लेबनान को तत्काल सहायता मुहैया कराने में लगीं यूएन एजेंसियाँ

लेबनान की राजधानी बेरूत में मंगलवार को हुए घातक बम विस्फोट हज़ारों लोग घायल हुए और लाखों लोगों को बेघर भी होना पड़ा, तबाही के स्तर को देखते हुए, संयुक्त राष्ट्र ने प्रभावितों के लिये राहत कार्य तत्काल और बहुत तेज़ी से शुरू किये. संयुक्त राष्ट्र की विशेषीकृत एजेंसियों का व्यापक नैटवर्क एक जुट होकर राजधानी बेरूत में प्रभावित लोगों की मदद करने में लग गया है ताकि लोगों को फिर से उनके पैरों पर खड़ा किया जा सके. अगर आप भी बेरूत के लोगों की मदद करने के बारे में सोच रहे हैं तो हमने यहाँ यूएन एजेंसियों द्वारा किये जा रहे सहायता व राहत कार्यों के बारे में कुछ विवरण प्रस्तुत किया है और आप चाहें तो किस तरह योगदान कर सकते हैं.
यह भी सुनिश्चित किया जा रहा है कि जो धनराशि आपके योगदान से यूएन एजेंसियों को मिलेगी, व ज़रूरतमन्द लोगों तक सही तरीक़े से पहुँच सके.
Lebanon: Following the deadly blast that hit #Beirut on Tuesday, food prices are expected to skyrocket.@WFP is providing support to the country, which is already reeling from a weakened economy & #COVID19. https://t.co/dWFgdLBdY1 pic.twitter.com/ne6GrfiZH5
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यूएन एजेंसियों ने शुक्रवार व सप्ताहान्त भी आपदा सहायता मुहैया कराना जारी रखा है. इसमें लगभग तीन लाख विस्थापित लोगों के लिये अस्थाई निवास और शिविर भी स्थापित किये हैं.
इस भीषण व जानलेवा विस्फोट ने इस ज़रूरत को भी सामने ला खड़ा किया है कि अन्तरराष्ट्रीय समुदाय को लेबनान के प्रभावित लोगों की इस भीषणतम संकट में हर तरह की मदद तत्काल की जाए.
लेबनान के लोग आर्थिक गिरावट, राजनैतिक उथल-पुथल और अनिश्चितता का सामना कर रहे हैं, साथ ही कोविड-19 महामारी के संक्रमण के मामले भी बढ़ रहे हैं. ऐसे में मंगलवार को हुए विस्फोट ने इन तबाहीकुन हालात को और ज़्यादा तकलीफ़देह बना दिया है.
संयुक्त राष्ट्र की मानवीय सहायता कार्यों की एजेंसी के प्रमुख मार्क लोकॉक ने कहा है कि इस भीषण विस्फोट ने एक ऐसे देश को तार-तार कर दिया है जो पहले से ही अन्दरूनी अशान्ति, आर्थिक कठिनाइयों, कोरोनावायरस महामारी का संक्रमण और सीरियाई शरणार्थियों की मौजूदगी के कारण भारी बोझ का सामना कर रहा है.
मानवीय सहायता कार्यों की एजेंसी ने लेबनान में तत्काल सहायता मुहैया कराने के अभियानों में मदद के लिये केन्द्रीय आपदा राहत कोष सो 60 लाख डॉलर की रक़म जारी कर दी है और हर दिन राहत सामग्री की खेपें पहुँच रही हैं.
इस बीच लेबनान में यूएन की रैज़िडेंट कोऑर्डिनेटर नजत रोश्दी ने लेबनान मानवीय सहायता कोष से 90 लाख डॉलर की रक़म जारी की है.
ये रक़म सबसे ज़्यादा प्रभावित लोगों की प्राइमरी स्वास्थ्य ज़रूरतें पूरी करने व खाद्य सामग्री उपलब्ध कराने पर ख़र्च की जा रही है.
नज़त रोश्दी ने यूएन न्यूज़ को भेजे एक वीडियो सन्देश में भरोसा दिलाया कि दुनिया भर से जो भी लोग यूएन एजेंसियों व साझीदार संगठनों को चन्दा देंगे वो रक़म सीधे उन लोगों तक पहुँचाई जाएगी जो इस भीषण विस्फोट के शिकार हुए हैं.
यूएन मानवीय सहायता कार्यों के संयोजक मार्क लोकॉक ने भी कहा है कि जो भी चन्दा मिलेगा उससे लेबनान के लोगों की तकलीफ़ों को दूर करने और उन्हें राहत पहुँचाने के साथ-साथ पुनर्निर्माण कार्य शुरू करने में मदद मिलेगी.
ऐसी चिन्ताएँ सब तरफ़ महसूस की गई हैं कि पहले से ही ख़राब खाद्य उपलब्धता स्थिति, गहन वित्तीय संकट और कोविड-19 महामारी का सामना कर रहे लेबनान में इस भीषण विस्फोट से स्थिति और भी ज़्यादा ख़राब हो जाएगी. ऐसे में विश्व खाद्य कार्यक्रम ने कहा है कि आपदा खाद्य सहायता पहुँचाने के लिये लेबनान में अधिकारियों के साथ तालमेल स्थापित किया जा रहा है.
लेबनान की राजधानी बेरूत में पुनर्निर्माण कार्य शुरू किये जा रहे हैं, ऐसे में विश्व खाद्य कार्यक्रम ने घोषणा की है कि देश भर में खाद्य सामग्री की उपलब्धता बढ़ाने के लिये हर सम्भव मदद की जाएगी जिसमें गेहूँ, आटा और अनाज का आयात किया जाएगा क्योंकि विस्फोट में अनाज को बड़े गोदाम व भण्डार भी तबाव हुए हैं.
विश्व खाद्य कार्यक्रम लेबनान में पहले से ही नक़दी व खाद्य सामग्री उपलब्ध करा रहा है. अब संगठन वहाँ आपूर्ति श्रृंखला बरक़रार रखने और बुनियादी सेवाओं में भी सहायता मुहैया कराएगा.
विश्व खाद्य कार्यक्रम को चन्दा देने के लिये यहाँ क्लिक करें.
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मंगलवार को हुए विस्फोट के एक दिन बाद ही लगभग 20 टन स्वास्थ्य सामान घायलों की मदद के लिये भेजा जो 1000 ट्रॉमा और 1000 सर्जिकल ज़रूरतों के लिये था.
लेबनान में विश्व स्वास्थ्य संगठन की प्रतिनिधि डॉक्टर ईमान शंकिति ने कहा, “हम लेबनान के स्वास्थ्य अधिकारियों, स्वास्थ्य साझीदारों और घायलों का इलाज कर रहे अस्पतालों के साथ निकट तालमेल के साथ काम कर रहे हैं, साथ ही तात्कालिक ज़रूरतों का जायज़ा लेने और तत्काल मदद सुनिश्चित करने के तरीक़ों पर भी काम किया जा रहा है.”
विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक डॉक्टर टैड्रॉस एडेनहॉम घेबरेयेसस ने आपातस्थिति के लिये आपदा कोष से 22 लाख डॉलर की रक़म जारी की है. ये रक़म विस्फोट के प्रभावित लोगों की मदद करने व कोविड-19 महामारी का सामना करने के प्रयास जारी रखने पर ख़र्च की जाएगी.
यूएन शरणार्थी एजेंसी (UNHCR) के प्रवक्ता चार्ली टैक्सली ने शुक्रवार को पत्रकारों से कहा कि लेबनान की सरकार के नेतृत्व में जैसे-जैसे राहत कार्य तेज़ किये जा रहे हैं तो, आवास, स्वास्थ्य और सुरक्षा जैसी ज़रूरतें पूरी करना यूएन शरणार्थी उच्चायुक्त के लिये प्राथमिकता पर हैं.
उन्होंने कहा कि आवास की ज़रूरत बहुत व्यापक है और इस विस्फोट से बेरूत में रहने वाले शरणार्थियों के भी प्रभावित होने की सम्भावना है.
यूएन शरणार्थी एजेंसी कोविड-19 संकट से निपटने में मदद करने के साथ-साथ अस्पतालों पर पड़े बेतहाशा बोझ को कम करने और ज़्यादा से ज़्यादा मरीज़ों को तुरन्त इलाज मुहैया कराने की भी कोशिश कर रही है.
अन्तरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन ने कहा है कि लेबनान में लगभग चार लाख श्रम प्रवासियों और लगभग 15 लाख शरणार्थियों पर इस बम विस्फोट से हुए नुक़सान का अन्दाज़ा लगाने की कोशिश की जा रही है, लेकिन जो लोग पहले से ही कमज़ोर हालात में रह रहे थे, उनके लिये ख़तरा और बढ़ गया है.
यूएन प्रवासी एजेंसी भी अन्य यूएन साझीदारों के साथ मिलकर बम विस्फोट से हुए नुक़सान का आकलन करने में लगी है ताकि प्रभावित और कमज़ोर परिस्थितियों वाले लोगों की ज़रूरतों का सही अन्दाज़ा हो सके. इनमें लेबनान के नागरिक, प्रवासी और वहाँ रह रहे शरणार्थी शामिल हैं.
अन्तरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन के महानिदेशक एंतोनियो वितरीनो का कहना है कि ये समय लेबनान के सबसे ज़्यादा प्रभावित और कमज़ोर हालात वाले लोगों की स्वास्थ्य, हिफ़ाज़त व संरक्षा सम्बन्धी ज़रूरतों की गारण्टी टी सुनिश्चित करना है.
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष – यूनीसेफ़ ने कहा है कि बम विस्फोट के कारण लोगों के मकानों को हुए भारी नुक़सान और कोविड-19 के संक्रमण के बढ़ते मामलों के मद्देनज़र हालात और गम्भीर हो रहे हैं.
संगठन का कहना है कि गत गुरूवार को संक्रमण के 255 मामले दर्ज किये गए और उपलब्ध आँकड़ों के अनुसार शुक्रवार तक लगभग एक लाख बच्चों के बेघर होने या पानी व बिजली के अभाव में रहने की सम्भावना है.
यूनीसेफ़ प्रवक्ता मैरीक्सी मरकैडो ने शुक्रवार को जिनीवा में पत्रकारों को बताया कि लोगों की ज़रूरतें तत्काल पूरा करने की ज़रूरत है और इन राहत व मदद कार्यों के लिये क़रीब 82 लाख 50 हज़ार डॉलर की रक़म जुटाने की अपील की गई है.
यूनीसेफ़ अन्य प्रकार की मदद मुहैया कराने के साथ-साथ ऐहतियाती बचाव उपकरण (पीपीई) व अन्य चिकित्सा सामग्री मुहैया कराने पर काम कर रहा है. इनमें अति महत्व की चिकित्सा सामग्री की आपूर्ति, पानी, बच्चों को अपने बिछड़े परिवारों से मिलवाना और उन्हें मनोवैज्ञानिक मदद मुहैया कराना भी शामिल हैं.
क्षतिग्रस्त हुए स्वास्थ्य देखभाल केन्द्रों और स्कूलों की मरम्मत के लिये तुरन्त नक़दी की ज़रूरत है.
अगर आप यूनीसेफ़ के सहायता कार्यों के लिये चन्दा देकर मदद करने चाहें तो यहाँ क्लिक करें.
यूएन मानवाधिकार संगठन (OHCHR) का कहना है कि बेरूत शहर के ज़्यादातर इलाक़े रहने के क़ाबिल नहीं बचे हैं, देश का प्रमुख बन्दगाह पूरी तरह तबाह हो चुका है और स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई है, ऐसे में स्थिति वास्तव में बहुत गम्भीर है.
मानवाधिकार एजेंसी के प्रवक्ता रूपर्ट कॉलविले का कहना है, “पाड़ित व प्रभावितों की जवाबदेही के लिये पुकार अवश्य सुनी जानी चाहिये जिसके लिये विस्फोट की निष्पक्ष, स्वतन्त्र, पारदर्शी और सम्पूर्ण जाँच कराया जाना शामिल है.”
प्रवक्ता ने और ज़्यादा लोगों की मौत होने से बचाने के लिये त्वरित अन्तरराष्ट्रीय कार्रवाई और टिकाऊ तालमेल की ज़रूरत पर ज़ोर दिया है.
दुनिया भर में कार्यरत व तैनात यूएन कर्मचारी भी लेबनान में अपने सहयोगियों के साथ कन्धे से कन्धा मिलाकर साथ खड़े हैं.
न्यूयॉर्क, नैरोबी और वियेना में यूएन स्टाफ़ के साथ-साथ स्टाफ़ एसोसिएशन ऑफ़ लैटिन अमेरिका और कैरीबियान (ECLAC), एशिया व प्रशान्त के लिये आर्थिक व सामाजिक आयोग (ESCAP), और अफ्रीका के लिये आर्थिक आयोग (ECA) ने यूएन स्टाफ़ से अभी तक लगभग 32 हज़ार डॉलर की रक़म इकट्ठा की है.
ये रक़म पश्चिमी एशिया के लिये आर्थिक व सामाजिक आयोग (ESCWA) और लेबनान में संयुक्त राष्ट्र अन्तरिम बल (UNIFIL) की मदद के लिये है. इन दोनों संगठनों का मुख्यालय बेरूत में है.