कोविड-19 के ख़िलाफ़ कार्रवाई में तकनीकी साझेदारी अहम

किशोरों में बढ़ रहा है मोबाइल का इस्तेमाल.
© UNICEF/Fara Zahri
किशोरों में बढ़ रहा है मोबाइल का इस्तेमाल.

कोविड-19 के ख़िलाफ़ कार्रवाई में तकनीकी साझेदारी अहम

एसडीजी

विश्वव्यापी महामारी कोविड-19 के ख़िलाफ़ जवाबी कार्रवाई के केन्द्र में असरदार टैक्नॉलॉजी और नवाचार (Innovation) के इस्तेमाल का दायरा और स्तर बढ़ाने के लिये क्षेत्रीय सहयोग एक महत्वपूर्ण साधन है. एशिया और प्रशान्त क्षेत्र के लिये संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवँ सामाजिक आयोग द्वारा आयोजित सूचना और संचार टैक्नॉलॉजी पर समिति के तीसरे सत्र की बैठक में प्रौद्योगिकी से जुड़े समाधानों पर चर्चा हुई है. 

समिति की दो दिवसीय बैठक में विशेषज्ञों ने बताया कि डिजिटल समावेशन और सुदृढ़ डिजिटल नैटवर्क की मज़बूत नींव पर सरकारें किस तरह महामारी के सबसे ख़राब प्रभावों से निपटने में जुटी हैं.  

संयुक्त राष्ट्र की अवर महासचिव और यूएन आयोग की कार्यकारी सचिव अरमिदा सालसियाह अलिसजाहबाना ने कहा, “क्षेत्र में डिजिटल प्रोद्योगिकी ने एक नया मज़बूत अर्थ ले लिया है – जनता, पृथ्वी और समृद्धि सभी की डिजिटल आधारित प्रौद्योगिकी नवाचारों और निर्बाध संचार सम्पर्क पर निर्भरता बढ़ रही है." 

उन्होंने कहा, "चूँकि हम कोविड-19 के बाद की दुनिया के अपने भविष्य की योजना बना रहे हैं, हमें डिजिटल और प्रौद्योगिकी की खाई को तुरन्त पाटने की आवश्यकता है. हम इस विभाजन के कारण सामाजिक-आर्थिक असमानताओं के नए रूप उभरने नहीं दे सकते."

डिजिटल तकनीक की पहुँच

क्षेत्र की चार अरब आबादी का आधे से ज़्यादा हिस्सा ऑफ़लाइन है. सबसे कम विकसित, भूमिबद्ध विकासशील और प्रशान्त द्वीपीय देशों में पाँच फ़ीसदी से भी कम आबादी के बाद उच्च-गति वाले और किफ़ायती इंटरनेट की सुविधा है.

महिलाओं व लड़कियों के लिये इंटरनेट सुविधाओं की उपलब्धता पुरुषों की तुलना में कम है – चाहे वे किसी भी स्थान पर हों, उनकी आय या उम्र कुछ भी हो.  

इण्डोनेशिया के अनुसन्धान और प्रौद्योगिकी मन्त्री व अनुसन्धान और नवाचार की राष्ट्रीय एजेंसी के अध्यक्ष, बाम्बाँग ब्रोज़ेनोगोरो ने कहा, “हमें कोविड-19 महामारी से पहले हुए डिजिटल परिवर्तन में तेज़ी लाने की आवश्यकता है. हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि गुणवत्ता वाला दूरसंचार ढाँचा उपलब्ध कराया जाए.” 

समिति ने किसी को भी पीछे ना छूटने देने के संयुक्त राष्ट्र के लक्ष्य के मद्देनज़र सतत विकास के लिये समावेशी प्रौद्योगिकी और नवाचार नीतियों के लिए दिशा-निर्देशों पर चर्चा की. 

समावेशी प्रौद्योगिकी और नवाचार को बढ़ावा देने वाली ऐसी नीतियों के प्रति प्रतिबद्धता ज़ाहिर की गई है जिनके ज़रिये यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि नवाचार सभी के लिये सुलभ, प्रासंगिक और सस्ता हो.

समिति ने सामाजिक और पर्यावरणीय चुनौतियों का समाधान करने के साथ-साथ आर्थिक अवसर प्रदान करने के लिये नवाचार विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करने के वास्ते निजी क्षेत्र की उद्यमशीलता के महत्व को रेखांकित किया है.

समिति ने बताया कि कोविड-19 महामारी के ख़िलाफ़ जवाबी कार्रवाई में सामाजिक नवप्रवर्तनकर्ताओं (Innovators) और उद्यमियों ने अनेक क़दम उठाए हैं जिनसे उनकी भूमिका पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गई है.

इनमें कमज़ोर तबके को शैक्षिक प्रौद्योगिकी और ई-स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करने से लेकर, संक्रमितों के सम्पर्क में आए लोगों की खोज में मदद जैसी पहल शामिल हैं. 

इस क्रम में समिति ने नवोन्मेषी व्यावसायिक मॉडल की भूमिका को अहम माना है जिनसे सामाजिक उद्यमों, समावेशी व्यवसायों और प्रभावित क्षेत्र में निवेश के माध्यम से टिकाऊ विकास लक्ष्यों पर प्रगति तेज़ की जा सकती है.

समिति ने संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों से इस नए व उभरते हुए क्षेत्र को विकसित करने में सहयोग देने की अपील की है.