कोविड-19 का मुक़ाबला: ज़िन्दगियों की रक्षा, भावी झटकों से निपटने की तैयारी, बेहतर पुनर्बहाली

वर्ष 2020 में कोरोनावायरस के कारण अब तक लाखों लोगों की जान जा चुकी है, ढाई करोड़ से ज़्यादा लोग संक्रमित हुए हैं, विभिन्न देशों में विकराल सामाजिक और आर्थिक क्षति हुई है और मानवीय राहत पहुँचाने व मानवाधिकारों की रक्षा के प्रयास व्यापक स्तर पर प्रभावित हुए हैं. बुधवार को संयुक्त राष्ट्र की ओर से जारी एक नई रिपोर्ट में ये तथ्य उभरकर सामने आए हैं.
कोविड-19 के ख़िलाफ संयुक्त राष्ट्र की व्यापक जवाबी कार्रवाई के तहत सितम्बर महीने में जारी ताज़ी रिपोर्ट के मुताबिक कोविड-19 से कोई भी देश या जनसमूह अछूता नहीं बचा है.
UN Comprehensive Response to COVID-19 नामक ताज़ा अपडेट में ऐसे उपाय पेश किये गए हैं जो लोगों के जीवन, समाजों की रक्षा करने और बेहतर ढँग से उबरने के लिये आवश्यक हैं.
साथ ही भविष्य में ऐसे अन्य झटकों और जलवायु परिवर्तन व सार्वभौमिक विषमता से निपटने के रास्तों का भी उल्लेख किया गया है.
यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने अक्सर ध्यान दिलाया है कि वैश्विक महामारी मानवता के लिये एक ऐसा संकट है जिसने गम्भीर और प्रणालीगत असमानताओं को उजागर किया है.
संयुक्त राष्ट्र इस विकराल चुनौती से निपटने के लिये तीन-सूत्री जवाबी कार्रवाई में जुटा है जो मुख्य रूप से स्वास्थ्य, जीवन और आजीविकाओं की रक्षा करने और एक सुदढ़, समावेशी व टिकाऊ दुनिया के निर्माण में अवरोध बनने वाली कमज़ोरियों को दूर करने पर केन्द्रित है.
स्वास्थ्य कार्रवाई – वायरस पर क़ाबू पाना, वैक्सीन, निदान व उपचार के विकास के लिये सहायता प्रदान करना, तैयारियाँ मज़बूत करना
जीवन व आजीविका की रक्षा – वैश्विक महामारी के विनाशकारी सामाजिक-आर्थिक, मानवीय और मानवाधिकारों पर हुए असर से निपटना
कोविड-19 संकट काल के बाद बेहतर दुनिया का निर्माण – मौजूदा विषमताओं को दूर करना, जलवायु संकट से निपटना, सामाजिक संरक्षा की कमी सहित अन्य व्यवस्थागत ख़ामियों से निपटना
नई जानकारी दर्शाती है कि यूएन प्रणाली ने वैश्विक स्तर पर कोविड-19 के ख़िलाफ़ जवाबी कार्रवाई का शुरु से नेतृत्व किया है जिसके तहत कमज़ोर तबकों को जीवनरक्षक मानवीय सहायता उपलब्ध कराई गई है, सामाजिक-आर्थिक असर की आँच को कम करने के लिये त्वरित कार्रवाई और विस्तृत एजेण्डा तैयार किया गया है.
ठोस वैज्ञानिक तथ्यों, विश्वसनीय आँकड़ों और विश्लेषण को नीति व निर्णय प्रक्रिया के लिये अहम माना गया है, विशेषत: ऐसे समय में जब महामारी के दौरान देशों को मुश्किल फ़ैसले लेने पड़ रहे हैं.
कोविड-19 से निपटने के प्रयासों के तहत सबसे अहम कार्रवाई वायरस के फैलाव को दबाना है – जाँचना, परीक्षण करना, संक्रमितों को अलग रखना, स्वास्थ्य देखभाल करना, और उनके सम्पर्क में आए लोगों की जानकारी हासिल करना.
इस नज़रिये से शारीरिक दूरी बरता जाना, वैज्ञानिक और तथ्य-आधारित जानकारी फैलाना, परीक्षणों की संख्या बढ़ाना, स्वास्थ्य प्रणालियों की क्षमता का विस्तार करना, स्वास्थ्यकर्मियों को समर्थन देना और मेडिकल सामग्री व उपकरण की पर्याप्त व्यवस्था करना है.
रिपोर्ट के मुताबिक कुछ देशों ने ये ज़रूरतें अपने संसाधनों के ज़रिये पूरी कर ली हैं लेकिन कुछ विकासशील देशों को अब भी मदद की दरकार है.
बुधवार को जारी जानकारी में मानव इतिहास में सबसे व्यापक सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयासों की आवश्यकता का ज़िक्र किया गया है, यानि एक वैक्सीन, रोग का निदान और सर्वजन के लिये सर्वत्र उपचार.
रिपोर्ट में ध्यान दिलाया गया है कि कोविड-19 महामारी के दौरान भी जलवायु संकट निर्बाध रूप से जारी है इसलिये पुनर्बहाली प्रक्रिया में जलवायु कार्रवाई का भी ध्यान रखा जाना होगा.
दोनों संकटों का एक साथ सामना करने के लिये पहले की तुलना में कहीं ज़्यादा मज़बूत कार्रवाई की ज़रूरत होगी.
इसके तहत परिवहन तन्त्र, इमारत निर्माण और ऊर्जा सैक्टर की कार्बन उत्सर्जन पर निर्भरता कम करना, जीवाश्म ईंधनों के इस्तेमाल में कमी लाना और टिकाऊ व सुदढ़ बुनियादी ढाँचे का निर्माण किया जाना अहम होगा.
रिपोर्ट में माना गया है कि दुनिया अब भी महामारी के ख़िलाफ़ कार्रवाई में एक गम्भीर पड़ाव से गुज़र रही है जिसके मद्देनज़र सतत राजनैतिक नेतृत्व, अभूतपूर्व वित्तीय संसाधनों और उबरने के लिये देशों में व देशों के भीतर असाधारण एकजुटता की आवश्यकता है.
दीर्घकाल में इन प्रयासों को सहारा देने के सर्वश्रेष्ठ उपायों की तलाश के लिये संगठन सदस्य देशों के साथ विचार-विमर्श जारी रखेगा.