कोविड-19: ‘वैक्सीन राष्ट्रवाद’ के ख़िलाफ़ चेतावनी, न्यायसंगत वितरण पर बल

विश्वव्यापी महामारी कोविड-19 की रोकथाम के लिए असरदार वैक्सीन विकसित करने के प्रयासों के बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के महानिदेशक डॉक्टर टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने “वैक्सीन राष्ट्रवाद” के ख़तरे के प्रति सचेत किया है. उन्होंने दोहराया है कि कोरोनावायरस संकट पर पार पाने के लिए वैश्विक एकजुटता बेहद अहम है और कोई भी कहीं भी तब तक सुरक्षित नहीं है जब तक हर एक हर जगह सुरक्षित नहीं है.
यूएन एजेंसी के प्रमुख ने मंगलवार को पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए बताया कि उन्होंने सदस्य देशों को एक पत्र लिखकर उनसे वैश्विक वैक्सीन सुविधा ‘COVAX’ में शामिल होने का आग्रह किया है.
Media briefing on #COVID19 with @DrTedros https://t.co/iawmEC7AtJ
WHO
यह एक ऐसी प्रणाली है जिसके ज़रिये निर्धन और धनी, सभी देशों में असरदार टीकाकरण सुनिश्चित करने की व्यवस्था की जाएगी.
उन्होंने कहा, “वैसे तो नेताओं की पहली इच्छा अपने लोगों की रक्षा करने की है, लेकिन महामारी के ख़िलाफ़ कार्रवाई को सामूहिक रखना होगा.”
“सीमित आपूर्ति को रणनीतिक ढँग से वैश्विक स्तर पर साझा करना असल में हर देश के राष्ट्र हित में है.”
वैश्विक वैक्सीन सुविधा ‘COVAX’ अप्रैल 2020 में यूएन स्वास्थ्य एजेंसी द्वारा शुरू की गई ACT-Accelerator नामक उस पहल का हिस्सा है जिसका लक्ष्य कोविड-19 की रोकथाम व उपचार के लिए प्रभावी वैक्सीन व दवाओं को विकसित करना है.
इस पहल में वैक्सीन एलायंस GAVI, महामारी से निपटने के तैयारी में अभिनव समाधानों के गठबंधन (Coalition for Epidemic Preparedness Innovations) और विश्व स्वास्थ्य संगठन के अलावा बहुराष्ट्रीय व देशीय वैक्सीन निर्माता शामिल हैं.
यूएन एजेंसी के वरिष्ठ सलाहकार डॉक्टर ब्रूस एलवर्ड ने बताया कि इस पहल के माध्यम से ज़्यादा से ज़्यादा देशों के सहयोग के ज़रिये कोविड-19 वैक्सीन विकसित करने, ख़रीदे जाने और आवंटित करने की व्यवस्था की जाएगी.
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी में 194 सदस्य देश हैं और अब तक 170 से ज़्यादा देशों ने इस सिलसिले में अपनी दिलचस्पी ज़ाहिर की है.
इस दिशा में समझौते की शर्तों को अन्तिम रूप दिया जा रहा है और देशों से 31 अगस्त तक उनके रुख़ की पुष्टि की प्रतीक्षा की जा रही है.
दुनिया भर में मंगलवार तक कोविड-19 संक्रमणों के दो करोड़ 17 लाख मामलों की पुष्टि हो चुकी है और सात लाख 71 हज़ार से ज़्यादा लोगों की मौत हुई है.
यूएन एजेंसी प्रमुख ने बताया कि दुनिया के अनेक देशों में जीवनरक्षक मेडिकल सामग्री की खेप भेज जाने में व्यवस्थागत बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है.
ग़ौरतलब है कि पिछले आठ महीनों में मास्क, गाउन और अन्य निजी बचाव सामग्री व उपकरणों की माँग में भारी बढ़ोत्तरी हुई है.
तालाबंदी, हवाई यातायात में रूकावट और निर्यात पाबंदियों से बचाव सामग्री व उपकरणों के उत्पादन और वितरण पर असर पड़ा है लेकिन ऐसे भी मामले सामने आए हैं जिनमें देशों ने महत्वपूर्ण मेडिकल सामग्री की घरेलू इस्तेमाल के लिए माँग की है.
उन्होंने कहा कि आपूर्ति राष्ट्रवाद से विश्वव्यापी महामारी का असर और गहरा हुआ है जिससे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला (सप्लाई चेन) प्रभावित हुई है.
महानिदेशक घेबरेयेसस ने कहा कि इन ख़ामियों से लिए गए सबक से वैक्सीन व दवाओं के कारगर वितरण को सम्भव बनाने में मदद मिलेगी.