जलवायु मुद्दे पर एकल शुरूआत ने खोले बदलाव के विशाल दरवाज़े
अमेरिका की एक 18 वर्षीय पर्यावरण कार्यकर्ता सोफ़िया कियान्नी ने यूएन न्यूज़ के साथ बातचीत में कहा है वो पर्यावरण रुचि नहीं रखने वाले हर व्यक्ति को जलवायु कार्यकर्ता के रूप में तब्दील कर देने की ख़्वाहिशमन्द हैं. सोफ़िया कियान्नी का परिवार मूलतः ईरान से है और वो ख़ुद उन सात युवाओं में शामिल हैं जिन्हें दुनिया भर से महासचिव एंतोनियो गुटेरेश के पर्यावरण पर युवा सलाहकारों के समूह में शामिल किया गया है.
ये समूह जुलाई के अन्तिम सप्ताह में शुरू किया गया है जिसमें ऐसे युवाओं को शामिल करने का लक्ष्य रखा गया है जो जलवायु सम्बन्धित मुद्दों पर एक खुले व पारदर्शी संवाद में शिरकत कर सकें.
Young people are on the front lines of #ClimateAction, showing us what bold leadership looks like.That is why I am launching my Youth Advisory Group on climate change - to provide essential perspectives, ideas & solutions. https://t.co/i16H8sNljI pic.twitter.com/zwUynl9T7i
antonioguterres
“मैंने जलवायु परिवर्तन के प्रयासों में एक ईरानी-अमेरीकी के तौर पर पहली बार तब रुचि दिखाई थी जब क़रीब 12-13 वर्ष की उम्र में मैं ईरान में अपने सम्बन्धियों से मुलाक़ात करने गई थी. मैंने देखा था कि आसमान कितना प्रदूषित हो गया था; मैं रात में तारे भी नहीं देख पाती थी."
"मैंने महसूस किया कि ये जलवायु संकट का एक लक्षण था जोकि मध्य पूर्व के देशों में काफ़ी बुरा है, उस क्षेत्र में तापमान वृद्धि बाक़ी दुनिया की तुलना में दो-गुनी रफ़्तार से हो रही है.”
मैंने उस प्रदूषण के बारे में अपने रिश्तेदारों से बातचीत की और ये देखकर हैरान हो गई कि उन्हें जलवायु परिवर्तन के बारे में कुछ भी जानकारी नहीं थी, हालाँकि वो वयस्क थे, इसलिये उन्हें जलवायु आपदा के बारे में जागरूक बनाना जैसे मेरा जुनून बन गया.
मैंने देखा कि ईरान एक देश क रूप में बहुत सी चुनौतियों का सामना कर रहा है और ये भी समझती हूँ कि जलवायु परिवर्तन लोगों के दिमाग़ों में कोई महत्वपूर्ण मुद्दा ना हो, लेकिन फिर भी मेरा मानना है कि मेरे ईरानी परिवार को जलवायु संकट के बारे में जानना चाहिये.
बढ़ती जागरूतता
जब मैंने उन्हें बताया कि जलवायु परिवर्तन के बारे में उस बातचीत का मतलब क्या है, और मैं अपने भविष्य के बारे में चिन्तित हूँ तो उन्हें बड़ा झटका लगा.
उस बातचीत के बाद उन्होंने अपनी दैनिक गतिविधियों के प्रभावों के बारे में जानने के लिये ज़्यादा उत्सुकता व जागरूकता दिखाई है.
मसलन, वाहन कम चलाना और बिजली की कम खपत करना. उनके कार्बन चिन्ह कम करने की दिशा में ये उनके ये छोटे-छोटे क़दम हैं लेकिन अगर हर एक इन्सान ऐसे ही क़दम उठाए तो उससे बड़ा अन्तर देखने को मिलेगा.
मैं ये भी समझती हूँ कि उनकी अपनी भाषा फ़ारसी में कोई जानकारी ही उपलब्ध नहीं थी, इसलिये मैंने उनके लिये, अपनी माँ की मदद से, अंग्रेज़ी स्रोतों से जानकारी अनुवाद करने का फ़ैसला किया.
ईरान में मेरे इन रिश्तेदारों के साथ हुए इस अनुभव से मुझे अपना ख़ुद का लाभ रहित अन्तरराष्ट्रीय संगठन बनाने की प्रेरणा मिली, जिसका नाम है 'क्लाइमेट कार्डिनल्स', जो बिल्कुल अभी-अभी शुरू किया गया है.
इस संगठन से जुड़े लगभग 5 हज़ार वॉलण्टियर 100 से ज़्यादा भाषाओं और बोलियों में जानकारी का अनुवाद कर रहे हैं. इनमें स्पैनिश से लेकर हेती की क्रेओले और फ़ारसी से लेकर एक इण्डोनेशियाई बोली तक शामिल हैं.
इन वॉलण्टियर्स की औसत आयु 16 वर्ष है. हमने टिकाऊ फ़ैशन के बारे में लगभग तीन हज़ार पन्नों की एक शब्दावली का अनुवाद करने के साथ शुरूआत की. साथ ही वनों के बारे में एक जलवायु शब्दावली का भी अनुवाद किया जिस पर हमें लोगों की राय का इन्तज़ार है.
एकली चलो रे...
इस तरह, अपने परिवार की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने की ये एक छोटी सी शुरूआत एक महान परियोजना में तब्दील हो गई जिसमें 5 हज़ार से ज़्यादा लोग शामिल हैं, और अब मैं हज़ारों-लाखों लोगों को जागरूक बनाने में मदद कर रही हूँ.
अमेरिका में फ़ारसी भाषा के एक इंटरनेट रेडियो स्टेशन – रेडियो जवाँ के साथ हमारी पार्टनरशिप हुई है जिसे लेकर मैं बहुत उत्साहित हूँ. इस रेडियो स्टेशन की सोशल मीडिया पर लगभग एक करोड़ 10 लाख लोगों तक पहुँच है.
इस तरह, मैं अपने परिवार के 11 सदस्यों को जागरूक बनाने के स्तर से आगे बढ़कर एक करोड़ 10 लाख लोगों को जागरूक बनाने के मुक़ाम पर पहुँच गई.
इसने मुझे अहसास कराया कि छोटी-छोटी गतिविधियाँ दरअसल बहुत बड़े बदलावों और नज़रियों के लिये दरवाज़ा खोलते हैं. हर किसी के पास अपने ख़ुद के तरीक़े से बदलाव लाने की ताक़त होती है.
जितने भी युवजन से मेरी बातचीत होती है, उन सभी का मानना है कि जलवायु संकट एक बहुत गम्भीर मामला है लेकिन बदलाव लाने का उनका जुनून इस पर निर्भर करता है कि उनका पास कितनी जानकारी है.
हम जितना बातचीत करते हैं, उतनी ही ज़्यादा जागरूकता बढ़ाते हैं, और उतने ही ज़्यादा लोग ये समझते हैं कि ये मुद्दा कितना तात्कालिक और अहम है. मेरे लिये तो ये मौक़ा रुचिहीन लोगों को जलवायु कार्यकर्ताओं में तब्दील करने का है.
महासचिव के लिये सन्देश
हमारे समूह की बैठकें ऑनलाइन होती हैं और अगले कुछ सप्ताहों के दौरान हमारी बातचीत यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश से होनी है. हम उनकी जलवायु रणनीति पर अपनी राय उनके सामने रखेंगे और इस पर भी अपने विचार रखेंगे कि संयुक्त राष्ट्र किस तरह से युवाओं को बेहतर तरीक़े से साथ लेकर चल सकता है.
निजी तौर पर, मैं उनसे कहना चाहूँगी कि हमें जलवायु जानकारी केवल संयुक्त राष्ट्र की भाषाओं से कहीं ज़्यादा भाषाओं में उपलब्ध करानी होगी.
साथ ही, संयुक्त राष्ट्र को और भी कम उम्र वाले लोगों को साथ लेकर चलना होगा. 18 वर्ष की उम्र में, मैं अपने इस समूह में सबसे कम उम्र की हूँ, लेकिन बहुत से ऐसे कार्यकर्ता हैं जिनकी उम्र 14 और 17 वर्ष है, और उनकी आवाज़ व उनके विचार बहुत महत्वपूर्ण हैं.
अगर जलवायु मुद्दे पर बातचीत में 18 वर्ष से कम उम्र के और भी ज़्यादा लोगों को साथ लेकर चला जाता है तो ऐसी बहुत सम्भावना है कि वो जलवायु कार्यकर्ता बन जाएँगे.
व्यक्तिगत बनाम राजनैतिक प्रक्रिया
अन्ततः मैं आशान्वित हूँ कि हम जलवायु परिवर्तन को पलट सकते हैं, लेकिन इसका बहुत बड़ा हिस्सा एक राजनैतिक प्रक्रिया की भेंट चढ़ जाएगा, भले ही मैं, और अन्य लोग अपनी निजी हैसियत में कितना ही बड़ा और अहम योगदान क्यों ना करें.
अन्त में यो तो सरकारों पर ही निर्भर है कि वो कितने व्यापक जलवायु क़ानून बनाती हैं.
मैं इस आस के साथ आगे बढ़ रही हूँ कि लोग राजनैतिक प्रक्रिया में ज़्यादा से ज़्यादा सक्रियों हों और भागीदार बनें, और ख़ुद को ज़्यादा से ज़्यादा जागरूक बनाएँ जिसके आधार पर जलवायु परिवर्तन नातियों को ज़्यादा से ज़्यादा समर्थन हासिल हो.
युवा पीढ़ी ज़्यादा प्रगतिशील है इसलिये मैं आशान्वित हूँ कि भविष्य में हम ऐसे ज़्यादा राजनेताओं को चुन सकेंगे जिन्हें जलवायु परिवर्तन से सम्बन्धित मुद्दों की ज़्यादा परवाह होगी, और जो ज़्यादा आक्रामक क़ानून बनाएँगे.