कोविड-19: बेहतर पुनर्बहाली के लिये नीतिगत उपायों पर वित्त मन्त्रियों की बैठक

इक्वाडोर के इमबाबुरा प्रान्त में अपने खेत में एक युवा आदिवासी नेता जिसे विश्व खाद्य कार्यक्रम के तहत लाभ मिला है.
WFP/Ana Buitron
इक्वाडोर के इमबाबुरा प्रान्त में अपने खेत में एक युवा आदिवासी नेता जिसे विश्व खाद्य कार्यक्रम के तहत लाभ मिला है.

कोविड-19: बेहतर पुनर्बहाली के लिये नीतिगत उपायों पर वित्त मन्त्रियों की बैठक

आर्थिक विकास

संयुक्त राष्ट्र की उपमहासचिव आमिना मोहम्मद ने मंगलवार को 193 सदस्य देशों के वित्त मन्त्रियों के साथ एक वर्चुअल बैठक में हिस्सा लिया जिसका उद्देश्य महामारी के बाद पुनर्बहाली के लिये नीतिगत विकल्पों का खाका तैयार करना था. इन नीति उपायों को इस महीने 29 सितम्बर को एक उच्चस्तरीय बैठक के दौरान विश्व नेताओं के समक्ष प्रस्तुत किया जायेगा.
 

यूएन उपमहासचिव ने कहा कि इस संकट ने हर किसी को प्रभावित किया है लेकिन इसका सबसे ज़्यादा असर विश्व के निर्बलतम नागरिकों पर होगा.   

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“सात से 10 करोड़ तक लोग चरम ग़रीबी के गर्त में धकेले में जा सकते हैं; इस साल के अन्त तक 26 करोड़ अतिरिक्त लोगों को भोजन की किल्लत का सामना करना पड़ सकता है; और 40 करोड़ रोज़गार ख़त्म होने का अनुमान है जिससे महिलाएँ सर्वाधिक प्रभावित हुई हैं.”

उन्होंने कहा कि क़रीब डेढ़ अरब छात्रों की शिक्षा बाधित हुई है और इनमें से बहुत से छात्र शायद कभी स्कूल नहीं लौट पाएँगे. 

उपमहासचिव आमिना मोहम्मद के मुताबिक इस चुनौती का तत्काल और स्थायी समाधान हमारी साझा ज़िम्मेदारी है. 

मंगलवार को कोविड-19 के दौरान उसके बाद विकास के लिये वित्तीय संसाधन जुटाने (Financing for Development in the Era of COVID-19 and Beyond) पर बैठक संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश और जमैका व कैनेडा के प्रधानमन्त्रियों की साझा पहल के तहत आयोजित हुई है.

बैठक के आयोजकों के मुताबिक इस पहल का लक्ष्य अल्पकाल में पुनर्बहाली के लिये महत्वाकाँक्षी नीति विकल्पों का खाका तैयार करने के साथ-साथ टिकाऊ विकास लक्ष्यों की प्राप्ति के लिये लामबन्दी करना और दीर्घकाल के लिये सुदृढ़ वित्तीय प्रणाली स्थापित करना है.  

गहरी मन्दी के आसार

पिछले तीन महीनों में विचार-विमर्श के लिये छह समूह बनाये गये ताकि आर्थिक पुनर्बहाली और अर्थव्यवस्थाओं के बचाव को सुनिश्चित किया जा सके. इन प्रयासों के केंद्र में बेहतर पुनर्बहाली है.  

लेकिन यह एक विकराल चुनौती है. विश्व भर में अब तक कोविड-19 के दो करोड़ 72 लाख मामलों की पुष्टि हो चुकी है और आठ लाख 92 हज़ार से ज़्यादा लोगों की मौत हुई है. 

संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि विश्व के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में पाँच फ़ीसदी की गिरावट आने की आशंका है. प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और धन-प्रेषण (Remittances) क्रमश: 40 प्रतिशत और 20 प्रतिशत घटने का अनुमान जताया गया है. 

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यूएन उपप्रमुख ने कहा, “तालाबंदी उपायों के जारी रहने, सीमाओं के बन्द होने, कर्ज़ के आसमान छूने और वित्तीय संसाधनों के डूबने से महामारी हमें दशकों की सबसे ख़राब मन्दी की ओर धकेल रही है.” उन्होंने कहा है कि बदहाल आर्थिक हालात का सबसे ख़राब असर निर्बल समुदायों पर होगा.  

अन्तरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की प्रबन्ध निदेशक क्रिस्टीना जियॉर्जिवा ने कहा कि कुछ धनी देशों में वित्तीय प्रशासन और केंद्रीय बैंकों ने मज़बूत नीतिगत उपाय किये हैं.

इससे वहाँ हालत सम्भली है. लेकिन उभरती हुई अर्थव्यवस्थाएँ अब भी मुश्किल में हैं – वे देश भी जो पर्यटन से प्राप्त होने वाले राजस्व पर निर्भर हैं या फिर जहाँ कर्ज़ का स्तर ऊँचा है. 

आईएमएफ़ प्रमुख ने आगाह किया है कि महामारी का एक अहम सबक़ यह है कि सामाजिक संरक्षा, स्वास्थ्य प्रणालियों, शिक्षा और डिजिटल क्षमता में निवेश बढ़ाये जाने की ज़रूरत है.