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75वाँ सत्र: यूएन ढाँचे में सुधार - वक़्त की ज़रूरत, भारतीय प्रधानमन्त्री

भारत के प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने यूएन महासभा के 75वें सत्र को सम्बोधित करते हुए इस विश्व संगठन के ढाँचे में सुधार का आहवान किया. (26 सितम्बर 2020)
UN Photo/Evan Schneider
भारत के प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने यूएन महासभा के 75वें सत्र को सम्बोधित करते हुए इस विश्व संगठन के ढाँचे में सुधार का आहवान किया. (26 सितम्बर 2020)

75वाँ सत्र: यूएन ढाँचे में सुधार - वक़्त की ज़रूरत, भारतीय प्रधानमन्त्री

यूएन मामले

भारत के प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने वैश्विक चुनौतियों और संयुक्त राष्ट्र के ढाँचे व आकार को देखते हुए इस विश्व संगठन में सुधार किया जाना, समय की ज़रूरत बताया है. संयुक्त राष्ट्र महासभा के 75वें सत्र में शनिवार को जनरल डिबेट के लिये दिये अपने वीडियो सन्देश में प्रधानमन्त्री ने कहा कि वैश्विक महामारी कोविड-19 का सामना करने में संयुक्त राष्ट्र की भूमिका उपयुक्त रही है, लेकिन ये भी सवाल दरपेश है कि इस साझा लड़ाई में संयुक्त राष्ट्र कहाँ खड़ा है? उसकी प्रभावी प्रतिक्रिया कहाँ है?

 

प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि दुनिया जब कोरोनावायरस जैसी महामारी से जूझ रही है, ऐसे मुसीबत भरे समय में भी, भारत के औषधि निर्माण उद्योग ने 150 से ज़्यादा देशों को आवश्यक दवाएँ भेजी हैं.

प्रधानमन्त्री ने कहा, "विश्व में सबसे विशाल वैक्सीन उत्पादक देश के रूप में, मैं वैश्विक समुदाय को आज एक और आश्वासन देना चाहता हूँ, और वो है कि भारत की वैक्सीन निर्माण व आपूर्ति क्षमता का इस्तेमाल हर जगह इस संकट का मुक़ाबला कर रही समूची मानवता की मदद करने के लिये किया जाएगा."

उन्होंने कहा, " हम भारत में और, अपने पड़ोस में, फ़ेज़-3 के क्लीनिकल परीक्षण की तरफ़ बढ़ रहे हैं. वैक्सीन की आपूर्ति के लिये शीत स्थानों व भण्डारण क्षमता बढ़ाने में भी, भारत सभी की मदद करेगा."

भारतीयजन की आकाँक्षा

प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि भारत के लोगों में संयुक्त राष्ट्र की इतनी आस्था और सम्मान है, जो शायद कहीं और ना मिले, लेकिन ये भी सच है कि भारत के लोग इस विश्व संस्था में सुधारों की प्रक्रिया पूरी होने का बहुत लम्बे समय से इन्तेज़ार कर रहे हैं.

“अब तो भारत के लोग ये सोचकर चिन्तित भी होने लगे हैं कि क्या संयुक्त राष्ट्र में सुधार प्रक्रिया कभी तार्किक परिणति तक पहुँचेगी भी?”

उन्होंने सवाल उठाते हुए ये भी कहा कि संयुक्त राष्ट्र की निर्णय लेने की प्रक्रिया से कब तक भारत को बाहर रखा जाएगा?

प्रधानमन्त्री ने कहा कि भारत एक अरब 30 करोड़ की आबादी के साथ विश्व में सबसे बड़े लोकतन्त्र वाला देश है.  

“दुनिया की लगभग 18 प्रतिशत आबादी भारत में बसती है, ये एक ऐसा देश है जहाँ सैकड़ों भाषाएँ व सैकड़ों बोलियाँ बोली जाती हैं, जहाँ बहुत से सम्प्रदाय हैं और बहुत सी विचारधाराएँ हैं.”

भारत एक ऐसा देश है जिसकी अर्थव्यवस्था सदियों तक विश्व में अग्रणी रही है और ये एक ऐसा देश भी है जिसने विदेशी शासन के सैकड़ों साल देखे.

ताक़त व कमज़ोरी

भारत के प्रधानमन्त्री ने कहा, "जब हम ताक़तवर थे, तो कभी भी दुनिया के लिये कोई ख़तरा नहीं रहे, जब हम कमज़ोर रहे, तो हम दुनिया पर कभी भी बोझ नहीं बने."

"किसी देश को और कितनी लम्बी प्रतीक्षा करनी पड़ेगी, ख़ासतौर से तब, जब उस देश में हो रहे बदलावों से विश्व का एक बड़ा हिस्सा प्रभावित होता है."

उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र जिन आदर्शों पर स्थापित हुआ था, उनमें और ख़ुद भारत के बुनियादी दर्शन में बहुत समानता है. वो एक दूसरे से अलग नहीं हैं. संयुक्त राष्ट्र के सभागारों और गलियारों में अक्सर ये बात सुनी गई है कि “विश्व एक वृहद परिवार है.”

“हम पूरे विश्व को एक परिवार मानते हैं. ये हमारी संस्कृति, हमारे संस्कार और हमारी सोच का हिस्सा है.”

उन्होंने कहा कि भारत ने संयुक्त राष्ट्र के भीतर हमेशा ही समूची दुनिया की भलाई को प्राथमिकता पर रखा है.

भारत एक ऐसा देश है जो विश्व में शान्ति रखने के लिये दुनिया भर में लगभग 50 शान्तिरक्षा अभियानों में अपने वीर सैनिक मुहैया कराता है. शान्ति क़ायम रखने की इस मुहिम में भारत ने सबसे ज़्यादा सैनिकों का बलिदान दिया है.

नरेन्द्र मोदी ने कहा कि आज तमाम भारतीय नागरिक, संयुक्त राष्ट्र में देश के योगदान को देखते हुए, इस विश्व संगठन में देश की बढ़ी हुई भूमिका देखने के आकाँक्षी हैं.

सुरक्षा परिषद की सदस्यता

प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने ध्यान दिलाते हुए कहा कि भारत जनवरी 2021 में दो वर्ष के लिये संयुक्त राष्ट्र परिषद की अस्थाई सदस्यता शुरू करने के साथ अपनी ज़िम्मेदारी निभाएगा.

उन्होंने इस सदस्यता के लिये भारत के प्रति विश्वास जताने वाले सदस्यों का शुक्रिया अदा किया.

उन्होंने कहा कि भारत सदैव शान्ति, सुरक्षा और ख़ुशहाली के समर्थन में खड़ा रहेगा. “भारत मानवता, मानव जाति और मानव मूल्यों के दुश्मनों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने में कभी नहीं हिचकेगा, इनमें आतंकवाद, अवैध हथियारों, मादक पदार्थों की तस्करी और हवाला (धन का अवैध प्रबन्धन) भी शामिल हैं.

प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि भारत विश्व से सीखना चाहता है और अपना अनुभव भी विश्व के साथ बाँटना चाहता है.

उन्होंने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र अपनी स्थापना के 75वें वर्ष में अपनी प्रासंगिकता बनाए रखेगा क्योंकि “संयुक्त राष्ट्र में स्थिरता और संयुक्त राष्ट्र का सशक्तिकरण पूरी दुनिया की भलाई के लिये आवश्यक हैं.”

प्रधानमन्त्री के इस भाषण का अंग्रेज़ी प्रारूप यहाँ उपलब्ध है

भारत के प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी का यूएन की 75वीं वर्षगाँठ के अवसर पर दिया गया वीडियो सन्देश देखें...