वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

कोविड-19: टिकाऊ पुनर्बहाली के लिये महत्वाकाँक्षी जलवायु कार्रवाई का आहवान

इरिट्रिया में सौर ऊर्जा स्टेशन जो आसपास की दो ग्रामीण बस्तियों और गाँवों को बिजली मुहैया कराता है.
UNDP Eritrea/Elizabeth Mwaniki
इरिट्रिया में सौर ऊर्जा स्टेशन जो आसपास की दो ग्रामीण बस्तियों और गाँवों को बिजली मुहैया कराता है.

कोविड-19: टिकाऊ पुनर्बहाली के लिये महत्वाकाँक्षी जलवायु कार्रवाई का आहवान

जलवायु और पर्यावरण

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने सरकारों का आहवान किया है कि वैश्विक महामारी कोविड-19 से उबरने की कार्रवाई के हर आयाम में अर्थपूर्ण जलवायु कार्रवाई को समाहित करना होगा. टिकाऊ पुनर्बहाली पर चर्चा के लिये गुरुवार को आयोजित एक वर्चुअल बैठक में यूएन प्रमुख ने मन्त्रियों को सम्बोधित करते हुए ध्यान दिलाया कि इस समय दुनिया दो गम्भीर संकटों से जूझ रही है: कोविड-19 और जलवायु परिवर्तन.

महासचिव गुटेरेश ने अपने वीडियो सन्देश में कहा, “आइये, हम सभी दोनों संकटों से निपटें और भावी पीढ़ियों के पास ये उम्मीद छोड़ें कि यह लम्हा लोगों और पृथ्वी के लिये वास्तव में दिशा पलट कर रख देने वाला है.”

Tweet URL

इस मन्त्रिस्तरीय बैठक का आयोजन जापान ने किया था जिसमें अनेक देशों से वरिष्ठ अधिकारी, युवा समूहों, नागरिक समाज संगठनों, व्यवसायों और स्थानीय निकायों के प्रतिनिधि भी शामिल हुए. 

इसके समानान्तर एक ऑनलाइन पोर्टल शुरू किया गया है जिसमें कोविड-19 से उबरने की प्रक्रिया में प्रासंगिक जलवायु और पर्यावरण नीतियाँ व कार्रवाई पेश की गई है. 

वर्ष 2021 में होने वाले संयुक्त राष्ट्र के वार्षिक जलवायु सम्मेलन (COP26) से पहले ‘Platform for Redesign 2020’ के ज़रिये जलवायु कार्रवाई को गति देने का प्रयास किया जाएगा.

नवीकरणीय ऊर्जा: किफ़ायती एवँ दक्ष

महासचिव गुटेरेश ने टिकाऊ पुनर्बहाली की दिशा में जलवायु कार्रवाई के लिये छह सकारात्मक बिन्दु पेश किये हैं: 

- हरित रोज़गारों में निवेश करना
- प्रदूषण के लिये ज़िम्मेदार उद्योगों को दिया जाने वाला समर्थन रोकना
- जीवाश्म ईंधन को मिलने वाली सब्सिडी समाप्त करना
- वित्तीय व नीतिगत निर्णयों में जलवायु जोखिम का मूल्याँकन करना
- सभी को साथ लेकर आगे चलना
- किसी को भी पीछे ना छूटने देना

यूएन प्रमुख ने कहा कि सरकारों और व्यवसायों ने स्वीकार किया है कि स्वच्छ ऊर्जा से ज़्यादा रोज़गार सृजन, साफ़ हवा, बेहतर स्वास्थ्य और मज़बूत आर्थिक प्रगति सम्भव है और इसलिये वे इस दिशा में पहले से ही प्रयासरत हैं.

“दुनिया के शीर्ष निवेशक, जिनमे से कुछ जापान में भी हैं, जीवाश्म ईंधन त्याग रहे हैं क्योंकि नवीनीकृत ऊर्जा सस्ती और ज़्यादा दक्ष है.”

“वे समझते हैं कि उन कोयला सन्यन्त्रों पर धन ख़र्च करने में आर्थिक समझदारी नहीं है जिनमें कुछ ही समय में पूँजी फँस जाएगी.”

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने जी-20 समूह सहित सभी देशों से पुकार लगाई है कि वर्ष 2050 तक कार्बन न्यूट्रल (नैट शून्य कार्बन उत्सर्जन) होने का संकल्प लेना होगा. 

उन्होंने कहा कि इस सम्बन्ध में ज़्यादा महत्वाकाँक्षी राष्ट्रीय जलवायु कार्रवाई योजनाएँ और रणनीतियाँ तैयार की जानी होंगी ताकि वैश्विक तापमान में बढ़ोत्तरी को 1.5 डिग्री सैल्सियस तक सीमित रखने का लक्ष्य हासिल किया जा सके. 

यूएन प्रमुख ने जापान में प्रौद्योगिकी विकास की सराहना करते हुए भरोसा जताया कि यह देश टिकाऊ और सुदृढ़ पुनर्बहाली में वैश्विक नेता बनकर उभर सकता है.

उन्होंने जापान से कोयला ऊर्जा सन्यन्त्रों में निवेश ना करने और नवीकरणीय ऊर्जा के स्रोतों को बढ़ावा देने का आग्रह किया है.  

बदलाव लाने का अवसर

जलवायु परिवर्तन मामलों पर संयुक्त राष्ट्र की संस्था (UNFCCC) की कार्यकारी सचिव पैट्रिशिया एस्पिनोज़ा ने बैठक को सम्बोधित करते हुए कहा कि कोविड-19 और जलवायु संकट एक साथ दुनिया के सामने मौजूद हैं, लेकिन यह महामारी से उबरते समय बेहतर भविष्य के निर्माण का भी अवसर है. 

उन्होंने सरकारों से कार्बन आधारित बुनियादी ढाँचों से दूरी बरतने का आहवान किया जिससे कार्बन उत्सर्जनों में कमी लाने में मदद मिलेगी. 

“कोरोनावायरस को फैलने से रोकना महामारी के ख़िलाफ़ कार्रवाई का सबसे असरदार तरीक़ा रहा है, और भविष्य में उत्सर्जनों की रोकथाम करना जलवायु परिवर्तन से निपटने का सबसे कारगर तरीक़ा है.”

ये भी पढ़ें - खेत से मुँह तक: भोजन व जलवायु कार्रवाई

समन्वित वैश्विक प्रयासों की अहमियत को रेखांकित करते हुए उन्होंने अपील जारी की कि कोविड-19 से उबरने, जलवायु परिवर्तन एजेण्डा पर प्रगति और टिकाऊ भविष्य के निर्माण के लिये प्रयास करते समय बहुपक्षवाद की ताक़त को अपनाना होगा. 

जी-20 के लिये पाँच-सूत्री एजेण्डा

यूएन प्रमुख ने कोविड-19 संकट पर जी-20 समूह के विदेश मन्त्रियों की आपात बैठक को सम्बोधित करते हुए कहा कि महामारी के कारण दुनिया को अभूतपूर्व तालाबन्दी, यात्राओं पर रोक और सीमा-पार आवाजाही सीमित होने का सामना करना पड़ा है. 

उन्होंने कहा कि चिन्ताएँ बढ़ रही हैं कि आवाजाही पर मौजूदा पाबन्दियाँ तात्कालिक संकट के बाद भी जारी रह सकती हैं. इस सम्बन्ध में उन्होंने पाँच महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर चर्चा की आवश्यकता पर बल दिया है:

- यात्रा सम्बन्धी पाबन्दियाँ हटाने पर वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित वस्तुनिष्ठ मापदण्डों पर सहमति
- निजी क्षेत्र के सहयोग से सुरक्षित यात्रा प्रणालियों व प्रथाओं में निवेश
- कोरोनावायरस के फैलाव की रोकथाम के लिये ऐहितायती उपायों में बेहतर समन्वय
- अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकारों और शरणार्थी क़ानूनों के लिये पूर्ण सम्मान
- भविष्य में उपलब्ध होने वाली वैक्सीन की वैश्विक उपलब्धता