विश्वव्यापी महामारी कोविड-19: ‘सदी में एक बार आने वाला संकट’
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने वैश्विक महामारी कोविड-19 को एक ऐसा स्वास्थ्य संकट क़रार दिया है जो सदी में एक ही बार आता है और जिसके प्रभाव आने वाले कई दशकों तक महसूस किये जाते रहेंगे. यूएन स्वास्थ्य एजेंसी की आपात समिति ने 30 जनवरी 2020 को कोविड-19 को अन्तरराष्ट्रीय चिन्ता वाली सार्वजनिक स्वास्थ्य आपदा घोषित किये जाने की सिफ़ारिश की थी जिसके छह महीने पूरे होने पर शुक्रवार, 31 जुलाई, को समिति ने फिर बैठक कर मौजूदा हालात की समीक्षा की है.
जनवरी 2020 में अन्तरराष्ट्रीय स्वास्थ्य नियामक आपात समिति ने पहली बार कोरोनावायरस संकट पर चर्चा की थी जिसके बाद समिति चौथी बार मिल रही है.
The International Health Regulations Emergency Committee on #COVID19 has reconvened today, 4th time since 1st meeting in January.Read more about the Emergency Committee: https://t.co/Qtsxqkr7xi pic.twitter.com/pdfMRrUOfz
WHO
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के महानिदेशक डॉक्टर टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने शुक्रवार को आपात समिति को सम्बोधित करते हुए कहा कि छह महीने पहले आपात समिति की सिफ़ारिश पर ही अन्तरराष्ट्रीय स्वास्थ्य एमरजेंसी की घोषणा की गई थी.
उस समय चीन से बाहर किसी संक्रमित की मौत नहीं हुई थी और महज़ 98 मामलों की ही पुष्टि हुई थी.
“यह वैश्विक महामारी एक सदी में एक बार आने वाला स्वास्थ्य संकट है जिसके प्रभाव आने वाले कई दशकों तक महसूस किये जाते रहेंगे.”
उन्होंने कहा कि बहुत से वैज्ञानिक सवालों का जवाब ढूँढ लिया गया है लेकिन अनेक सवाल अब भी अनुत्तरित हैं.
कुछ अध्ययनों के शुरुआती नतीजे दर्शाते हैं कि विश्व की अधिकाँश आबादी पर अब भी इस वायरस से संक्रमित होने का जोखिम मंडरा रहा है, उन इलाक़ों में भी जहाँ पहले ही व्यापक स्तर पर संक्रमण का फैलाव हो चुका है.
“बहुत से देश जिनका मानना था कि अब वे ख़राब हालात से गुज़र चुके हैं, उन्हें भी नए फैलाव से जूझना पड़ रहा है.”
“शुरुआती हफ़्तों में जो देश कम प्रभावित थे अब वहाँ तेज़ी से संक्रमणों व मरीज़ों की मौतों की संख्या बढ़ रही है. व्यापक स्तर पर संक्रमणों का सामना करने वाले कुछ देश उन पर क़ाबू पाने में सफल रहे हैं.”
यूएन एजेंसी प्रमुख ने स्पष्ट किया है कि असरदार वैक्सीन विकसित करने के प्रयास तेज़ी से आगे बढ़ रहे हैं लेकिन हमें इस वायरस के साथ रहना सीखना होगा, और मौजूदा औज़ारों के साथ इससे लड़ना होगा.
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अब तक छह बार अन्तरराष्ट्रीय चिन्ता वाली सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात स्थिति की घोषणा की है:
- एच1एन1 (2009)
- पोलियो (2014)
- पश्चिम अफ़्रीका में इबोला (2014)
- ज़ीका (2016)
- काँगो लोकतान्त्रिकक गणराज्य में इबोला (2019)
- कोविड-19 (2020)
अन्तरराष्ट्रीय चिन्ता वाली सार्वजनिक स्वास्थ्य एमरजेंसी की घोषणा के तहत यूएन स्वास्थ्य एजेंसी कुछ अस्थाई सिफ़ारिशें जारी करती है.
ये अनुशंसाएँ बाध्यकारी नहीं होती हैं लेकिन व्यावहारिक व राजनैतिक रूप से ऐसे उपायों के रूप में होती हैं जिनसे यात्रा, व्यापार, मरीज़ को अलग रखे जाने, स्क्रीनिंग व उपचार पर असर पड़ता है.
साथ ही यूएन एजेंसी इस सम्बन्ध में वैश्विक मानक स्थापित कर सकती है.