बन्द करनी होगी भोजन बर्बादी, यूएन महासचिव

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा है कि दुनिया भर में भोजन की बर्बादी और अपशिष्ट कम करने के लिये नए तरीक़े व समाधान अपनाने की सख़्त ज़रूरत है. महासचिव ने मंगलवार, 29 सितम्बर को ये सन्देश भोजन की बर्बादी और अपशिष्ट कम करने के बारे में जागरूकता बढ़ाने वाले प्रथम अन्तरराष्ट्रीय दिवस के मौक़े पर दिया है.
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 2019 में 29 सितम्बर को International Day of Awareness of Food Loss and Waste Reduction यानि भोजन की बर्बादी बन्द करने और अपशिष्ट कम करने के अन्तरराष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाए जाने की घोषणा की थी.
Food loss & waste is an ethical outrage.In a world with enough food to feed all people, everywhere, 690 million people continue to go hungry.Let us work together to reduce food loss & waste for the benefit of people and our planet.https://t.co/S85UPZ6tsD #StopFoodLossWaste pic.twitter.com/Cv4l2GP4Fs
antonioguterres
इस दिवस के ज़रिये खाद्य सुरक्षा और पोषण को बढ़ावा देने, भोजन की बर्बादी रोकने व अपशिष्ट कम करने में टिकाऊ खाद्य उत्पादन की बुनियादी भूमिका को पहचान देने की कोशिश की जाएगी.
इसके अतिरिक्त कोविड-19 महामारी ने खाद्य प्रणालियों की कमज़ारियाँ उजागर कर दी हैं, जिससे अनेक देशों में भोजन की बर्बादी की स्थिति और ज़्यादा ख़राब हो गई है.
महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने भोजन उपलब्धता के क्षेत्र में दरपेश चुनौतियों के समाधान तलाश करने के लिये नई सोच व नए तरीक़े अपनाने की पुकार लगाई है.
उन्होंने कहा, “भोजन की बर्बादी की स्थिति ने एक नैतिक धब्बे का रूप ले लिया है. दुनिया में सभी इनसानों के लिये पर्याप्त भोजन उपलब्ध है, मगर फिर भी लगभग 69 करोड़ लोगों को भरपेट भोजन नहीं मिलता, और लगभग 3 अरब लोग ऐसे हैं जिनके पास अपने लिये स्वस्थ ख़ुराक का प्रबन्ध करने के लिये पर्याप्त साधन उपलब्ध नहीं हैं.”
यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरश ने कहा, “भोजन की बर्बादी होती है तो उसके ज़रिये प्राकृतिक संसाधन भी बर्बाद होते हैं – पानी, मिट्टी और ऊर्जा, और मानव श्रम व समय की तो बात ही अलग है. भोजन की बर्बादी से जलवायु परिवर्तन भी और ज़्यादा ख़राब होता है, क्योंकि ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कृषि क्षेत्र का भी बहुत बड़ा हिस्सा है.”
संयुक्त राष्ट्र के खाद्य व कृषि संगठन (FAO) के अनुसार दुनिया भर में कुल उत्पादित भोजन का लगभग 14 प्रतिशत हिस्सा खेत से दुकान तक आते-आते बर्बाद हो जाता है. उसके बाद दुकान से लेकर मुँह तक पहुँचने के दौरान भी काफ़ी मात्रा में भोजन बर्बाद हो जाता है.
फलों और सब्ज़ियों के मामले में बर्बादी की मात्रा और भी ज़्यादा है और फल व सब्ज़ियों का लगभग 20 फ़ीसदी हिस्सा बर्बाद होता है.
संगठन का कहना है कि जब भोजन की बर्बादी होती है तो भोजन के उत्पादन में लगे तमाम संसाधन भी बर्बाद होते हैं, जिनमें पानी, ज़मीन, ऊर्जा, श्रम और धन शामिल हैं.
इसके अतिरिक्त, बर्बाद हुए भोजन को बड़े-बड़े कूडाघरों (Landfills) में फेंकना पड़ता है जहाँ से बड़ी मात्रा में ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन होता है और इस उत्सर्जन से अन्ततः जलवायु परिवर्तन की स्थिति बिगड़ती है.
भोजन की बर्बादी और उससे पैदा होने वाले कूड़े-कचरे की मात्रा कम करने को टिकाऊ विकास लक्ष्यों में भी प्रमुखता दी गई है, इनमें लक्ष्य संख्या 2 और 12 में भुखमरी दूर करने, और भोजन की बर्बादी व उससे उत्पन्न होने वाले कूड़े को 2030 तक घटाकर आधा करने का आहवान किया गया है.
यूएन महासचिव ने कहा, “वैसे तो बहुत से देश इस बारे में कार्रवाई कर रहे हैं, हम सभी को अपने प्रयास बढ़ाने होंगे.”
उन्होंने कहा कि भोजन की बर्बादी रोकने व उससे उत्पन्न होने वाले कूड़े की बढ़ती मात्रा के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिये अन्तरराष्ट्रीय दिवस ऐसे समय में शुरू किया गया है जब विश्व 2021 के खाद्य व्यवस्था सम्मेलन के लिये तैयारी में जुटा है.
महासचिव ने कहा, “मैं देशों से आग्रह करता हूँ कि वो भोजन की बर्बादी और अपशिष्ट कम करने के बारे में टिकाऊ विकास लक्ष्य -12 में रखे गए लक्ष्य से मेल खाते हुए ही अपने लक्ष्य भी निर्धारित करें."
"इसके लिये साहसिक क़दम उठाने होंगे. इस क्षेत्र में बनने वाली नीतियाँ जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते के तहत बनने वाली योजनाओं का भी हिस्सा होना चाहिये.”
एंतोनियो गुटेरेश ने कहा कि व्यवसायों को भी इसी तरह के क़दम उठाने होंगे. उन्होंने आम लोगों का भी आहवान किया कि वो समझदारी और होशियारी से ख़रीदारी करें, भोज्य पदार्थों का समझदारी से भण्डारण करें और बचे हुए भोजन का भी समझदारी से प्रयोग करें.
यूएन प्रमुख ने कहा, “आइये, हमारे ग्रह पृथ्वी और उस पर बसने वाले इन्सानों की भलाई की ख़ातिर, भोजन बर्बादी व अपशिष्ट कम करने के लिये एकजुट होकर काम करें.”