सहिष्णुता, सहयोग, समरसता को बढ़ावा देने में भाषा अनुवाद की अहम भूमिका
राष्ट्रों को जोड़ने और शान्ति, आपसी समझ व विकास को प्रोत्साहन देने में भाषा पेशेवरों की भूमिका के प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से बुधवार, 30 सितम्बर को ‘अन्तरराष्ट्रीय अनुवाद दिवस’ मनाया जा रहा है.
बहुभाषावाद संयुक्त राष्ट्र का एक बुनियादी मूल्य है. संयुक्त राष्ट्र की छह आधिकारिक भाषाएँ हैं: अरबी, चीनी, अंग्रेज़ी, फ़्रेंच, रूसी, स्पैनिश.
सार्वभौमिक मानवाधिकार घोषणापत्र 500 से ज़्यादा भाषाओं में अनुवादित किया गया है जो गिनीज़ बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज है.
अनुवाद सेवाओं के ज़रिये बहुपक्षीय कूटनीतिक प्रक्रिया में अपना महत्वपूर्ण योगदान देने वाले संयुक्त राष्ट्र कर्मचारियों ने वैश्विक महामारी कोविड-19 के दौरान भी अपना कामकाज निर्बाध रूप से जारी रखा है.
इससे संगठन के कामकाज में सहिष्णुता को बढ़ावा देते हुए प्रभावी ढँग से सभी की भागीदारी, बेहतर प्रदर्शन व पारदर्शिता को सुनिश्चित करने में मदद मिलती है.
किसी साहित्यिक, कूटनीतिक, तकनीकी या वैज्ञानिक सामग्री का एक भाषा से दूसरी भाषा में पेशेवर और सटीक अनुवाद के लिये भाषाई पकड़, व्याख्या और शब्दावली पर मज़बूत पकड़ होना बेहद अहम है.
इससे भावों के स्पष्ट सम्प्रेषण, अन्तरराष्ट्रीय सार्वजनिक विमर्श व अन्तर्वैयक्तिक संचार (Interpersonal Communication) के लिये सकारात्मक माहौल का निर्माण सुनिश्चित करने में मदद मिलती है.
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने प्रस्ताव 71/288 पारित करके 30 सितम्बर को अन्तरराष्ट्रीय अनुवाद दिवस के रूप में मनाए जाने की घोषणा की थी.
इस दिवस का उद्देश्य राष्ट्रों को एक साथ लाने, पारस्परिक सम्वाद को सम्भव बनाने, आपसी समझ व सहयोग बढ़ाने और विकास, शान्ति व सुरक्षा को मज़बूती प्रदान करने में भाषाई पेशेवरों के कार्य को रेखांकित करना है.
30 सितम्बर को बाइबल के अनुवादक सेण्ट जेरोम की पुण्य तिथि है जिनकी स्मृति में यह अन्तरराष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है.
अनुवादकों के पुरोधा (Patron saint) के रूप में देखे जाने वाले सेण्ट जेरोम को मुख्यत: बाइबिल को ग्रीक पाण्डुलिपि (न्यू टेस्टामैण्ट) से लातिन भाषा में अनुवाद में योगदान के लिये जाना जाता है.
संयुक्त राष्ट्र में किसी सदस्य देश के प्रतिनिधि को किसी भी आधिकारिक यूएन भाषा में बोलने की अनुमति होती है और उनके भाषण या सन्देश की अन्य आधिकारिक भाषाओं में उसी समय व्याख्या की जाती है.
पहचान, संचार, सामाजिक एकीकरण, शिक्षा और विकास की दिशा में प्रयासों के लिये भाषाओं को पृथ्वी व जनसमूहों के लिये रणनीतिक दृष्टि से अहम बताया गया है.
विकास प्रक्रिया, सांस्कृतिक बहुलता, और अन्तर-सांस्कृतिक सम्वाद के साथ-साथ सर्वजन के लिये गुणवत्तापरक शिक्षा और सहयोग को बढ़ावा देने में भाषाओं के योगदान के सम्बन्ध में जागरूकता बढ़ रही है.
इससे समावेशी और ज्ञान आधारित समुदायों का निर्माण करने, सांस्कृतिक विरासत को सहेजने और टिकाऊ विकास के लिये विज्ञान व टैक्नॉलॉजी का लाभ सभी तक पहुँचाने में राजनैतिक इच्छाशक्ति को संगठित करने में मदद मिलती है.