लेबनान विस्फोट: 'त्वरित कार्रवाई से ही तकलीफ़ें कम की जा सकेंगी'

संयुक्त राष्ट्र की उप महासचिव आमिना जे मोहम्मद ने कहा है कि लेबनान को विस्फोक से उत्पन्न हुए संकट उबरने और बेहतर तरीक़े से पुनर्निर्माण करने के लिये “हम सभी को एकजुट होने की ज़रूरत होगी”. रविवार को दानदाताओं के एक वर्चुअल सम्मेलन में आमिना जे मोहम्मद ने ये पुकार लगाई.
ये सम्मेलन मंगलवार, 4 अगस्त को राजधानी बेरूत में बन्दरगाह पर हुए भीषण विस्फोट से हुई भारी तबाही से उबरने के वास्ते अन्तरराष्ट्रीय सहायता सक्रिय करने के लिये बुलाया गया था.
विस्फोट में लगभग 150 लोगों की मौत हो गई है और हज़ारों अन्य घायल हुए हैं, साथ ही लगभग पूरे शहर में भारी तबाही ही है.
यूएन महासचिव आमिना जे मोहम्मद दानदाताओं के सम्मेलन में कहा बेरूत बम विस्फोट ने दुनिया को दहला दिया है.
पड़ोसी इलाक़े ध्वस्त हो गए हैं और लेबनान के बहुत बड़े अनाज भण्डार भी तबाह हो गए हैं. छह अस्पताल या तो क्षतिग्रस्त हुए हैं या तबाह हो गए हैं. लाखों लोग बेघर हो गए हैं जिनमें बहुत से बच्चे हैं.
इस दानदाता सम्मेलन का आयोजन फ्रांस के राष्ट्रपति एमेनुएल मैक्राँ और संयुक्त राष्ट्र ने मिलकर किया था.
उप महासचिव ने विस्फोट में अपने परिजनों को गँवाने वाले लोगों के साथ शोक प्रकट किया और हज़ारों अन्य घायलों के जल्द स्वस्थ होने की कामना भी की.
साथ ही उन्होंने कहा, “सबसे ऊपर, मैं ये संकल्प व्यक्त करती हूँ कि संयुक्त राष्ट्र लेबनान के लोगों की हर तरह से मदद करने के लिये प्रतिबद्ध है.”
विस्फोट के बाद से संयुक्त राष्ट्र की पूरी व्यवस्था रात-दिन सहायता कार्यों में सक्रिय है र चिकित्सा आपूर्ति, आवास किट व खाद्य पदार्थों के पैकेट वितरित किये जा रहे हैं.
बिछड़े हुए लोगों को उनके प्रियजनों से मिलाने के इन्तेज़ाम किये जा रहे हैं.
उप महासचिव आमिना जे मोहम्मद ने दानदाताओं का शुक्रिया भी अदा किया जिसकी बदौलत संयुक्त राष्ट्र तुरन्त सहायता कार्यों में सक्रिय हो सका है.
उन्होंने कहा, “वित्तीय समर्थन बहुत तेज़ी से मिला – ख़ासतौर से क्षेत्रीय साझादीरों से, जिसके कारण सहायता कार्य असाधारण तेज़ी से चले जिनके अच्छे नतीजे देखने को मिले. लेकिन, ज़ाहिर है कि अभी ये शुरुआत भर है.”
उप महासचिव आमिना जे मोहम्मद ने कहा कि मकानों और सार्वजनिक बुनियादी ढाँचे को भारी नुक़सान पहुँचा है, इसलिये नुक़सान से उबरने के प्रयास भी उसी स्तर के होने चाहिये.
नुक़सान से उबरने और पुनर्निर्माण के लिये सहायता कार्यों की तात्कालिकता और व्यापकता व काफ़ी धन की ज़रूरत है जोकि संयुक्त राष्ट्र की मानवीय सहायता व्यवस्था के दायरे से कहीं ज़्यादा है. इसलिये यूएन की विभिन्न एजेंसियों के साथ-साथ अन्य अनेक साझीदारों को भी काम करना होगा.
उन्होंने कहा, "लेबनान को इस तबाही से उबरने और बेहतर पुनर्निर्माण करने के प्रयासों में सभी को मदद करनी होगी. हम जितनी तेज़ी से कार्रवाई करेंगे, उतनी ही जल्दी और बेहतर तरीक़े से हम इन्सानों की तकलीफ़ें दूर कर सकेंगे."
"हमें ये नहीं भूलना चाहिये कि लेबनान में जो बन्दरगाह उस विस्फोट में तबाह हुआ है, उसके ज़रिये मानवीय सहायता सामग्री सीरिया में भी पहुँचाई जाती है."
उप महासचिव ने कहा कि विस्फोट की धुन्ध जैसे-जैसे शान्त होगी, उसके बाद ही नुक़सान का सही-सही अन्दाज़ा लगेगा. लेबनान में यूएन रैज़िडेंट कोऑर्डिनेटर के नेतृत्व में पूरी यूएन विकास प्रणाली देश की सरकार की मदद करने के लिये पूरी तरह से आपदा स्थिति में सक्रिय कर दी गई हैं.
"संयुक्त राष्ट्र नाज़ुक हालात का सामना कर रहे लोगों की स्थिति मज़बूत करने के लिये काम करेगा ताकि सामाजिक-आर्थिक संकट उत्पन्न होने से टाला जा सके, और हम ऐसा करने में पूरी तरह सक्षम हैं."
उन्होंने कहा कि दार्घकालीन लक्ष्यों पर भी ध्यान केन्द्रित करना होगा ताकि इस विस्फोट की तबाही से उबरने के प्रयास लेबनान के लिये एक नया अध्याय बन सकें.
उप महासचिव ने चार क्षेत्रों में प्राथमिकता से काम किया जाने का आहवान किया - स्वास्थ्य, खाद्य, इमारतों की मरम्मत और स्कूलों की बहाली. साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि लेबनान सरकार द्वारा लागू किया जा रहे सुधारों की महत्ता को भी ध्यान में रखना होगा जिनसे लोगों की दीर्घकालीन ज़रूरतें पूरी होंगी.
उप महासचिव ने वर्चुअल सम्मेलन को अपने सम्बोधन के अन्त में उन सभी को धन्यवाद कहा जिन्होंने इसमें शिरकत करके लेबनान को समर्थन दिखाया, साथ ही अन्य नेताओं से भी एकजुटता के अन्तरराष्ट्रीय प्रयासों में शामिल होने का भी आग्रह किया.
उन्होंने कहा कि लेबनान की सरकार और वहाँ के लोगों के लिये दुनिया भर से समर्थन मिला है. बेरूत और लेबनान के लोगों की तात्कालिक ज़रूरतों को पूरा करने के लिये पर्याप्त मात्रा में संसाधन लगाए जा रहे हैं.
ये एकजुटता व समर्थन उस भावना को पुष्टि व मज़बूती प्रदान करते हैं जिसके साथ 75 वर्ष पहले संयुक्त राष्ट्र की स्थापना हुई थी, ख़ासतौर से कोविड-19 महामारी जैसे हालात में इस संगठन का वजूद और भी ज़्यादा प्रासंगिक है.
आमिना जे मोहम्मद ने ज़ोर देकर कहा कि इसके बावजूद लेबनान को इस हादसे से उबरने के लिये अभी और ज़्यादा संसाधनों, प्रयासों और समर्थन व सहायता की ज़रूरत होगी.
संयुक्त राष्ट्र का मानवीय सहायता कार्यों का कार्यालय (OCHA) ज़मीनी स्थिति का लगातार आकलन करने के साथ-साथ मानवीय ज़रूरतों का भी अन्दाज़ा लगाता रहेगा.
लेबनान में संयुक्त राष्ट्र की टीम दीर्घकालीन पुनर्बहाली और पुनर्निर्माण कार्यों में सहायता के लिये विश्व बैंक व अन्य साझीदारों के साथ मिलकर काम करती रहेगी.
उप महासचिव ने कहा, "आने वाले दिनों, सप्ताहों और महीनों में, आइये, हम लेबनान और वहाँ के लोगों की ज़रूरतों पर ध्यान केन्द्रित करने का संकल्प लें, इनमें बहुत से ऐसे शरणार्थी भी शामिल हैं जिन्हें लेबनान ने अपने यहाँ दरियादिली के साथ पनाह दी हुई है."
उन्होंने ये भी कहा, "आप संयुक्त राष्ट्र पर भरोसा कर सकते हैं."