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सीसा धातु से 80 करोड़ बच्चों के दिमाग़ों पर असर, आधे बच्चे दक्षिण एशिया में

पर्यावरण प्रदूषण और कूड़ा-कचरा बीमारियों की बढ़ती सूची के लिये भी ज़िम्मेदार हो सकता है जिनमें त्वचा कैन्सर, फेफड़ों का कैन्सर, अस्थमा, सीसा धातु का ज़हर, पारा का ज़हर, मलेरिया, ईबोला और ज़ीका भी शामिल हैं.
Photo: World Bank/Curt Carnemark
पर्यावरण प्रदूषण और कूड़ा-कचरा बीमारियों की बढ़ती सूची के लिये भी ज़िम्मेदार हो सकता है जिनमें त्वचा कैन्सर, फेफड़ों का कैन्सर, अस्थमा, सीसा धातु का ज़हर, पारा का ज़हर, मलेरिया, ईबोला और ज़ीका भी शामिल हैं.

सीसा धातु से 80 करोड़ बच्चों के दिमाग़ों पर असर, आधे बच्चे दक्षिण एशिया में

स्वास्थ्य

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष – यूनीसेफ़ और ‘प्योर अर्थ’ की एक ताज़ा रिपोर्ट में कहा गया है कि  दुनिया भर के लगभग तीन चौथाई बच्चे सीसा धातु के ज़हर के साथ जी रहे हैं. इतनी बड़ी संख्या में  बच्चों के सीसा धातु से प्रभावित होने के मद्देनज़र एसिड बैटरियों को लापरवाही से फेंकने के ख़तरनाक चलन को बन्द करने का आहवान भी किया गया है.

अपनी तरह की इस पहली रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया भर में लगभग 80 करोड़ बच्चे यानि औसतन हर तीन में से एक बच्चों के रक्त में सीसा धातु का स्तर 5 माइक्रोग्राम प्रति डेसीलीटर या उससे भी ज़्यादा है.

ध्यान रहे कि रक्त में सीसा धातु के इतने स्तर पर स्वास्थ्य-कार्रवाई की ज़रूरत होती है. इनमें से लगभग आधे बच्चे दक्षिण एशियाई देशों में रहते हैं. 

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संयुक्त राष्ट्र बाल कोष यूनीसेफ़ की कार्यकारी निदेशक हेनरिएटा फ़ोर का कहना है कि रक्त में सीसा धातु की मौजूदगी के शुरुआती लक्षण नज़र नहीं आते हैं और ये धातु ख़ामोशी से बच्चों के स्वास्थ और विकास पर क़हर ढाती रहती है, जिसके सम्भवतः घातक परिणाम भी होते हैं.

“सीसा धातु के प्रदूषण के व्यापक फैलाव के बारे में जानने – और व्यक्तियों के जीवन व समुदायों पर इसकी तबाही को समझने के बाद – बच्चों को अभी, और हमेशा के लिये इससे सुरक्षित बनाने के लिये ठोस कार्रवाई की प्रेरणा सामने आनी चाहिये.”

रिपोर्ट बच्चों के सीसा धातु की चपेट में आने का विश्लेषण पेश करती है जो स्वास्थ्य मैट्रिक्स मूल्यांकन संस्थान के तत्वावधान में किया गया.

इसमें पाँच देशों में वास्तविक परिस्थितियों में मूल्याँकन किया गया जिनमें कठोगोरा (बांग्लादेश), तिबलिसी (जियॉर्जिया), अगबोगब्लोशी (घाना), पेसारियान (इण्डोनेशिया) और मोरोलॉस प्रान्त (मैक्सिको) शामिल थे. 

रिपोर्ट में कहा गया है कि सीसा धातु में न्यूरोटॉक्सिन होते हैं जिनके कारण बच्चों के मस्तिष्क को ऐसा नुक़सान होता है जिसकी भरपाई नहीं हो सकती या जिसका इलाज नहीं हो सकता.

सीसा धातु ख़ासतौर से नवजात शिशुओं और पाँच साल से कम उम्र के बच्चों के लिये घातक होता है जिससे उनके मस्तिष्कों में जीवन भर के लिये तन्त्रिका-तन्त्र, संज्ञानात्मक और शारीरिक विकलांगता जैसी बाधाएँ हो जाती हैं. 

रिपोर्ट के अनुसार बचपन में ही सीसा धातु की चपेट में आने से बच्चों और वयस्कों में मानसिक स्वास्थ्य और व्यवहार सम्बन्धी समस्याएँ देखने को मिलती हैं, परिणामस्वरूप अपराध और हिंसा में बढ़ोत्तरी होती है. 

निम्न और मध्य आय वाले देशों में इस तरह के बच्चों और वयस्कों से उनके जीवन काल में देशों की अर्थव्यवस्थाओं को लगभग एक ट्र्लियन डॉलर तक का नुक़सान होता है.

बैटरी री-सायकलिंग – क़ानून का अभाव

रिपोर्ट में पाया गया है कि निम्न व मध्म आय वाले देशों में बैटरियों को सही तरीक़े से फेंके जाने और उनकी री-सायकिलिंग की सही व्यवस्था नहीं होना एक बहुत बड़ी समस्या है और यही बच्चों में सीसा धातु का ज़हर फैलने का एक बहुत बड़ा कारण भी.

इन देशों में वाहनों की संख्या में बढ़ोत्तरी और वाहनों में इस्तेमाल होने वाली बैटरियों को सही तरीक़े से री-सायकलिंग की व्यवस्था नहीं होने के परिणाम ये हुए हैं कि लगभग आधी सीसा-एसिड बैटरी असुरक्षित तरीक़े से अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में ही री-सायकिल कर दी जाती हैं.

अन्य कारक: पाइप, पेंट, उपभोक्ता उत्पाद

बच्चों के सीसा धातु की चपेट में आने के अन्य स्रोतों में वो पानी भी शामिल होता है जो सीसा युक्त पाइपों से मिलता है.

इसके अलावा खदान जैसे सक्रिय उद्योग, सीसा युक्त पेंट और पिगमेंट व सीसा युक्त गैसोलान भी बच्चों में सीसा धातु के ख़तरे के अन्य प्रमुख स्रोत हैं.

खाद्य पदार्थों की धातु बोतलें (कैन्स), मसालों, सौन्दर्य उत्पादों, आयुर्वेदिक दवाओं, खिलौनों और अन्य उपभोक्ता उत्पादों का भी सीसा धातु के फैलाव में बड़ा हिस्सा है.

जो माता-पिता व अभिभावक सीसा की मौजूदगा वाले क्षेत्रों या उद्योगों में कामकाज करते हैं, तो वो भी अपने कपड़ों, बालों, हाथों और जूतों के साथ सीसा की धूल या उसके अवशेष अपने घरों में ले आते हैं. इससे उनके बच्चे व अन्य परिजन भी इस ज़हरीली धातु की चपेट में आने के जोखिम का सामना करते हैं.

शिक्षा, जागरूकता और...

'प्योर अर्थ' के अध्यक्ष रिचर्ड फ्यूलर का कहना है, “अच्छी ख़बर ये है कि सीसा धातु को कामगारों और उनके बच्चों और आसपास की बस्तियों के लिये जोखिम पैदा किये बिना ही सुरक्षित तरीक़े से री-सायकिल किया जा सकता है.”

“सीसा धातु से प्रदूषित स्थानों को इस ज़हर से मुक्त व साफ़-सुथरा और सामान्य बनाया जा सकता है.”

इसके अलावा लोगों को सीसा धातु के ख़तरों के बारे में जानकार व जागरूक बनाकर उन्हें और उनके बच्चों को इसके ख़तरों से सुरक्षित रहने के लिये सशक्त बनाया जा सकता है. 

रिचर्ड फ्यूलर का कहना है, “इन कार्यों में संसाधन निवेश करने के बहुत से फ़ायदे हैं: लोगों का बेहतर स्वास्थ्य, बेहतर उत्पादकता, उच्च बुद्धिमत्ता, कम हिंसा, और दुनिया भर में करोड़ों बच्चों का उज्ज्वल भविष्य.”

रिपोर्ट में सिफ़ारिश की गई है कि प्रभावित देशों की सरकारें सीसा धातु की मौजूदगी की निगरानी रखने और उसकी जानकारी मुहैया कराने की प्रणालियाँ विकसित करने के लिये एकजुट रुख़ अपनाएँ, साथ ही रोकथाम व नियन्त्रण उपाय लागू करें.