एक ज़्यादा बराबरी वाली, समावेशी और टिकाऊ दुनिया बनाने की पुकार
संयुक्त राष्ट्र ने मंगलवार, 15 सितम्बर को मनाए जा रहे अन्तरराष्ट्रीय लोकतन्त्र दिवस के अवसर पर तमाम विश्व नेताओं से एक ज़्यादा समानता वाली, ज़्यादा समावेशी और टिकाऊ दुनिया बनाने का आहवान किया है जहाँ मानवाधिकारों के लिये पूर्ण सम्मान हो.
यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कोविड-19 महामारी से मुक़ाबला करने की पृष्ठभूमि में सूचना का मुक्त प्रवाह सुनिश्चित करने के लिये लोकतन्त्र की महत्ता को रेखांकित किया है.
Well before #COVID19, frustration was rising & trust in public authorities was declining.Governments must do more to listen to people demanding change.On this #DemocracyDay, let’s seize this moment to build a more equal & inclusive world, with full respect for human rights. pic.twitter.com/slLcYefHep
antonioguterres
साथ ही कोविड-19 से उबरने के प्रयासों में जवाबदेही निर्धारित करने और निर्णय प्रक्रिया में सभी की भागीदारी सुनिश्चित करने में भी लोकतन्त्र की अहमियत की तरफ़ भी ध्यान दिलाया गया है.
यूएन प्रमुख ने अन्तरराष्ट्रीय लोकतन्त्र दिवस के अवसर पर जारी अपने सन्देश में कहा है, “इसके बावजूद, ये स्वास्थ्य संकट शुरू होने के समय से ही हमने, अनेक देशों में लोकतान्त्रित प्रक्रियाओं को बाधित करने और नागरिक स्थान सीमित करने के लिये आपातकालीन उपायों का प्रयोग होते हुए देखा है.”
“ये चलन विशेष रूप से उन स्थानों पर ख़तरनाक है जहाँ लोकतन्त्र की जड़ें अभी गहरी नहीं हैं और संस्थानिक निगरानी व सन्तुलन सुनिश्चित करने की प्रक्रिया कमज़ोर है.”
यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने ध्यान दिलाते हुए कहा कि कोविड-19 महामारी ने लम्बे समय से मौजूद अन्यायों को ना केवल सतह पर लाकर दिखा दिया है बल्कि उन अन्यायों को और ज़्यादा गम्भीर बना दिया है.
इनमें अपर्याप्त स्वास्थ्य प्रणालियों से लेकर सामाजिक संरक्षा उपलब्धता में कमिया, डिजिटल खाई और शिक्षा का साधनों की असमान उपलब्धता शामिल हैं.
साथ ही पर्यावरण को नुक़सान पहुँचने के साथ-साथ नस्लीय भेदभाव व महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा में बढ़ोत्तरी हुई है.
उन्होंने कहा, “इन असमानताओं के कारण इनसानों को बहुत बड़ा नुक़सान पहुँचने के साथ-साथ ये सभी असमानताएँ ख़ुद लोकतन्त्र के लिये एक ख़तरा हैं.”
महासचिव ने कहा कि स्वास्थ्य महामारी शुरू होने से पहले भी दुनिया के अनेक हिस्सों में विभिन्न मुद्दों पर नाराज़गी और हताशा बढ़ रही थी, सार्वजनिक अधिकारियों व संस्थानों में भरोसा कम हो रहा था, और अवसरों की कमी के कारण आर्थिक परेशानी व सामाजिक अशान्ति बढ़ रही थी.
उन्होंने कहा कि तमाम देशों की सरकारों को उन लोगों की बात सुनने के लिये और ज़्यादा उपाय करने होंगे जो बदलाव चाहते हैं, संवाद के ज़्यादा चैनल मुहैया कराए जाएँ और शान्तिपूर्ण सभा करने व इकट्टा होने की स्वतन्त्रता का सम्मान किया जाए.
“अन्तरराष्ट्रीय लोकतन्त्र दिवस पर, हम सभी इस मौक़े का इस्तेमाल एक ज़्यादा समान, समावेशी और टिकाऊ दुनिया बनाने की ख़ातिर काम शुरू करने के लिये करें, जहाँ मानवाधिकारों के लिये पूर्ण सम्मान हो.”
अन्तरराष्ट्रीय दिवस
हर वर्ष 15 सितम्बर को मनाया जाने वाला अन्तरराष्ट्रीय लोकतन्त्र दिवस दुनिया भर में लोकतन्त्र की स्थिति की समीक्षा करने का अवसर मुहैया कराता है.
अन्तरराष्ट्रीय लोकतन्त्र दिवस यूएन महासभा ने वर्ष 2007 में घोषित किया था.
इस दिवस के मंज़ूरी प्रस्ताव में कहा गया था कि लोकतन्त्र एक ऐसा सार्वभौमिक सिद्धान्त है जिसमें लोगों को अपनी स्वतन्त्र इच्छा की अभियक्ति के ज़रिये अपने लिये राजनैतिक, आर्थिक, सामाजिक व सांस्कृतिक व्यवस्थाएँ व प्रणालियाँ चुनने का मौक़ा मिलता है.
इसमें लोगों को जीवन के सभी पहलुओं में पूर्ण भागीदारी भी सुनिश्चित की जाती है.
यूएन महासभा ने तमाम देशों की सरकारों को अपने ऐसे राष्ट्रीय कार्यक्रमों को मज़बूत करने के लिये भी प्रोत्साहित किया है जिनके ज़रिये लोकतन्त्र को मज़बूती मिले.
साथ ही द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और अन्तरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा मिले.