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कोविड-19: देशों से भ्रामक सूचनाओं की बाढ़ पर रोक लगाने की पुकार

एक व्यक्ति अपने लैपटॉप पर सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रहा है.
World Bank/Simone D. McCourtie
एक व्यक्ति अपने लैपटॉप पर सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रहा है.

कोविड-19: देशों से भ्रामक सूचनाओं की बाढ़ पर रोक लगाने की पुकार

स्वास्थ्य

संयुक्त राष्ट्र और उसके साझीदार संगठनों ने सभी देशों से भ्रामक सूचनाओं की भरमार (Infodemic) पर अंकुश लगाने आग्रह किया है. यूएन एजेंसियों ने आगाह किया है कि वैश्विक महामारी कोविड-19 के दौरान वास्तविक और वर्चुअल/ऑनलाइन दुनिया में ग़लत जानकारियों की भरमार हो गई है. 

इतिहास में यह पहली ऐसी विश्वव्यापी महामारी है जिसमें एक ओर लोगों तक ज़रूरी सूचनाएँ पहुँचाने व उन्हें जोड़े रखने में टैक्नॉलॉजी व सोशल मीडिया से मदद मिल रही है लेकिन दूसरी तरफ़ महामारी से निपटने और उस पर क़ाबू पाने के उपाय कमज़ोर भी पड़ रहे हैं.  

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बुधवार को साझीदार संगठनों ने अपने एक साझा बयान में कहा, “ग़लत सूचनाओं की क़ीमत लोगों की ज़िन्दगियों से चुकानी पड़ती है. उपयुक्त भरोसे और सटीक सूचना के अभाव में, निदान परीक्षणों का इस्तेमाल नहीं हो रहा, टीकाकरण अभियान अपने लक्ष्यों तक नहीं पहुँच पाएँगे, और वायरस का फैलाव जारी रहेगा.” 

“हम सदस्य देशों से भ्रामक सूचनाओं से निपटने के लिये कार्रवाई योजनाएँ विकसित और लागू करने का आग्रह करते हैं, इसके तहत विज्ञान और तथ्यों पर आधारित सटीक जानकारी को सामयिक ढँग से सभी समुदायों, विशेषत: उच्च जोखिम वाले समूहों को उपलब्ध कराना होगा, और अभिव्यक्ति की आज़ादी का सम्मान करते हुए झूठी व भ्रामक सूचनाओं के फैलाव को रोकना होगा.”

यह साझा बयान संयुक्त राष्ट्र, उसकी आठ एजेंसियों और अन्तरराष्ट्रीय रैडक्रॉस फ़ैडरेशन ने विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से आयोजित एक वर्चुअल बैठक के बाद जारी किया है.

वक्तव्य में मीडिया और सोशल मीडिया कम्पनियों से संयुक्त राष्ट्र प्रणाली के साथ रचनात्मक सहयोग का आहवान किया गया है ताकि इस चुनौती से निपटने में साझा प्रयासों को मज़बूती प्रदान की जा सके.  

यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने एक वीडियो सन्देश में बताया कि कोविड-19 किस तरह एक महामारी के साथ संचार आपदा भी बना हुआ है. 

“जैसे ही वायरस पूरी दुनिया में फैला, ग़लत और यहाँ तक कि ख़तरनाक सन्देश भी तेज़ी से सोशल मीडिया पर फैल गए, जिससे लोग भ्रमित हुए, बहकावे में आए और उन्हें ग़लत सलाह दी गई.”

महासचिव गुटेरेश ने ज़ोर देकर कहा कि इस समस्या के औषधि विज्ञान पर आधारित तथ्य व स्वास्थ्य दिशा-निर्देश तेज़ी से फैलाया जाना और उन सभी लोगों तक पहुँचाना है जिन्हें इसकी ज़रूरत है. 

विज्ञान, समाधान, एकजुटता

कोविड-19 महामारी के दौरान संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने नुक़सानदेह स्वास्थ्य परामर्शों, नफ़रत भरे सन्देशों व भाषणों और बेसिरपैर की साज़िशों की कहानियों के ख़तरों के प्रति आगाह कराने का प्रयास किया है.

मई 2020 में यूएन ने ‘वैरीफ़ाइड’ नामक एक पहल शुरू की थी जिसके ज़रिये लोगों को भरोसेमन्दद और सटीक जानकारी सोशल मीडिया पर शेयर करने के लिये प्रोत्साहित किया गया. 

ये भी पढ़ें - कोविड-19: दुष्प्रचार व झूठी सूचनाएँ बन गई हैं - 'Disinfodemic' 

यूएन प्रमुख ने कहा, “मीडिया साझीदारों, व्यक्तियों, प्रभावशाली हस्तियों व सोशल मीडिया प्लैटफ़ॉर्म के साथ काम करते हुए हमने ऐसी सामग्री का प्रसार किया है जिससे विज्ञान को बढ़ावा मिलता है, समाधान पेश किये जाते हैं और एकजुटता की प्रेरणा मिलती है.” 

महासचिव गुटेरेश ने बैठक को सम्बोधित करते हुए कहा कि ग़लत जानकारियों से मुक़ाबला करना इसलिये भी अहम है क्योंकि संयुक्त राष्ट्र और उसके साझीदार संगठन कोविड-19 के लिये एक असरदार वैक्सीन में जनता का भरोसा क़ायम करने के प्रयासों में जुटे हैं. 

वैक्सीन से जुड़े इस सन्देश की गूँज बुधवार को ही आयोजित विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक अन्य वर्चुअल कार्यक्रम में सुनाई दी. 

इस कार्यक्रम का उद्देश्य महामारी के दौरान टीकाकरण अभियान सुचारू रूप से जारी रखने के लिये सरकारों व मानवीय राहतकर्मियों के बीच संगठित प्रयासों को सुनिश्चित करना और भविष्य में कोविड-19 की वैक्सीन न्यायसंगत वितरण के लिये बुनियादी ढाँचा तैयार करना है.

यूएन का अनुमान है कि महामारी के कारण दुनिया भर में आठ करोड़ बच्चों को वैक्सीन की खुराकें नियमित तौर पर नहीं मिल पाई हैं, लेकिन बेहतर पुनर्बहाली के प्रयासों के तहत अब ये सेवाएँ फिर शुरू की जा रही हैं.