बेरूत विस्फोट: यूएन एजेंसी भोजन की क़िल्लत से बचने के प्रयासों में जुटी
विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) लेबनान में भीषण विस्फोट के बाद भोजन की क़िल्लत होने की आशंका के बीच हालात से निपटने के लिये अपने प्रयास तेज़ कर रहा है. आर्थिक संकट और कोविड-19 महामारी से जूझ रहे देश में बेरूत बन्दरगाह पर हुए विस्फोट से भारी नुक़सान हुआ है और अनेक इमारतों के साथ खाद्य भण्डारण की व्यवस्था पर भी बुरा असर पड़ा है, जिन्हें पुनर्बहाल करने का प्रयास किया जा रहा है.
यूएन एजेंसी प्रमुख डेविड बीज़ली ने बुधवार को बताया कि विश्व खाद्य कार्यक्रम 17 हज़ार 500 मीट्रिक टन गेहूँ का आटा और तीन महीने के लिये ज़रूरी अनाज की आपूर्ति करेगी ताकि खाद्य भण्डारों को मज़बूत बनाया जा सके.
भोजन राहत सामग्री की पहली खेप अगले 10 दिनों के भीतर वहाँ पहुँचने की उम्मीद है.
डेविड बीज़ली ने लेबनान में तीन दिन गुज़ारने के बाद बताया, “विस्फोट से हुई तबाही की व्यापकता को तब तक समझना मुश्किल है जब तक आपने उसे ख़ुद ना देखा होगा. मेरे लिये यह हृदयविदारक है.”
“बन्दरगाह पर विस्फोट के कारण हज़ारों लोग बेघर और भूखे हैं. विश्व खाद्य कार्यक्रम सबसे निर्बलों की मदद और देश में अनाज की क़िल्लत की रोकथाम के लिये तेज़ी से काम कर रहा है.”
लेबनान में डेविड बीज़ली ने बेरूत और त्रिपोली के बन्दरगाहों का दौरा किया और वहाँ भोजन वितरण व सामुदायिक रसोइयों व अन्य राहत कार्यों का जायज़ा लिया जिन्हें यूएन एजेंसी का साझीदार संगठन संचालित कर रहा है.
कार्यकारी निदेशक बीज़ली अस्पताल में भर्ती विश्व खाद्य कार्यक्रम के उन कर्मचारियों से भी मिले जो इस विस्फोट में घायल हो गए थे.
आपदा को टालने का प्रयास
लेबनान में जारी त्वरित राहत कार्यों के तहत भण्डारगृह और अनाज भण्डारण की सुविधा स्थापित किये जाने की भी व्यवस्था की जा रही है.
लेबनान अपने 85 फ़ीसदी भोजन के लिये आयात पर निर्भर है और इस दृष्टि से बेरूत बन्दरगाह की अहम भूमिका है जो इस विस्फोट में बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुआ है.
यूएन एजेंसी ऐसे उपकरणों का भी इन्तज़ाम करने में जुटी है जिनके इस्तेमाल से बन्दरगाह को आंशिक रूप से कामचलाऊ बनाया जा जा सकता है ताकि अनाज का आयात करना सम्भव हो सके.
एक अन्य विमान में जैनरेटर, मोबाइल भण्डारण सुविधा का प्रबन्ध किया जा रहा है.
यूएन एजेंसी प्रमुख ने बताया कि बन्दरगाह का जायज़ा लेने के बाद हमें विश्वास है कि हम यहाँ जल्द ही एक आपात अभियान चलाने के लिये ज़रूरी इन्तज़ाम कर लेंगे.
विश्व बैंक के आँकड़ों के मुताबिक लेबनान में दस लाख लोग फ़िलहाल ग़रीबी रेखा से नीचे रह रहे हैं. यूएन एजेंसी उन परिवारों की भी मदद कर रही है जो आर्थिक संकट और कोविड-19 के दौरान तालाबन्दी से प्रभावित हुए हैं.
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अब तक प्रभावितों तक मदद पहुँचाने के लिये डेढ़ लाख खाद्य सामग्री के पार्सल की व्यवस्था की गई है.
बेरूत विस्फोट के बाद दो स्थानीय सामुदायिक रसोईघरों में सामग्री वितरित की गई है और पीड़ितों व स्वैच्छिक कार्यकर्ताओं को भोजन दिया जा रहा है.
इसके समानान्तर यूएन एजेसीं अपने नक़दी सहायता कार्यक्रम का भी विस्तार करने की योजना बना रही है जिसके ज़रिये फ़िलहाल एक लाख से ज़्यादा लोगों की सहायता की जा रही है.
इस योजना का लक्ष्य देश भर में 10 लाख लोगों तक पहुँचना है जिनमें वे लोग भी शामिल हैं जो बेरूत विस्फोट से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. इस व्यवस्था को चलाने, आपूर्ति श्रृंखला में मदद सहित आपात सहायता कार्यों के लिये यूएन एजेंसी को 23 करोड़ डॉलर की रक़म की आवश्यकता होगी.
इस बीच संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) बेरूत विस्फोट के बाद विस्थापित सवा लाख महिलाओं व लड़कियों की मदद करने के लिये प्रयास तेज़ कर रहा है. इनमें लगभग चार हज़ार महिलाएँ जल्द ही माँ बन सकती हैं.
विस्फोट में बहुत से जच्चा-बच्चा अस्पताल व प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों को क्षति पहुँची है इसलिये गर्भवती महिलाओं को ज़रूरी सेवाएँ सुनिश्चित करने के लिये काम किया जा रहा है.
इस क्रम में यूएन एजेंसी ने लगभग दो करोड़ डॉलर की अपील जारी की है ताकि यौन व प्रजनन सेवाएँ, परिवार नियोजन व अन्य स्वास्थ्य सेवाएँ सुचारू रूप से जारी रखी जा सकें.