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75वाँ सत्र: महमूद अब्बास का सवाल, न्यायसंगत समाधान के लिये ‘हमें कब तक इन्तज़ार करना होगा’

फ़लस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास महासभा के 75वें सत्र को सम्बोधित करते हुए.
UN Photo/Evan Schneider
फ़लस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास महासभा के 75वें सत्र को सम्बोधित करते हुए.

75वाँ सत्र: महमूद अब्बास का सवाल, न्यायसंगत समाधान के लिये ‘हमें कब तक इन्तज़ार करना होगा’

यूएन मामले

फ़लस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने संयुक्त राष्ट्र जनरल असेम्बली के 75वें सत्र को सम्बोधित करते हुए फ़लस्तीनियों द्वारा हर दिन झेले जा रहे कष्टों और कठिनाइयों पर दुनिया का ध्यान आकृष्ट किया है. उन्होंने कहा कि रोज़मर्रा के जीवन में फ़लस्तीनी जनता विपत्तियों का सामना करती है और दुनिया बस मूकदर्शक बन कर देखती है.  

राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने पहले से रिकॉर्ड किये गए अपने वीडियो सन्देश में विश्व नेताओं के समक्ष अपनी बात रखते हुए सवाल उठाया, “आख़िर कब तक हमें फ़लस्तीनी मुद्दे के न्यायसंगत समाधान का इन्तज़ार करना होगा, एक ऐसा समाधान जिसकी अन्तरराष्ट्रीय क़ानून में गारण्टी हो?”

“आख़िर कब तक फ़लस्तीनी लोग इसराइली क़ब्ज़े के आधीन होकर मुरझाते रहेंगे, हम कब तक इन्तज़ार करेंगे जब तक लाखों फ़लस्तीनी शरणार्थियों के दर्जे का न्यायोचित हल हो?”

राष्ट्रपति अब्बास ने कहा कि फ़लस्तीनी लोग अपने पुरखों की भूमि पर छह हज़ार साल से रहते आए हैं, वे इस भूमि पर आगे भी बने रहेंगे, और क़ब्ज़े, आक्रामकता व विश्वासघात का सामना करेंगे. तब तक जब तक उन्हें अपने अधिकार हासिल नहीं हो जाते. 

उन्होंने पुरज़ोर ढँग से कहा, “तमाम मुश्किलों और अन्यायपूर्ण नाकेबन्दी के बावजूद... हम नहीं झुकेंगे, हम आत्मसमर्पण नहीं करेंगे, हम हार नहीं करेंगे... और हम विजयी होंगे.”

उन्होंने कहा कि वर्ष 1917 से अब तक ऐतिहासिक अन्यायों के बावजूद फ़लस्तीनियों ने अन्तरराष्ट्रीय क़ानून और संयुक्त राष्ट्र प्रस्तावों को स्वीकार किया है. लेकिन फिर भी, इसराइल अमेरिका सरकार की मदद से न्यायोचित समाधान के लिये आधार को अमेरिका के तथाकथित ‘सदी के समझौते’ से बदल देना चाहता है. 

फ़लस्तीनी नेता ने कहा कि वो इस समझौते को ख़ारिज करते हैं, जैसाकि अन्तरराष्ट्रीय समुदाय ने भी किया है, क्योंकि इससे अन्तरराष्ट्रीय क़ानूनों व यूएन प्रस्तावों की अवहेलना होती है. 

महमूद अब्बास ने कहा कि उन्होंने अपना पूरा जीवन शान्ति की चाह में लगा दिया है और वह अरब शान्ति पहल के लिये भी समर्पित रहे हैं, लेकिन इसके बदले इसराइल ने सभी समझौतों का उल्लंघन किया है. 

उनके मुताबिक इसराइल ने दमनपूर्वक लोगों को हताहत करने, गिरफ़्तार करने, घर ढहाने, अर्थव्यवस्था का गला घोंटने और क़ब्ज़ा किये हुए येरुशलम का चरित्र व उसकी पहचान बदलने, और हमारी भूमि पर बस्तियाँ बसाने का काम किया है.

राष्ट्रपति अब्बास ने संयुक्त अरब अमीरात और बहरीन के साथ इसराइल द्वारा रिश्तों की पुनर्बहाली को अरब शान्ति पहल का उल्लंघन क़रार दिया है और कहा कि फ़लस्तीनी जनता की ओर से बात करने या सुलह समझौते का अधिकार फ़लस्तीनी मुक्ति संगठन ने किसी को नहीं दिया है. 

फ़लस्तीनी नेता ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव, अन्तरराष्ट्रीय चौकड़ी (योरोपीय संघ, रूस, यूएन, अमेरिका) और सुरक्षा परिषद से अगले वर्ष एक अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित करने का आग्रह किया है. 

उनके मुताबिक इस बैठक का उद्देश्य अन्तरराष्ट्रीय क़ानूनों के मुताबिक वास्तविक शान्ति प्रक्रिया को आगे बढ़ाना होगा ताकि फ़लस्तीनियों को आज़ादी हासिल हो सके और उनके दर्जे से जुड़े मुद्दों का हल निकाला जा सके. 

राष्ट्रपति अब्बास ने भरोसा दिलाया कि संसदीय और राष्ट्रपति पद के चुनावों को सभी की सहभागिता से आयोजित किया जायेगा और संस्थाओं के निर्माण के कार्य को जारी रखा जायेगा. 

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि फ़लस्तीनी मुद्दे का हल निकाले बग़ैर क्षेत्र में शान्ति व स्थिरता हासिल करने की उम्मीद नहीं की जा सकती.