बेरूत में विस्फोट से 'अभूतपूर्व' क्षति, जवाबदेही तय करने की माँग

संयुक्त राष्ट्र के स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने लेबनान की राजधानी बेरूत में हुए भीषण विस्फोट के लिए न्याय की पुकार लगाई है और स्थानीय जनता की ओर से इस घटना की जवाबदेही तय किए जाने की माँग की है. 4 अगस्त को बेरूत बन्दरगाह पर विस्फोट से 200 से ज़्यादा लोगों की मौत हो गई थी और हज़ारों लोग घायल और बेघर हो गए थे. अनेक लोग अब भी लापता बताए गए हैं.
यूएन मानवाधिकार विशेषज्ञों ने गुरुवार को एक साझा बयान जारी कर कहा, “इस घातक विस्फोट का दायरा और असर अभूतपूर्व है.”
The colossal deadly explosion in #Beirut requires a prompt and independent investigation that:🔹underscores international human rights obligations🔸clarifies responsibilities related to the explosion🔹leads to justice & accountability– UN experts 👉 https://t.co/bVpuaSG0ad pic.twitter.com/mcnPnmewtd
UN_SPExperts
“हम ग़ैरज़िम्मेदारी और मानव व पर्यावरणीय विनाश की इस व्यापकता के प्रति दण्डमुक्ति की भावना के स्तर से चिन्तित हैं.”
लेबनान की राजधानी बेरूत में इस विस्फोट से पहले ही देश कोविड-19 महामारी और राजनैतिक, आर्थिक व वित्तीय संकट से जूझ रहा था. बतया गया है कि मौजूदा माहौल में मानवाधिकार हनन के मामलों में तेज़ी आई है और बेरूत में लोग पीड़ा में हैं.
यूएन विशेषज्ञों ने तत्काल सहायता, सहारे व पीड़ितों को मुआवज़े की अपील की है और आगाह किया है कि ऐसा करते समय भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए.
बेरूत बन्दरगाह पर अनाज भण्डारण की व्यवस्था लगभग पूरी तरह बर्बाद हो गई है और स्वास्थ्य सेवाओं पर भी भारी असर हुआ है. लेबनान बड़ी मात्रा में भोजन के आयात पर निर्भर है और इन हालात में खाद्य सुरक्षा के प्रति भी चिन्ता जताई गई है.
विस्फोट के बाद हानिकारक कणों के हवा में घुलने से स्वास्थ्य के लिए जोखिम पैदा हुआ है और पर्यावरण को भी नुक़सान पहुँचा है.
विशेष रैपोर्टेयर ने स्पष्ट किया है कि लेबनान की जनता के पास घटना की सटीक जानकारी पाने का अधिकार है और उन्हें बताया जाना होगा कि इस विस्फोट से किस प्रकार के स्वास्थ्य व पर्यावरणीय जोखिम पैदा हुए हैं.
बेरूत में इस घटना ने देश में प्रणालीगत ख़ामियों, सुशासन की कमी और व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार के आरोपों को भी उजागर कर दिया है.
स्वतंत्र विशेषज्ञों ने कहा कि इस घटना से सभी लोगों के मानवाधिकारों की बिना भेदभाव के रक्षा सुनिश्चित किए जाने के प्रयास विफल हुए हैं. इनमें जीवन का अधिकार, निजी आज़ादी, स्वास्थ्य, आवास, भोजन, जल, शिक्षा और स्वस्थ पर्यावरण का अधिकार हैं.
उन्होंने चिन्ता जताई है कि इस त्रासदी से कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका में दरारें सामने आएँगी जिससे असरदार उपाय सुनिश्चित करने के रास्ते में देरी होगी.
मानवाधिकार विशेषज्ञों ने विश्वसनीय व स्वतंत्र जाँच की माँग की है और सभी दावों को परखे जाने और मानवाधिकारों की रक्षा में विफलता के कारणों की समीक्षा की ज़रूरत दोहराई है.
उन्होंने कहा है कि जाँच-पड़ताल में पीड़ितों, प्रत्यक्षदर्शियों उनके साथियों व परिजनों की गवाही के दौरान निजता और गोपनीयता का ख़याल रखा जाना होगा और उसके निष्कर्षों व सिफ़ारिशों को सार्वजनिक किया जाना होगा.
स्पेशल रैपोर्टेयर और वर्किंग ग्रुप संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की विशेष प्रक्रिया का हिस्सा हैं. ये विशेष प्रक्रिया संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार व्यवस्था में सबसे बड़ी स्वतंत्र संस्था है. ये दरअसल परिषद की स्वतंत्र जाँच निगरानी प्रणाली है जो किसी ख़ास देश में किसी विशेष स्थिति या दुनिया भर में कुछ प्रमुख मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करती है. स्पेशल रैपोर्टेयर स्वैच्छिक रूप से काम करते हैं; वो संयक्त राष्ट्र के कर्मचारी नहीं होते हैं और उन्हें उनके काम के लिए कोई वेतन नहीं मिलता है. ये रैपोर्टेयर किसी सरकार या संगठन से स्वतंत्र होते हैं और वो अपनी निजी हैसियत में काम करते हैं.