75वाँ सत्र: अफ़ग़ान राष्ट्रपति ने पेश की यूएन मूल्यों को आगे बढ़ाने की ‘सुस्पष्ट योजना’

अफ़ग़ानिस्तान के राष्ट्रपति मोहम्मद अशरफ़ ग़नी जनरल असेम्बली के 75वें सत्र को सम्बोधित करते हुए.
UN Photo/ Rick Bajornas
अफ़ग़ानिस्तान के राष्ट्रपति मोहम्मद अशरफ़ ग़नी जनरल असेम्बली के 75वें सत्र को सम्बोधित करते हुए.

75वाँ सत्र: अफ़ग़ान राष्ट्रपति ने पेश की यूएन मूल्यों को आगे बढ़ाने की ‘सुस्पष्ट योजना’

यूएन मामले

अफ़ग़ानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ़ ग़नी ने बुधवार को यूएन महासभा के 75वें सत्र को अपने सम्बोधन में कहा कि उनका देश अगले पाँच सालों के लिये संयुक्त राष्ट्र के मूल्यों को आगे बढ़ाने के लिये एक सुस्पष्ट योजना के साथ आगे बढ़ रहा है जो देश के संविधान में भी निहित हैं.

उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भरता के लक्ष्य के तहत दानदाताओं के साथ सम्बन्धों से परे जाकर पारस्परिक लाभ को बढ़ावा देने वाली साझीदारियाँ अपनाई जाएँगी. 

“लोकतान्त्रिक रूप से स्थिर और समृद्ध अफ़ग़ानिस्तान एक उदाहरण होगा कि किस तरह हम सामूहिक इच्छाशक्ति से उस उथल-पुथल और अनिश्चितता पर कामयाबी पा सकते हैं जो हमारी दुनिया को निर्धारित करती है.” 

ग़ौरतलब है कि महासभा का ऐतिहासिक सत्र कोविड-19 के ऐहतियाती उपायों के मद्देनज़र इस वर्ष वर्चुअली आयोजित किया जा रहा है. 

पाँच प्रमुख चुनौतियाँ

राष्ट्रपति ग़नी ने महासभा की जनरल डिबेट के वार्षिक सत्र के लिये पहले से रिकॉर्ड किये गए अपने वीडियो सन्देश में कहा कि दुनिया में विकट हालात के लिये पाँच मूल स्रोत ज़िम्मेदार हैं जिनका अफ़ग़ानिस्तान भी सामना कर रहा है. 

- कोविड-19 महामारी

- चौथी औद्योगिक क्रान्ति (डिजिटल युग)

- वैश्विक आतंकवाद की पाँचवी लहर

- जलवायु परिवर्तन

- विषमता का विस्फोट

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि कोविड-19 महामारी ने हमारी निर्बलताओं को इस क़दर उजागर कर दिया है कि वैश्विक समुदाय के रूप में हम उन्हें और ज़्यादा नज़रअन्दाज़ करने का जोखिम मोल नहीं ले सकते. 

राष्ट्रपति ग़नी के मुताबिक अफ़ग़ानिस्तान में सरकार, व्यवसाय और समाज में नज़दीकी सहयोग की मदद से महामारी की पहली लहर पर क़ाबू पाने में मदद मिली है.

लेकिन उन्होंने माना कि इस संकट ने “हमारी प्रणालियों की कमियों को उजागर किया है जिन्हें हमें दूर करना होगा” और कि इसके लिये अभूतपूर्व कार्रवाई की आवश्यकता होगी. 

अफ़ग़ान राष्ट्रपति ने बताया कि चौथी औद्योगिक क्रान्ति विषमता और बेरोज़गारी बढ़ाने का एक और वाहक है इसलिये उन्होंने इस सम्बन्ध में समय से पहले सोचे जाने की अहमियत को रेखांकित किया है. 

तालेबान के साथ वार्ता 'अपर्याप्त'

राष्ट्रपति ग़नी ने हिंसा और युद्धक कार्रवाई का ज़िक्र करते हुए उसे अफ़ग़ानिस्तान के लिये अशान्ति का एक और स्रोत बताया. “हम वैश्विक आतंकवाद की पाँचवी लहर को झेलते हुए जी रहे हैं, और मौत का सामना कर रहे हैं.”

हाल के दिनों में अफ़ग़ानिस्तान ने तालिबान के साथ सीधी वार्ता शुरू की है लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया कि “यह पर्याप्त नहीं होगी... हमें आतंकवाद की समस्या की जड़ तक पहुँचना होगा जो हमारे क्षेत्र के लिये अभिशाप है और उसे एक वैश्विक समस्या व ख़तरे के रूप में निपटना होगा.”

राष्ट्रपति ग़नी ने जलवायु परिवर्तन को एक अन्य प्रकार की हिंसा और पीड़ा का रूप बताया और ध्यान दिलाया कि विश्व में सबसे ज़्यादा प्रभावित देशों की सूची में अफ़ग़ानिस्तान का 17वाँ स्थान है.  

“सूखा और बाढ़ अफ़ग़ानिस्तान में हर मौसम की बात हो गई है... हमें जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिये अन्तरराष्ट्रीय मानकों पर आधारित क्षेत्रीय समाधान की आवश्यकता है.”

अफ़ग़ान राष्ट्रपति ने पाँचवी चुनौती के लिये विषमता के विस्फोट का ज़िक्र किया जिसे उन्होंने पहले चार कारणों की परिणति बताया. 

उन्होंने चेतावनी जारी करते हुए कहा कि अगर जल्द प्रभावी कार्रवाई नहीं की गई तो उथलपुथल भरे हालात लम्बे समय तक जारी रह सकते हैं.