कोविड-19: उबरने के प्रयासों में महिलाओं की व्यापक भागीदारी ज़रूरी
ऐसे में जबकि महिलाओं के स्वास्थ्य के लिये निर्धारित संसाधन भी कोविड-19 महामारी का मुक़ाबला करने में इस्तेमाल किये जा रहे हैं तो मंगलवार को इस मुद्दे पर चर्चा हुई कि लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण के लिये 25 वर्ष पहले तय किये गए लक्ष्यों को हासिल करने की रफ़्तार किस तरह तेज़ की जाए. इस चर्चा में सरकारों के प्रतिनिधि, सिविल सोसायटी नेताओं, कम्पनियों के शीर्ध अधिकारियों और शैक्षिक विशेषज्ञों ने वर्चुअल माध्यमों से शिरकत की.
इस वर्चुअल बैठक का आयोजन यूएन महासभा अध्यक्ष तिजानी मोहम्मद बाँडे ने किया था जिसमें यूएन महिला संस्था की कार्यकारी निदेशक पुमज़िले म्लाम्बो न्गुका ने भी शिरकत की.
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उन्होंने कहा कि ये सुनिश्चित करना हमारी ज़िम्मेदारी है कि हम बहुपक्षवाद की ताक़त का निवेश करें और महिलाओं के जीवन में लम्बे समय से व्याप्त असमानताएँ दूर करने के लिये क्रान्तिकारी व सकारात्मक कार्रवाई हासिल की गई उपलब्धियों के फ़ायदों के लिए संकल्प दिखाएँ.”
इस सम्मेलन के प्रतिभागियों को ख़ासतौर से 1995 के बेजिंग कार्रवाई प्लैटफ़ॉर्म को लागू करने के लिये ज़्यादा मज़बूत बहुपक्षवादी संकल्प की ज़रूरत के लिये प्रोत्साहित किया गया. इस सम्मेलन में प्रतिभागियों को एक दूसरे से सवाल पूछने का भी मौक़ा मिला.
याद रहे कि ये कार्रवाई लक्ष्य बेजिंग में महिलाओं पर चौथे विश्व सम्मेलन में पारित किये गए थे जिनमें 12 ऐसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों की पहचान की गई जिनमें लैंगिक समानता व परिवर्तन लाने के लिये व्यापक कार्रवाई की ज़रूरत है.
बेजिंग घोषणा-पत्र के साथ इसे महिलाधिकारों को आगे बढ़ाने के क्षेत्र में सर्वाधिक प्रगतिशील समझा जाता है.
दरअसल लड़कियों व महिलाओं के सशक्तिकरण और लैंगिक समानता के लिये कार्रवाई की रफ़्तार और तेज़ करने के मुद्दे पर विचार करने के लिये 23 सितम्बर को महासभा की वार्षिक जनरल डिबेट के तहत एक उच्च स्तरीय बैठक होने वाली है, और मंगलवार के इस वर्चुअल से उसी सम्मेलन के लिये तैयारी माहौल बनाने की कोशिश की गई है.
यूएन महिला संस्था की अध्यक्ष ने तमाम देशों की सरकारों व अन्य तमाम सेवाएँ प्रदान करने वालों से अनुरोध किया कि वो वैश्विक स्वास्थ्य महामारी का मुक़ाबला करने की योजना इस तरह बनाएँ जिसमें हर स्तर पर महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित हो और लैंगिक नज़रिये को भी पूरी तरह से शामिल किया जाए, जैसाकि अभी तक शायद ना हुआ हो.
उन्होंने कहा कि कोविड-19 ने मौजूदा असमानताओं को सामने लाकर रख दिया है. स्वास्थ्य से लेकर अर्थव्यवस्था, सुरक्षा से लेकर सामाजिक संरक्षा, यानि सभी क्षेत्रों में महिलाएँ व लड़कियाँ ग़ैर-आनुपातिक रूप में प्रभावित हुई हैं.
लैंगिक समानता सबकी ज़िम्मेदारी
यूएन महासभा अध्यक्ष तिजानी मोहम्मद बाँडे ने कहा इस बैठक में कहा, “हम कोरोनावायरस को महिलाओं के जीवन व भविष्य को क़तई जोखिम में नहीं डालने दे सकते.”
बेजिंग कार्रवाई प्लैटफ़ॉर्म के पारित होने के 25 वर्ष बाद कोविड-19 का मुक़ाबला करने के प्रयासों में स्कूलों को बन्द करना पड़ा है, संसाधन इस महामारी का मुक़ाबला करने में लगाए गए हैं, इन सभी कारणों से महिलाएँ ग़ैर-आनुपातिक रूप से प्रभावित हुई हैं और उन्हें बहुत बड़ी मात्रा में दूसरों की देखभाल का काम करना पड़ा है जिसके लिये उन्हें कोई आदमनी भी नहीं हो रही है.
उन्होंने कहा कि महिलाओं और लड़कियों की ज़रूरतों को कोविड-19 से उबरने के तात्कालिक व दीर्घकालीन प्रयासों के केन्द्र में जगह मिलनी चाहिये, और महिलाओं को निर्णय प्रक्रिया के हर स्तर पर शामिल किया जाना चाहिये.
महासभा अध्यक्ष ने कहा, “लैंगिक समानता सभी की ज़िम्मेदारी है.”
ये चर्चा महज़ वर्चुअल चर्चा से आगे बढ़नी चाहिए जिसमें “हर लड़की की आवाज़ बुलन्द हो और सभी क्षेत्रों में महिलाओं के नेतृत्व का रास्ता साफ़ हो.”