शिक्षा: गर्म भोजन और कुछ ‘पौष्टिक पाउडर’
विश्व खाद्य कार्यक्रम (World Food Programme) भारत में एक ऐसा अनूठा कार्यक्रम चला रहा है, जिसके तहत स्कूल के बच्चों को सरकारी अपरान्ह भोजन योजना के साथ-साथ, पूर्ण पोषण सुनिश्चित करने के लिये विटामिन और खनिजों से भरपूर पोषक सहायक ख़ुराक दी जाती है. बच्चे प्यार से इसे ‘जादुई बुरादा’ कहते हैं.
ये है रानी की अनूठी कहानी. रानी की उम्र अब 10 वर्ष है, लेकिन हमने 2017 में जब उसके साथ मुलाक़ात की थी तब वह 7 साल की एक चंचल बच्ची थी, जो जाने-अनजाने अपनी तरह की लड़कियों के लिये प्रचलित सभी तरह की रूढ़िवादी बाधाएँ तोड़कर जीवन में कुछ कर दिखाने के लिये तत्पर थी.
रानी के भाइयों या माता-पिता से पूछें तो समझ जाएँगे कि 7 वर्ष की रानी उनके घर पर ही नहीं, दिलों पर भी राज करती है.

भारत में ओडिशा प्रदेश के ढेककनाल ज़िले में दो कमरों के छोटे से मकान में मुश्किल से गुज़र-बसर करने वाली उसकी माँ, सारा कहती हैं, "मेरी रानी मज़बूत इरादों वाली, साहसी लड़की है. घर आकर वो हमें बताती है कि स्कूल में उसने क्या-क्या किया."
अपनी कक्षा में प्रथम आने वाली रानी को स्कूल से छुट्टी लेना पसन्द नहीं है और वो अपने शिक्षकों की पसन्दीदा विद्यार्थियों में से एक है.
भोजन-अवकाश के दौरान, वह लड़कों के साथ खेलती हैं और उसने अपने बाल भी छोटे करवा लिये हैं, क्योंकि उसके अनुसार "लड़कियों के बाल भी तो छोटे हो सकते हैं." आँखों में एक चमक के साथ, वो बताती है कि बड़ी होकर वो डॉक्टर बनना चाहती है, ताकि वह अपने माता-पिता की देखभाल कर सके.
रानी की माँ जब अपनी इकलौती बेटी के बारे में बात करती हैं तो उनकी आँखों में आँसू आ जाते हैं. वह बताती हैं कि रानी बहुत बुद्धिमान है, लेकिन परिवार उसके दोस्तों की तरह उसे अतिरिक्त ट्यूशन देने का ख़र्चा नहीं उठा सकता.
सारा कहती हैं, "जब भी मुझे बुरा लगता है कि मैं रानी को ट्यूशन नहीं लगवा सकती, तो उसे बहुत बुरा लगता है. वह मुझसे कहती है कि जब वह बड़ी हो जाएगी तो मेरी और अपने पिता की देखभाल करेगी. वह मुझसे वादा करती है कि उसके बड़े होने के बाद उसके पिता को कभी मज़दूरी नहीं करनी पड़ेगी.”
रानी के पिता एक दिहाड़ी मजदूर हैं, और कई बार तो घर में भोजन का इन्तेज़ाम करने के लिये भी संघर्ष करना पड़ता है. अक्सर, परिवार के पास रानी और उसके भाइयों को संतुलित और पौष्टिक आहार देने के लिए साधनों की कमी होती है.
मिड-डे मील योजना
ओडिशा राज्य के हज़ारों घरों की तरह, रानी के माता-पिता भी ग़रीबी की रेखा के नीचे जीवन जीते हैं और अपने बच्चों को स्वस्थ व पोषित रखने के लिये देश के मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम (मिड-डे मील योजना) के भरोसे रहते हैं. दुनिया में अपनी तरह का सबसे बड़ा राष्ट्रीय कार्यक्रम होने के नाते, भारत का मध्यान्ह-भोजन कार्यक्रम देश के सबसे कमज़ेर छात्रों को स्कूल में दोपहर का भोजन प्रदान करता है.

पोषक जादुई पुड़िया
भारत में संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) की एक पहल के तहत, इन दिनों, रानी जैसे छात्रों को स्कूल से अतिरिक्त पोषक तत्वों वाला भोजन दिया जा रहा है - माइक्रोन्यूट्रिएण्ट युक्त भोजन, जो दो तरीक़ों से दिया जाता है: विटामिनों व खनिजों से युक्त चावल के रूप में या सब्ज़ी में मिश्रित बुरादे के रूप में. बच्चे इस बुरादे को "जादुई पाउडर" कहते हैं. इनमें लोहा, जस्ता और विटामिन ए जैसे विशेष विटामिन और खनिज होते हैं जो उस छिपी हुई भूख को रोकने में मदद करते हैं जिसके कारण ख़ासकर छोटे बच्चों में बीमारी, संक्रमण और अन्धापन तक हो सकता है.
'जादुई पाउडर' के फ़ायदे
कक्षा में प्रश्नों के उत्तर देने के लिये हमेशा सबसे पहले हाथ उठाने वाली रानी, अपने सहपाठियों को समझाती है कि यह "नया पाउडर" इतना ख़ास क्यों है.
वह बताती है, "पाउडर के माध्यम से हमें जो पोषण मिल रहा है, वह हमें अपनी पढ़ाई में मज़बूत और बेहतर बनाएगा."
रानी पोषण के बारे में मिली जानकारी को लेकर इतनी संजीदा है कि जब उसके प्रधानाध्यापक ने ख़ुश होकर उसे टॉफी दी, तो उसने यह कहकर लेने से इनकार कर दिया कि टॉफ़ी से दाँत ख़राब हो जाते हैं.
छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों के मुताबिक पोषण युक्त भोजन मुहैय्या कराने के प्रयासों के परिणाम अभी से स्पष्ट देखे जा सकते हैं. ये पहल, डब्लयूएफ़पी ने अपने कॉर्पोरेट साझीदारो् सोडेक्सो, जनरल मिल्स फाउण्डेशन और टैक रिसोर्स के सहयोग से शुरू की है.

उसकी माँ कहती हैं, "हम रानी को सब कुछ उम्दा देना तो चाहते हैं, लेकिन ये हमारे बस में नहीं है. इस कार्यक्रम के ज़रिये हमारे बच्चों के लिये विशेष पौष्टिक पाउडर मुहैया कराने के लिये बहुत आभारी हैं."
ये लेख पहले यहाँ प्रकाशित हुआ - https://www.wfpusa.org/articles/faces-of-hope-meet-rani-a-poster-child-for-nutrition-in-india/