समुद्री नाविकों को महामारी के दौरान 'अहम कामगार' घोषित करने की अपील

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने देशों की सरकारों से एक बार फिर अपील की है कि वो उन सैकड़ों-हज़ारों नाविकों और अन्य समुद्री कामगारों की मदद के लिये काम करें जो कोविड-19 महामारी के कारण महीनों से समुद्रों में फँसे हुए हैं. कुछ मामलों तो इन लोगों को समुद्रों में फँसे हुए साल भर से भी ज़्यादा हो गया है.
महासचिव ने गुरूवार को सरकारों से ज़ोर देकर कहा कि इन नाविकों व अन्य समुद्री कामगारों को औपचारिक रूप से Key Workers यानि “अति महत्वपूर्ण कामगार” घोषित किया जाए जिससे उनकी सुरक्षित बदली हो सके और थकान का शिकार हुए नाविकों के बदले अन्य सहयोगी पहुँच सकें जो अपनी बारी का इन्तज़ार कर रहे हैं.
महासचिव ने 24 सितम्बर को विश्व समुद्रीजीवन दिवस के अवसर पर अपने सन्देश में कहा, “कोविड-19 महामारी के कारण उत्पन्न हुई अत्यधिक कठिन परिस्थितियों के बावजद, इन नाविकों ने ज़रूरी चीज़ों और सेवाओं की आपूर्ति को बरक़रार रखने में असाधारण योगदान किया है, ये वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला अक्सर नज़र नहीं आती है.”
इस वर्ष, इस दिवस की थीम टिकाऊ पृथ्वी के लिये टिकाऊ जहाज़रानी है जिसमें इस विषय पर ख़ास ध्यान आकर्षित किया गया है कि महामारी के बाद की दुनिया में आर्थिक पुनर्बहाली और भविष्य की आर्थिक प्रगति में, ये उद्योग किस तरह से केन्द्रीय भूमिका निभाएगा.
महासचिव ने ध्यान दिलाते हुए कहा कि कोविड-19 महामारी ने दुनिया के व्यापार बेड़े में काम करने वाले 10 लाख से भी ज़्यादा पुरुषों और महिलाओं के पेशेवराना कठिन परिश्रम, बलिदान भावना को जगज़ाहिर किया है.
समुद्री नाविक जहाज़ परिवहन में बहुत अहम भूमिका निभाते हैं जिसके ज़रिये दुनिया भर का 80 प्रतिशत व्यापार किया जाता है. इसमें खाद्य सामग्री, बुनियादी ज़रूरतों का सामान और महामारी के दौरान अति महत्वपूर्ण चिकित्सा सामान की आपूर्ति शामिल हैं.
संयुक्त राष्ट्र और उसके साझीदारों का अनुमान है कि कम नज़र आने वाले इस कार्यबल के लगभग तीन लाख सदस्य, इस समय कोविड-19 का फैलाव रोकने के लिये लगाई गईं यात्रा पाबन्दियों, देशों की सीमाएँ बन्द किये जाने और अन्य उपायों के कारण समुद्रों में फँसे हुए हैं.
संयुक्त राष्ट्र और उसके साझीदारों का कहना है कि ये स्थिति अब एक मानवीय संकट, सुरक्षा आपदा और आर्थिक संकट में तब्दील होने लगी है.
जब कोविड-19 महामारी फैलनी शुरू हुई तो कैप्टन हेदी मरज़ूगुई दूरस्थ पूर्व में एक व्यापारी जहाज़ की कमान संभाले हुए थे. जहाज़ पर जीवन एकदम से बहुत कठिन हो गया.
चालक दल के सदस्यों की बदली, जहाज़ छोड़कर ज़मीनी दुनिया में जाकर छुट्टियाँ बिताने और चिकित्सा छुट्टियों सभी स्थगित कर दिये गए, यहाँ तक कि जहाज़ों के लिये ज़रूरी सामान की आपूर्ति व तकनीकी सहायता हासिल करना भी बहुत मुश्किल हो गया.
विश्व समुद्री जीवन दिवस के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि बन्दरगाहों वाले देशों में नियम व क़ानून, अगर हर घण्टे नहीं तो, हर दिन बदलने लगे.
"मेरी टीम के चालक दल के सदस्यों में भारी दबाव के संकेत लगभग तुरन्त नज़र आने लगे."
ये कार्यक्रम यूएन महासभा के वार्षिक सत्र के दौरान ही आयोजित किया गया.
उनका कहना था, “जब हमें ये असुरक्षा सताने लगी कि हम कब अपने घरों को लौटेंगे, या कभी लौटेंगे भी नहीं, हम सभी एक गम्भीर मानसिक दबाव के नीचे दबने लगे. हमें लगा कि हमें दूसरे दर्जे का नागरिक समझा जाने लगा है, जिनका अपने जीवन पर कोई नियन्त्रण नहीं है."
"हालाँकि, इन अत्यन्त कठिन परिस्थितियों के बावजूद, जीवन को आगे बढ़ना ही है.”
कुछ समुद्री नाविकों के लिये तो इस संकट का कोई अन्त ही नज़र नहीं आ रहा.
यूएन महासचिव ने ध्यान दिलाया कि कुछ नाविकों की ड्यूटी तो 17 महीने से जारी है, जोकि अन्तरराष्ट्रीय मानकों से कहीं बहुत ज़्यादा है.
एंतोनियो गुटेरेश ने सरकारों से समुद्री नाविकों को अति महत्वपूर्ण कामगार घोषित करने की अपील के साथ-साथ, सरकारों से यूएन एजेंसियों द्वारा तैयार किये गए प्रोटोकॉल लागू करना की भी पुकार लगाई.
उन्होंने इन प्रयासों में अन्तरराष्ट्रीय जहाज़रानी चैम्बर और अन्तरराष्ट्रीय परिवहन कामगार महासंघ के साथ मिलकर काम करने का भी अनुरोध किया जो चालक दल के सदस्यों की बदली कराने में मदद कर सकते हैं.
इन प्रोटोकॉल में ये भी पुकार लगाई गई है कि 11 महीने से आगे कोई भी ड्यूटी नहीं बढ़ाई जानी चाहिये, साथ ही जहाज़ों को ऐसे बन्दरगाहों की तरफ़ मोड़ा जाए जहाँ पर चालक दल के सदस्यों की बदली हो सके, और अन्तरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त नाविकों के दस्तावेज़ों को मान्यता दी जाए.
अन्तरराष्ट्रीय समुद्री जीवन संगठन (IMO) के महासचिव और पूर्व समुद्री नाविक किटैक लिम ने ज़ोर देकर कहा कि ठोस कार्रवाई की तत्काल ज़रूरत है. “हम सभी समुद्री नाविकों पर निर्भर हैं. उन्हें कोविड-19 महामारी की दया पर नहीं छोड़ा जा सकता.”