ऐतिहासिक अफ़ग़ान वार्ता शान्ति के लिये अहम अवसर

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा है कि अफ़ग़ान सरकार के प्रतिनिधियों और तालेबान के बीच सीधे तौर पर पहली बार हो रही वार्ता देश के लिये शान्तिपूर्ण भविष्य और स्थानीय जनता की आकाँक्षाओं को पूरा करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है. ग़ौरतलब है कि दोनों पक्षों के बीच शनिवार को क़तर की राजधानी दोहा में बातचीत शुरू हुई है. महासचिव ने भरोसा दिलाया है कि संयुक्त राष्ट्र देश के भीतरी पक्षों के बीच शान्ति वार्ता की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने और देश में टिकाऊ विकास के लिये हरसम्भव मदद देने को तैयार है.
यूएन प्रमुख ने अपने वीडियो सन्देश में ऐतिहासिक वार्ता के आयोजन के लिये क़तर का आभार जताते हुए अफ़ग़ान जनता की सहनशीलता और उनके साहस की सराहना की है.
The start of intra-Afghan peace negotiations is a major opportunity to achieve the long-held aspirations of the people of Afghanistan for peace.It is crucial that all Afghan leaders & members of the international community do everything possible to make peace a reality. pic.twitter.com/cTxWJT8829
antonioguterres
“हिंसा रोकने और अपने देश के विकास के लिये उनकी निरन्तर पुकारों ने बातचीत का आधार तैयार किया है.”
यूएन महासचिव ने स्पष्ट किया कि अफ़ग़ानिस्तान के नागरिकों को ही इन वार्ताओं का मिज़ाज और मसौदा तैयार करना होगा.
“एक ऐसी समावेशी शान्ति प्रक्रिया, जिसमें महिलाएँ, युवा और हिंसा के पीड़ितों को प्रतिनिधित्व मिलता हो, वही टिकाऊ समाधान की सर्वश्रेष्ठ उम्मीद जगाती है.”
अफ़ग़ानिस्तान पिछले चार दशकों से हिंसक संघर्ष की आँच में झुलस रहा है जिसमें अब तक हज़ारों लोगों की मौत हो चुकी है. हिंसा और अस्थिरता के बावजूद तालेबान और लोकतान्त्रिक रूप से चुनी गई अफ़ग़ान सरकार के बीच सीधे तौर पर वार्ता नहीं हो पाई थी.
वर्ष 2001 तक अफ़ग़ानिस्तान पर चरमपंथी संगठन तालेबान का नियन्त्रण था लेकिन 11 सितम्बर 2001 की घटना के बाद अमेरिका के नेतृत्व वाली गठबन्धन सेनाओं के हमले के बाद तालेबान को सत्ता से हटा दिया गया था.
शनिवार को शुरू हुई वार्ता का मार्ग फ़रवरी 2020 में अमेरिका और तालिबान के प्रतिनिधियों में एक सुरक्षा समझौते से प्रशस्त हुआ था.
लेकिन हाल के समय में अफ़ग़ानिस्तान में हिंसा के स्तर में भारी बढ़ोत्तरी और वार्ता से पहले की जटिल शर्तों को पूरा करने में आई मुश्किलों से बातचीत पर जोखिम मँडरा रहा था.
इनमें बन्दियों की अदला-बदली का मुद्दा भी शामिल है.
यूएन प्रमुख ने महिलाओं की भागीदारी की अहमियत को रेखांकित करते हुए कहा कि हर पक्ष को अपनी ज़िम्मेदारी निभानी होगी ताकि महिलाओं के लिये विभिन्न भूमिकाएँ निभाना सम्भव हो सके. साथ ही इससे शान्ति प्रक्रिया में महिलाओं के विविध अनुभवों और उनकी विशेषज्ञताओं को समाहित किया जा सकेगा.
यूएन प्रमुख ने ध्यान दिलाया कि साल 2020 के शुरू में दो बार अस्थायी रूप से संघर्षविराम होने से उत्साहजनक संकेत मिले थे.
“मैं आम नागरिकों की रक्षा और हिंसा में कमी लाने के लिये प्रयास दोगुने किये जाने का आग्रह करता हूँ ताकि लोगों की ज़िन्दगियाँ बचाई जा सकें और वार्ता के लिये सहायक माहौल तैयार किया जा सके.”
महासचिव गुटेरेश ने कहा कि अन्तरराष्ट्रीय समुदाय के साथ मिलकर शान्ति स्थापित करने के लिये सभी अफ़ग़ान नेताओं का हरसम्भव प्रयास करना बेहद अहम है.
उन्होंने भरोसा दिलाया कि संयुक्त राष्ट्र अन्तर-अफ़ग़ान शान्ति वार्ता की प्रक्रिया में मदद करने और देश में टिकाऊ विकास के लिये पूरी तरह तैयार है.
इससे पहले शुक्रवार को अफ़ग़ानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र मिशन (UNAMA) प्रमुख डेबराह लियोन्स ने एक बयान जारी करके कहा कि स्थानीय लोग लम्बे समय से पीड़ा में हैं.
उन्होंने ध्यान दिलाया कि वार्ताकारों के पास अपने हमवतनों की ज़िन्दगियाँ बचाने और देश को ग़रीबी व पीड़ा से निकालने का एक अनूठा अवसर है.
यूएन मिशन प्रमुख ने इस वार्ता के सफल होने के लिये शुभकामना सन्देश भेजा है और भरोसा दिलाया कि संयुक्त राष्ट्र इन प्रयासों में उनके साथ खड़ा है.