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अभूतपूर्व समय में असाधारण परिस्थितियों में काम कर रहे राहतकर्मियों की सराहना

मैरी-रोज़लिन डारनायका बेलिज़ायर विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ एक महामारी विशेषज्ञ के तौर पर काम कर रही हैं और कॉँगो लोकतांत्रिक गणराज्य में इबोला पर क़ाबू पाने के प्रयासों में जुटी हैं.
WHO/Lindsay Mackenzie
मैरी-रोज़लिन डारनायका बेलिज़ायर विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ एक महामारी विशेषज्ञ के तौर पर काम कर रही हैं और कॉँगो लोकतांत्रिक गणराज्य में इबोला पर क़ाबू पाने के प्रयासों में जुटी हैं.

अभूतपूर्व समय में असाधारण परिस्थितियों में काम कर रहे राहतकर्मियों की सराहना

मानवीय सहायता

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने ‘विश्व मानवीय दिवस’ पर अपने सन्देश में उन राहतकर्मियों के प्रति आभार जताया है जो विकराल चुनौतियों के बावजूद कोविड-19 और अन्य संकटों से जूझ रहे लाखों-करोड़ों लोगों की ज़िंदगियों को बचाने और बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं. यूएन प्रमुख ने ध्यान दिलाया है कि ख़ामोशी से काम कर रहे सहायताकर्मी  एक बेहद मुश्किल दौर में असाधारण कार्य कर रहे हैं. 

अपने वीडियो सन्देश में यूएन प्रमुख ने निडर सहायताकर्मियों, स्वास्थ्यकर्मियों और पहली पाँत में खड़े राहतकर्मियों के प्रति अपने समर्थन व आभार को व्यक्त करने की पुकार लगाई है जो अभूतपूर्व ज़रूरत के इस समय में एकजुटता और मानवीयता दर्शाते हैं.

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“वास्तविक जीवन के ये नायक असाधारण समय में उन महिलाओं, पुरुषों और बच्चों की मदद के लिए असाधारण काम कर रहे हैं जिनकी ज़िंदगियों को संकटों ने हिलाकर रख दिया है.”

उन्होंने कहा कि रोज़गार, शिक्षा, भोजन, जल और सुरक्षा की कमी लाखों-करोड़ों को मुश्किल हालात की ओर धकेल रही है. 

“वे कोविड-19 से उपजे वैश्विक संकट और विश्वव्यापी महामारी से मानवीय राहत ज़रूरतों में हुई व्यापक बढ़ोत्तरी से निपटने की कार्रवाई में जुटे हैं.”  

महासचिव गुटेरेश ने कहा कि दिसम्बर 2020 में वायरस के उभरने के बाद उसके फैलाव की गति कम करने के लिए आवाजाही सम्बन्धी पाबंदियाँ लगाई गई हैं.

इस वजह से जवाबी कार्रवाई की पहली ज़िम्मेदारी समुदायों, नागरिक समाज और स्थानीय संगठनों के कन्धों पर आ गई है. 

यूएन प्रमुख ने कहा कि अपने मेज़बान समुदायों की मदद करने वाले शरणार्थी, बीमारों की देखभाल करने वाले और बच्चों को वैक्सीन देने वाले स्थानीय स्वास्थ्यकर्मी, और हिंसक संघर्ष से प्रभावित इलाक़ों में भोजन, जल व दवाओं की सुलभता के लिए प्रयासरत सहायताकर्मी अक्सर ख़ुद ज़रूरतमन्द होते हैं लेकिन संकट की इस घड़ी में वे अन्य लोगों की सहायता कर रहे हैं.

उन्होंने बताया कि महामारी के ख़िलाफ़ जवाबी कार्रवाई में वो ऐसे नायक हैं जो ख़ामोशी से अपना काम करते हैं और दूसरों के जीवन को बचाने के लिए अक्सर अपनी ज़िंदगी जोखिम में डालते हैं. 

अग्रिम मोर्चे पर त्याग

विश्व मानवीय दिवस हर वर्ष 19 अगस्त को उन मानवीय राहतकर्मियों की स्मृति में मनाया जाता है जो अपनी ज़िम्मेदारियों को निभाते हुए हताहत हो गए. 

इस दिवस पर उन सभी राहतकर्मियों व स्वास्थ्यकर्मियों को श्रृद्धांजलि दी जाती है जो तमाम मुश्किलों के बावजूद ज़रूरतमन्दों तक जीवनरक्षक मदद और संरक्षण सुनिश्चित करते हैं.

19 अगस्त 2003 को इराक़ की राजधानी बग़दाद के कैनाल होटल में एक बम धमाके में इराक़ में यूएन के विशेष प्रतिनिधि सर्गियो वियेरा डेमेलो सहित 22 लोगों की मौत हो गई थी. 

वर्ष 2009 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने एक प्रस्ताव पारित कर 19 अगस्त को विश्व मानवीय दिवस के रूप में मनाए जाने की घोषणा की थी. 

सहायताकर्मियों पर बढ़ते हमले 

मानवीय राहत मामलों में समन्वय के लिए संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (UNOCHA) ने बुधवार को बताया कि दुनिया भर में राहत व स्वास्थ्यकर्मियों पर हमलों की घटनाएँ बढ़ रही हैं.

हाल के हफ़्तों में निजेर और कैमरून में हुए हमलों में राहतकर्मियों की मौत हुई है. कोरोनावायरस संकट के शुरू होने के बाद से अनेक देशों में स्वास्थ्यकर्मियों पर हमले हुए हैं. 

पहले के वर्षों की तुलना में वर्ष 2019 में राहतकर्मियों पर ज़्यादा हमले हुए हैं और 2018 के मुक़ाबले पीड़ितों की संख्या 18 फ़ीसदी बढ़ी है.

कुल 483 राहतकर्मियों पर हमले हुए, 125 की मौत हुई, 234 घायल हुए जबकि 277 अलग-अलग घटनाओं में 124 को अगवा कर लिया है. 

अधिकाँश हमले सीरिया, दक्षिण सूडान, कॉँगो लोकतांत्रिक गणराज्य, अफ़ग़ानिस्तान और मध्य अफ़्रीकी गणराज्य मे हुए हैं.