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75वाँ सत्र: द्विपक्षीय सहयोग ही है रोहिंज्या वापसी के मुद्दे का ‘एकमात्र समाधान’ – म्याँमार 

म्याँमार स्टेट काउन्सलर कार्यालय में मन्त्री यू चा टिन्ट स्वे जनरल असेम्बली को सम्बोधित करते हुए.
UN Photo/ Rick Bajornas
म्याँमार स्टेट काउन्सलर कार्यालय में मन्त्री यू चा टिन्ट स्वे जनरल असेम्बली को सम्बोधित करते हुए.

75वाँ सत्र: द्विपक्षीय सहयोग ही है रोहिंज्या वापसी के मुद्दे का ‘एकमात्र समाधान’ – म्याँमार 

यूएन मामले

म्याँमार के स्टेट काउन्सलर कार्यालय में मन्त्री ने कहा है कि बांग्लादेश में शरणार्थी के तौर पर रह रहे रोहिंज्या लोगों की म्याँमार वापसी का मुद्दा प्रभावी ढँग से सुलझाने के लिये दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय सहयोग ही एकमात्र रास्ता है. स्टेट काउन्सलर कार्यालय में मन्त्री ने मंगलवार को यूएन महासभा के 75वें सत्र की जनरल डिबेट को अपने वीडियो सन्देश में कहा कि उनकी सरकार मानवाधिकार उल्लंघन के आरोपों को गम्भीरता से लेती है.  

स्टेट काउन्सलर कार्यालय में मन्त्री यू चा टिन्ट स्वे ने संयुक्त राष्ट्र महासभा की वार्षिक चर्चा को पहले से रिकॉर्ड किये गए वीडियो सन्देश में बांग्लादेश सरकार से सहयोग के लिये ईमानदार राजनैतिक इच्छाशक्ति दर्शाने के लिये आमन्त्रित किया है. 

उन्होंने कहा कि इसके लिये हस्ताक्षरित समझौतों में उल्लिखित शर्तों का कड़ाई से पालन किया जाना होगा. 

“अगर बांग्लादेश द्विपक्षीय प्रक्रिया के लिये संकल्प लेता है तो फिर म्याँमार भी साझीदार बनने के लिये इच्छुक होगा.”

“दबाव की तिकड़में व्यर्थ होंगी. म्याँमार दबाव के परिणामस्वरूप अच्छी प्रतिक्रिया नहीं देता.”

म्याँमार के मन्त्री ने महासभा को बताया कि द्विपक्षीय तौर पर लोगों की वतन वापसी शुरू नहीं हुई है, कॉक्सेस बाज़ार के शिविरों में रहने वाले 350 से ज़्यादा विस्थापित लोग म्याँमार के राख़ीन प्रान्त में अपनी इच्छा से अनाधिकारिक माध्यमों के ज़रिये वापिस लौट चुके हैं.  

वर्ष 2017 में म्याँमार के राख़ीन प्रान्त में हिंसा भड़कने के बाद जान बचाने के लिये बड़ी संख्या में रोहिंज्या समुदाय के लोगों ने भागकर बांग्लादेश में शरण ले ली थी.   

जवाबदेही

मन्त्री यू चा टिन्ट स्वे ने कहा कि म्याँमार सरकार राख़ीन प्रान्त में मानवाधिकारों के उल्लंघन पर चिन्ताओं से सहमति जताते हुए उन्हें गम्भीरता से लेती है. 

उन्होंने ध्यान दिलाते हुए कहा कि म्याँमार की स्टेट काउन्सलर आँग सान सू ची ने दिसम्बर 2019 में अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय में सुनवाई के दौरान कहा था कि अगर युद्धापराध और मानवाधिकार उल्लंघन की घटनाएँ हुई हैं तो उनकी जाँच की जाएगी और म्याँमार की आपराधिक न्याय प्रणाली के तहत कार्रवाई की जाएगी. 

“यह हमारा अधिकार, हमारा दायित्व और हमारा संकल्प है, और यह उन अहम घरेलू प्रक्रियाओ के लिये अहम है जो म्याँमार में संवैधानिक सुधारों और शान्ति से सम्बन्धित हैं.” 

म्याँमार के मन्त्री ने यूएन महासभा को वीडियो सन्देश में आग्रह किया कि एक देश को घरेलू जवाबदेही प्रक्रियाओं के लिये समय, स्थान और सम्मान दिया जाना चाहिये. साथ ही किसी भी प्रकार के पूर्वाग्रहों और छवि ख़राब किये जाने के प्रति सावधानी बरतने की बात कही है. 

उन्होंने स्टेट काउन्सलर आँग सान सू ची के अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय में दिया गया यह सन्देश सामने रखा: “राख़ीन के सन्दर्भ में चरम ध्रुवीकरण की लपटों को भड़काने से... म्याँमार में शान्ति और समरसता के मूल्यों को हानि पहुँच सकती है.” 

“हिंसक टकराव के जख़्मों को कुरेदने से राख़ीन में एकता कमज़ोर हो सकती है. नफ़रत भरे वृतान्त सिर्फ़ नफ़रत भरे सन्देशों तक सीमित नहीं हैं – वो भाषा जो चरम ध्रुवीकरण को बढ़ाती है, वो भी नफ़रत भरे वृतान्त के समान है.”

कोविड-19 का असर 

म्याँमार के मन्त्री के मुताबिक कोविड-19 महामारी ने संसाधन सम्पन्न देशों में भी हालात अस्त-व्यस्त कर दिये हैं, और ऐसे में म्याँमार जैसे एक विकासशील देश के लिये यह एक विकराल चुनौती है. 

उन्होंने कहा कि म्याँमार ने एक राष्ट्रव्यापी कार्रवाई के तहत स्वैच्छिक सेवावाद (Volunteerism) अपनाते हुए स्थानीय लोगों की शक्ति को संगठित किया है जिससे बीमारी के ख़िलाफ़ लड़ाई की भावना को बल मिला है.

उन्होंने कहा कि इन उपायों के ज़रिये वायरस की पहली लहर से मुक़ाबला करने में कामयाबी मिली है लेकिन देश को अब दूसरी लहर का सामना करना पड़ रहा है.

“सरकार कोविड-19 आर्थिक पुनर्बहाली योजना को लागू करके सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा और महामारी के आर्थिक दंश को कम करने के लिये समानान्तर प्रयास कर रही है.” 

“वायरस की आमद के जोखिम के बावजूद, हम अपने उन सभी नागरिकों व प्रवासी श्रमिकों को वापिस ला रहे हैं जिन्हें विदेशों में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है, जहाँ उनकी सामाजिक संरक्षा तक पहुँच नहीं है.” 

मन्त्री यू चा टिन्ट स्वे ने अपने वीडियो सन्देश में आतंकवाद और नफ़रत भरे भाषणों व सन्देशों से उपजते ख़तरों पर भी चिन्ता जताई. 

साथ ही उन्होंने म्याँमार सरकार द्वारा सामाजिक समरसता को बढ़ावा दिये जाने, यौन हिंसा से निपटने और बच्चों के ख़िलाफ़ हिंसा की रोकथाम के प्रयासों को रेखांकित किया.