75वाँ सत्र: बहुपक्षवाद के लिये नई सामूहिक प्रतिबद्धता की ज़रूरत - महासभा अध्यक्ष
संयुक्त राष्ट्र महासभा के 75वें सत्र के अध्यक्ष वोल्कान बोज़किर ने मंगलवार को जनरल डिबेट की शुरुआत करते हुए कहा है कि कोविड-19 महामारी ने विश्व नेताओं को भले ही न्यूयॉर्क स्थित महासभा को निजी रूप में सम्बोधित करने से रोक दिया हो, मगर आपसी बातचीत व चर्चा की “पहले कहीं से कहीं ज़्यादा ज़रूरत है”.
वोल्कान बोज़किर ने महासभा के 75वें सत्र का हथौड़ा मारकर आरम्भ करते हुए कोरोनावायरस के कारण दुनिया भर में चरमराई अर्थव्यवस्थाओं, स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों और बाधित शिक्षा व्यवस्था का ज़िक्र किया.
#COVID19 has affected us far beyond our ability to attend this Debate in person. It has pummeled our economies. It has pushed our healthcare systems to their limits. It has disrupted education for our children. Let us stand together and renew our commitment to leave no one behind pic.twitter.com/XG3yqPhzMA
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उन्होंने ध्यान दिलाते हुए कहा कि सबसे कमज़ोर हालात वाले लोगों पर सबसे ज़्यादा असर पड़ा है.
उन्होंने शरणार्तियों व प्रवासियों की स्थिति, लिंग आधारित हिंसा में बढ़ोत्तरी के ख़तरों, शोषण के चौराहों पर खड़े नज़र आते बच्चों, और नस्लीय व धार्मिक हिंसा में उभार की तरफ़ भी ध्यान दिलाया.
“ऐसा शायद कभी हुआ हो जब सम्पूर्ण मानवता ने इतने विशालकाय और सभी के लिये समान ख़तरे का सामना किया हो. हम सभी को अपने मतभेदों और असहमतियों को दरकिनार रखना होगा... और बहुपक्षवाद के लिये अपनी सामूहिक प्रतिबद्धता ताज़ा करनी होगी.”
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि वैश्विक समस्याओं का हल निकालने के लिये एकजुट प्रयासों की ज़रूरत है, “हम, संयुक्त राष्ट्र के लोग, इस लक्ष्य को हासिल कर सकते हैं”.
अद्वितीय वैधता
वोल्कान बोज़किर ने कहा कि दूसरे विश्व युद्ध के मानवता की प्रगति के लिये सामूहिक प्रतिबद्धता के तहत बाद संयुक्त राष्ट्र का गठन किया गया था.
इस विश्व संगठन ने अद्वितीय वैधता को अपने केन्द्र में रखते हुए सभी इनसानों के लिये शान्ति, समृद्धि और प्रगति सुनिश्चित करने के लिए अथक काम किया है.
“ये व्यवस्था को लचीला बनाए रखने के लिये गठित किया गया था ताकि तमाम चुनौतियों व अनपेक्षित मुद्दों से निपटा जा सके, इनमें महामारी भी शामिल है. हम एक टिकाऊ, समावेशी और न्यायसंगत पुनर्बहाली के लिये योजना बनाकर और नवाचार तरीक़े अपनाकर बेहतर पुनर्निर्माण कर सकते हैं.”
कोविड-19 से पुनर्बहाली
वोल्कान बोज़किर ने कहा कि महामारी से संयुक्त राष्ट्र की कार्यप्रणाली में बदलाव जारी रहेंगे, इसलिये “इस चुनौती का मुक़ाबला करने के लिये तमाम उपलब्ध औज़ारों व संसाधनों का सदुपयोग करना होगा,“ इनमें महासभा भी शामिल है जिसे उन्होंने राजनैतिक दिशा के लिये एक महत्वपूर्ण मंच क़रार दिया.
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“मैं सभी सदस्य देशों से समाधान तलाश करने के लिये ऐसा सहयोगात्मक व रचनात्मक रुख़ अपनाने का आग्रह करता हूँ जिनके ज़रिये ये संस्था असरदार तरीक़े से काम कर सके, और प्रासंगिक बनी रहे.”
बढ़ती अपेक्षाएँ
महासभा अध्यक्ष ने कहा कि 75 वर्ष पहले संयुक्त राष्ट्र की स्थापना के समय से लेकर ही, इससे अपेक्षाओं में अपार वृद्धि हुई है. ये संगठन ऐसे लगभग 95 हज़ार शान्तिरक्षकों के ज़रिये शान्ति व सुरक्षा को समर्थन देता है जो विस्फोटक हालात वाले लगभग 13 वैश्विक अभियानों में तैनात हैं.
ये संगठन करोड़ों ज़रूरतमन्दों की सहायता के लिये मानवीय अपील में अरबों डॉलर की रक़म इकट्ठा करता है, दुनिया भर में कुल बच्चों की लगभग आधी संख्या के लिये ऐसी वैक्सीनों की आपूर्ति करता है जिनकी बदौलत हर वर्ष 30 लाख बच्चों की ज़िन्दगियाँ बचाई जाती हैं, और मानवाधिकार परिषद के ज़रिये दुनिया भर में इनसानों की हिफ़ाज़त को प्रोत्साहन मज़बूत करता है.
ऐसे में महामारी ने संयुक्त राष्ट्र की प्रणाली पर और ज़्यादा बोझ डाल दिया है और अपेक्षाएँ बढ़ा दी हैं.
मक़सद के लिये उपयुक्त
वोल्कान बोज़किर ने तार्किक अन्दाज़ में कहा कि इस विश्व संगठन को अपने तीन मुख्य स्तम्भों – शान्ति व सुरक्षा, मानवाधिकार और विकास के क्षेत्र में और ज़्यादा जुड़ाव बढ़ाकर, तालमेल, समायोजन, कुशलता और परिणाम देने की क्षमता बढ़ाने होंगे.
उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों को मज़बूत किया जाना होगा और “हमें इस बारे में बेबाक और ईमानदार बातचीत करने के लिये तैयार रहना होगा कि बहुपक्षवाद व्यवस्था कहाँ नाकाम हो रही है, या फिर हमारे सामने दरपेश और तेज़ी से बदलती चुनौतियों का मुक़ाबला करने के लिये, ये व्यवस्था, कहाँ तेज़ी से नहीं बदल पा रही है.”