हासिल हो सकते हैं – टिकाऊ कृषि से लेकर मछली पालन और पर्यटन तक.

लेकिन इन सम्भावनाओं को पूरा करना जैवविविधता के संरक्षण और उसके टिकाऊ इस्तेमाल पर निर्भर है. 

यूएन प्रमुख ने सदस्य देशों से एक महत्वाकाँक्षी 2020 उपरान्त (Post-2020) जैवविविधता फ़्रेमवर्क पर सहमति बनाने की पुकार लगाई है जिससे टिकाऊ विकास लक्ष्यों को पाने में मदद मिल सके.