लेबनान: भीषण विस्फोट के बाद अस्पतालों की मदद करना यूएन की शीर्ष प्राथमिकता
संयुक्त राष्ट्र लेबनान की राजधानी बेरूत में मंगलवार को हुए भीषण विस्फोट के बाद स्थानीय प्रशासन को राहत अभियान में नज़दीकी सहयोग प्रदान कर रहा है. बेरूत के बन्दरगाह पर हुए इस धमाके से पूरा शहर थरथरा उठा और अनेक इलाकों में व्यापक नुक़सान हुआ है. अब तक इस घटना में 130 लोगों की मौत हुई है, हज़ारों लोग घायल हुए हैं और बड़ी संख्या में लोग बेघर हो गए हैं.
विस्फोट से जान-माल की हानि के स्तर को देखते हुए सरकार ने दो सप्ताह के लिये आपात स्थिति की घोषणा कर दी है.
संयुक्त राष्ट्र उपप्रवक्ता फ़रहान हक़ ने बुधवार को पत्रकारों को बताया कि अस्पतालों और सदमे में आए लोगों की मदद करना यूएन की सर्वोपरि प्राथमिकता है.
“विश्व स्वास्थ्य संगठन लेबनान में स्वास्थ्य मन्त्रालय के साथ मिलकर काम कर रहा है ताकि बेरूत में अस्पताल सुविधाओं, उनके कामकाज और अतिरिक्त समर्थन के लिये उनकी ज़रूरतों की समीक्षा की जा सके, ख़ास तौर पर कोविड-19 महामारी के दौरान.”
“आपात राहत कार्रवाई में मदद करने के लिये यूएन और अनेक सदस्य देशों से विशेषज्ञों को इस क्षण बेरूत के लिये रवाना किया जा रहा है – शहर में खोज व बचाव अभियान में मदद देने के लिये विशेषज्ञ जा रहे हैं.”
उन्होंने कहा कि ये विशेषज्ञ ज़मीनी हालात का जायज़ा भी लेंगे और आपात हालात में कार्रवाई करने के लिये बेहतर समन्वित प्रयास सुनिश्चित करेंगे.
बन्दरगाह की अहम भूमिका
बेरूत में लेबनान का मुख्य बन्दरगाह है और यह देश में आर्थिक गतिविधियों के साथ-साथ सीरिया में संयुक्त राष्ट्र के कामकाज के नज़रिये से भी महत्वपूर्ण है.
यूएन प्रवक्ता ने एक पत्रकार के जवाब में आशंका जताई कि बन्दरगाह के क्षतिग्रस्त होने से लेबनान में आर्थिक और खाद्य सुरक्षा की स्थिति और विकट हो जाएगी.
ग़ौरतलब है कि लेबनान अपने आबादी की 80-85 फ़ीसदी भोजन आपूर्ति के लिये आयात पर निर्भर है.
उन्होंने कहा कि मानवीय राहत मामलों में समन्वय के लिये संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (UNONCHA) ने आशंका जताई है कि इससे सीरिया तक राहत पहुँचाने की क्षमता भी प्रभावित होगी. बेरूत बन्दरगाह सीरिया तक राहत सामग्री भेजने के लिये महत्वपूर्ण मार्गों में शामिल है.
ज़रूरतों की समीक्षा
विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) ने कहा है कि फ़िलहाल लेबनान में भोजन सम्बन्धी आवश्यकताओं की समीक्षा की जा रही है – साथ ही शरण के लिये ज़रूरतों की भी समीक्षा की जा रही है.
यूएन एजेंसी ने कहा है कि विस्फोट और उससे हुई क्षति से लेबनान में पहले से ही गम्भीर आर्थिक व खाद्य सुरक्षा की स्थिति और भी ज़्यादा ख़राब हो जाएगी. लेबनान पहले से ही आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहा है और कोविड-19 महामारी से यह और भी ख़राब हुई है.
विश्व खाद्य कार्यक्रम द्वारा हाल ही में कराए गए एक सर्वेक्षण के मुताबिक आर्थिक संकट, कोविड-19 के फैलाव और तालाबन्दी से लोगों की आजीविक व खाद्य सुरक्षा पर गहरा असर हुआ है.
ये भी पढ़ें - लेबनान: बेरूत बन्दरगाह पर भीषण विस्फोट, प्रभावितों की मदद के लिये यूएन सक्रिय
सर्वे में शामिल 50 फ़ीसदी लोगों का कहना है कि पिछले एक महीने में भोजन उनकी मुख्य चिन्ता का कारण बन गया है और उन्हें डर है कि उन्हें खाने के लिये पर्याप्त भोजन नहीं मिल पाएगा.
मौजूदा राहत प्रयासों के तहत संयुक्त राष्ट्र वित्तीय सहायता प्रदान करने के विकल्प भी तलाश कर रहा है.
शरणार्थियों के लिये घर
लेबनान की जनसंख्या लगभग 60 लाख है और वहाँ क़रीब नौ लाख सीरियाई व दो लाख फ़लस्तीनी लोगों ने शरण ले रखी है.
साथ ही इराक़ व सूडान सहित अन्य देशों से आए लगभग 18 हज़ार विस्थापित लोगों ने इस समय वहाँ शरण ले रखी है.
संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (UNHCR) ने भीषण विस्फोट होने के बाद लेबनान की जनता के साथ एकजुटता ज़ाहिर की है.
यूएन एजेंसी के प्रमुख फ़िलिपो ग्रैन्डी ने इस विस्फोट में हताहत हुए लोगों के परिजनों के प्रति अपनी गहरी सम्वेदना व्यक्त की है.
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) भी लेबनान में इस घटना से अपनी टीम पर हुए असर की समीक्षा में जुटा है और साथ ही लेबनान के प्रशासन के साथ मिलकर ज़रूरतें पूरी करने के प्रयास किये जा रहे हैं.
यूएन एजेंसी ने बेरूत बन्दरगाह पर कर्मचारियों को पीने का पानी मुहैया कराया है और दवाओं व वैक्सीनों के भण्डार को सुरक्षित रखने के लिये स्वास्थ्यकर्मियों को मदद दी जा रही है.
एजेंसी के साझीदार संगठन शहर भर में बच्चों को ज़रूरी मनोसामाजिक सहायता प्रदान कर रहे हैं.