बेरूत विस्फोट: लेबनान को हरसम्भव सहायता का संकल्प
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने लेबनान में पिछले सप्ताह हुए भीषण विस्फोट के बाद स्थानीय जनता के साथ एकजुटता ज़ाहिर करते हुए भरोसा दिलाया है कि यूएन और उसके साझीदार संगठन प्रभावितों तक आपात राहत पहुँचाने के काम में दिन-रात जुटे हैं. यूएन प्रमुख ने विस्फोट के कारणों की तह तक जाने व जवाबदेही तय करने के लिए घटना की विश्वसनीय व पारदर्शी जाँच कराए जाने का आग्रह किया है.
सोमवार को एक वर्चुअल बैठक में संयुक्त राष्ट्र के उच्चस्तरीय अधिकारियों ने बताया कि ज़मीनी स्तर पर यूएन एजेंसियाँ राहत अभियान को किस तरहआगे बढ़ा रही हैं.
पिछले मंगलवार को बेरूत बन्दरगाह पर एक भीषण विस्फोट से 150 से ज़्यादा लोगों की मौत हुई थी और हज़ारों घायल हुए थे.
विस्फोट से शहर के अनेक इलाक़ों में इमारतों व घरों को नुक़सान पहुँचा है और घटना के एक सप्ताह बीतने के बावजूद कईं लोग अब भी लापता बताए गए हैं.
महासचिव गुटेरेश ने कहा, “विस्फोट वास्तव में स्तब्ध कर देने वाला था. एक ही पल में महत्वपूर्ण बुनियादी ढाँचा ध्वस्त हो गया और नज़दीक व दूर तक खिड़कियाँ चकनाचूर हो गईं.”
“हज़ारों लोग अब बेघर हैं. तीन अस्पतालों में काम ठप है और दो अन्य को ख़ासी क्षति पहुँची है.”
यूएन प्रमुख ने स्पष्ट किया कि इस विस्फोट के आर्थिक व सामाजिक झटके आने वाले समय में भी महसूस किए जाते रहेंगे.
इस बीच न्यूज़ रिपोर्टों के मुताबिक लेबनान के प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय टैलीविज़न पर सोमवार शाम उनके नेतृत्व वाली सरकार के इस्तीफ़े की घोषणा की है.
राहत अभियान में गति
यूएन प्रमुख ने बताया कि विस्फोट प्रभावित लोगों व समुदायों तक ज़रूरी मदद पहुँचाने के लिए संयुक्त राष्ट्र व्यापक स्तर पर प्रयास कर रहा है.
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने बुधवार को 20 टन मेडिकल सप्लाई बेरूत भेजी है और हज़ारों घायलों के इलाज के लिए मदद प्रदान की जा रही है.
विस्फोट के कुछ ही घण्टे बाद लेबनान में यूएन की प्रतिनिधि ने मानवीय राहत कोष से तात्कालिक ज़रूरतों को पूरा करने क लिए 90 लाख डॉलर की धनराशि जारी की थी. शुक्रवार को आपात राहत समन्वयक ने केंद्रीय आपात राहत कोष से 60 लाख डॉलर जारी किए.
विश्व खाद्य कार्यक्रम भोजन की किल्लत ना होने देने के लिए बेकरी और मिलों के लिए अनाज और आटे का आयात कर रहा है. ग़ौरतलब है कि बेरूत बन्दरगाह पर हुए विस्फोट से अनाज के भण्डार भी बर्बाद हो गए थे.
बेरूत में मौजूद यूएन एजेंसी के प्रमुख डेविड बीज़ली ने बताया कि देश में 85 फ़ीसदी भोजन का आयात किया जाता है और उसे लाने का ज़रिया बन्दरगाह था जो अब बर्बाद हो गया है.
उन्होंने उम्मीद जताई कि बन्दरगाह को अगले दो-तीन हफ़्तों में आंशिक रूप से कामकाज के लायक बनाया जा सकता है.
मज़बूत इच्छाशक्ति
महासचिव गुटेरेश ने बताया कि लेबनान को एक बड़ी विपत्ति का सामना करना पड़ रहा है लेकिन इसे झेलने के लिए देश के पास विशाल इच्छाशक्ति व जज़्बा है.
उन्होंने भरोसा दिलाया कि इस मुसीबत के समय लेबनान अकेला नहीं है - पीड़ा से उबारने और पुनर्बहाली के लिए संयुक्त राष्ट्र खड़ा है.
महासचिव गुटेरेश ने ज़ोर देकर कहा कि यह क्षण एकजुटता व हालात को बेहतरी के लिए बदलने का है.
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उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि यह समय दुख और हताशा का है - लेबनान की जनता के ग़ुस्से को महसूस किया जा सकता है और लोगों की आवाज़ों को सुना जाना होगा.
यूएन प्रमुख ने विस्फोट के कारणों की विश्वसनीय व पारदर्शी जाँच कराए जाने का आग्रह किया है ताकि लेबनान की जनता की माँग के अनुरूप इस घटना के लिए जवाबदेही को तय किया जा सके.
तीन चरणों में अभियान
सोमवार को हुई बैठक की अध्यक्षता कर रहे मानवीय राहत मामलों में समन्वय के लिए यूएन कार्यालय के प्रमुख मार्क लोकॉक ने बताया कि राहत कार्रवाई तीन चरणों में होगी और पहले चरण में तेज़ी से फ़ौरी तौर पर मदद पहुँचाई जा रही है.
दूसरे चरण में पुनर्बहाली और पुनर्निर्माण पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा जिसमें अरबों डॉलर और सार्वजनिक व निजी वित्तीय संसाधनों की की आवश्यकता होगी.
तीसरे चरण में लेबनान में पहले से मौजूद सामाजिक-आर्थिक संकटों से निपटने का प्रयास किए जाएगा जिस वजह से कोविड-19 महामारी के ख़िलाफ़ लड़ाई भी प्रभावित हो रही है.
उन्होंने कहा कि पिछले मंगलवार को हुए विस्फोट ने यह धारणा ध्वस्त कर दी है कि लेबनान में सब कुछ ठीक है.
लेबनान में संयुक्त राष्ट्र की प्रतिनिधि नजत रोश्दी ने बताया कि विस्फोट से बेरूत में भारी तबाही हुई थी और लोगों में भय व पीड़ा का माहौल है.
उनके मुताबिक क्षति इतने बड़े पैमाने पर है कि शहर का आर्थिक केंद्र, वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों और नागरिक प्रतिष्ठानों में कोई भी इसके असर से नहीं बचा है.
इन चुनौतीपूर्ण हालात में उन्होंने संयुक्त राष्ट्र व अन्य ग़ैरसरकारी संगठनों के प्रयासों की सराहना की है जो घटना के तुरन्त बाद प्रभावितों तक राहत पहुँचाने में जुट गए थे.
उन्होंने कहा कि यूएन और उसके साझीदार संगठनों की टीमें यहाँ लोगों की ज़रूरतों का ख़याल करने के लिए हैं और यह लेबनान की जनता के प्रति उनका फ़र्ज़ है.