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कोविड-19: विश्व भर में नवाचार को बढ़ावा देने के प्रयासों को भारी झटका

नोनो-वाई नामक रोबोऱ् 2012 में जिनीवा नवाचार मेले में आकर्षण का मुख्य केन्द्र रहा था.
WIPO/Emmanuel Berrod
नोनो-वाई नामक रोबोऱ् 2012 में जिनीवा नवाचार मेले में आकर्षण का मुख्य केन्द्र रहा था.

कोविड-19: विश्व भर में नवाचार को बढ़ावा देने के प्रयासों को भारी झटका

आर्थिक विकास

दुनिया भर में नवाचार (Innovation) उद्यमों को बढ़ावा देने के लिये पूँजी और वित्तीय संसाधन विश्वव्यापी महामारी कोविड-19 के कारण सिमट रहे हैं. बौद्धिक सम्पदा मामलों पर संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी (WIPO) ने बुधवार को एक नई रिपोर्ट जारी की है जो दर्शाती है कि मौजूदा हालात में नई व शोध पर केन्द्रित कम्पनियाँ और विकासशील अर्थव्यवस्थाएँ ज़्यादा प्रभावित हुए हैं. रिपोर्ट के मुताबिक नवाचार के क्षेत्र में स्विट्ज़लैण्ड दुनिया का सबसे अग्रणी देश है जबकि स्वीडन को दूसरे नम्बर पर जगह मिली है. 

नवाचार और अभिनव समाधानों को बढ़ावा देना आर्थिक प्रगति व संकटों से उबरने के लिये अहम है. 

‘ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स’ यानि वैश्विक नवाचार सूचकाँक रिपोर्ट का यह 13वाँ संस्करण है जिसका उद्देश्य दुनिया भर में नवाचार गतिविधियों पर प्रगति का मूल्याँकन करना और उसके सम्बन्ध में जानकारी प्रदान करना है. 

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कोरोनावायरस संकट से आर्थिक गतिविधियों पर भारी असर हुआ है जिस वजह से छोटी नई कम्पनियों, नए उद्यमों में पूँजी लगाने और नवाचार के लिये वित्तीय संसाधन जुटाने के पारम्परिक स्रोतों के समक्ष चुनौती पैदा हो गई है. 

‘ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स 2020’ की थीम है: नवाचार का वित्तीय पोषण कैसे होगा (Who Will Finance Innovation)?

WIPO के महानिदेशक फ्रांसिस गरी ने कहा, “ऐसे समय जब हम कोविड-19 के तात्कालिक मानवीय और आर्थिक प्रभावों से जूझ रहे हैं, सरकारों को सुनिश्चित करना होगा कि राहत पैकेज भविष्योन्मुखी हों और उनसे कोविड-19 के बाद की दुनिया में व्यक्तियों, शोध संस्थानों, कम्पनियों और अन्य नवाचार व सहयोगपूर्ण विचारों को बढ़ावा मिलता हो.”

स्विट्ज़रलैण्ड की बढ़त बरक़रार

नवाचार सूचकाँक के ज़रिये हर वर्ष नवाचार के क्षेत्र में दुनिया की अर्थव्यवस्थाओं की सूची तैयार की जाती है. इस वर्ष भी पहले से आगे रहे देशों ने कमोबेश अपनी जगह बरक़ारर रखी है. 

दुनिया में नवाचार के मामले में स्विट्ज़रलैण्ड पहले स्थान पर है जो लगातार 10 वर्षों से दुनिया का सबसे अग्रणी देश बना हुआ है. 

इसके बाद स्वीडन, अमेरिका, ब्रिटन और नैदरलैण्ड्स का नम्बर है. कोरिया गणराज्य दसवें और सिंगापुर आठवें स्थान पर है जबकि चीन को 14वें नम्बर पर जगह मिली है. 

लेकिन हाल के वर्षों में भारत, चीन, फ़िलिपीन्स और वियतनाम जैसे देशों ने महत्वपूर्ण प्रगति हासिल की है. ये सभी देश अब नवाचार के मामले में पहले 50 देशों की सूची में हैं. 

इस सूची में मलेशिया 33वें, वियतनाम 42वें, भारत 48वें, और फ़िलिपीन्स 50वें स्थान पर है. नवाचार में अग्रणी लगभग सभी देश उच्च-आय वाले देशों के समूह से हैं. 

महत्वपूर्ण तथ्य

कोविड-19 का झटका दुनिया को एक ऐसे समय में लगा है जब वर्ष 2008-09 के वित्तीय संकट से उबरने के बाद नवप्रवर्तन के लिये प्रयास तेज़ी से आगे बढ़ रहे थे. 

वर्ष 2018 में शोध व विकास (आर एण्ड डी) में ख़र्च 5.2 फ़ीसदी की दर से बढ़ा जो वैश्विक सकल घरेलू उत्पादन की दर से कहीं ज़्यादा है. 

नवाचार उद्यमों को वित्तीय पोषण के लिये संसाधनों की कमी महसूस की जा रही है, विशेषत: उत्तर अमेरिका, एशिया और योरोप के देशों में. लेकिन नवाचार के लिये वित्तीय संसाधनों की कमी का असर असमान होगा और उन देशों में ज़्यादा होगा जहाँ उद्यमों में पूँजी निवेश अपेक्षाकृत कम किया जाता है.

विज्ञान और नवाचार प्रणालियों पर महामारी के प्रभावों को समझने में अभी समय लगेगा लेकिन विज्ञान में अन्तरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ रहा है, लेकिन बड़ी शोध परियोजनाओं में व्यवधान भी आया है.

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कोविड-19 संकट की वजह से अनेक नए और  स्वास्थ्य, शिक्षा, पर्यटन और फ़ुटकर व्यापार जैसे पारम्परिक क्षेत्रों में नवाचार को बढ़ावा मिला है.

अभूतपूर्व चुनौतियों के दौर में समन्वित प्रयासों के ज़रिये नवाचार गतिविधियाँ जारी रखने को अहम बताया गया है. 

अनेक सरकारों ने तालाबन्दी व अन्य पाबन्दियों के असर को कम करने और आर्थिक मन्दी के पैर पसारने की आशंका के मद्देनज़र आपात राहत पैकेज घोषित किये हैं. 

लेकिन यूएन एजेंसी के मुताबिक सहायता प्रदान करने के एक और दौर को प्राथमिकता देते हुए नवाचार को समर्थन देना होगा – विशेषत: उन लघु उद्यमों और नई कम्पनियों के लिये जिनकी राहत पैकेजों तक पहुँच नहीं है.