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कोविड-19: आदिवासी समुदायों में संक्रमण बढ़ने से बढ़ी चिन्ता

कोलंबिया में स्थानीय स्वास्थ्य विभाग ने आदिवासी जनसमूहों की ख़ैरियत का पता लगाने के लिए एक टीम रवाना की है.
PAHO/Karen González Abril
कोलंबिया में स्थानीय स्वास्थ्य विभाग ने आदिवासी जनसमूहों की ख़ैरियत का पता लगाने के लिए एक टीम रवाना की है.

कोविड-19: आदिवासी समुदायों में संक्रमण बढ़ने से बढ़ी चिन्ता

स्वास्थ्य

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कहा है कि वैसे तो कोविड-19 से हर इन्सान प्रभावित हुआ है लेकिन विश्व के निर्धनतम और निर्बलतम लोगों के लिये इस महामारी का जोखिम ज़्यादा है. वायरस से सबसे अधिक प्रभावितों में आदिवासी समुदाय, विशेषत: अमेरिका क्षेत्र के आदिवासी लोग भी हैं जहाँ अब यह महामारी तेज़ रफ़्तार से फैल रही है. यूएन एजेंसी के महानिदेशक टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने सोमवार को बताया कि 6 जुलाई तक अमेरिका क्षेत्र में 70 हज़ार आदिवासी लोगों के संक्रमित होने और दो हज़ार से ज़्यादा लोगों की मौतें होने की पुष्टि हुई थी.

दुनिया भर में कोविड-19 से अब तक एक करोड़ 43 लाख लोग संक्रमित हो चुके हैं और छह लाख से ज़्यादा लोगों की जान गई है.

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90 से ज़्यादा देशों में 50 करोड़ से अधिक आदिवासी रहते हैं जिनकी अपनी संस्कृति, भाषा और पर्यावरण के साथ गहरा नाता है. 

लेकिन अन्य निर्बल समूहों की तरह आदिवासियों को भी अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है.

उनके पास राजनैतिक प्रतिनिधित्व का अभाव है, वे आर्थिक हाशिये पर रहते हैं और स्वास्थ्य, शिक्षा व सामाजिक सेवाओं तक उनकी पहुँच नहीं है. 

महानिदेशक घेबरेयेसस ने ध्यान दिलाया, “आदिवासी लोगों को अक्सर निर्धनता, बेरोज़गारी, कुपोषण, संचारी व ग़ैर-संचारी रोगों का भारी बोझ सहना करना पड़ता है जिससे उन्हें कोविड-19 और उसके गम्भीर नतीजों का ख़तरा ज़्यादा है.”

“यह बात विश्व भर में आदिवासी लोगों के लिये भी सच है, शहरी और दूरदराज़ के इलाक़ों में.”

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अमेरिकी क्षेत्रीय कार्यालय ने आदिवासी जनता में कोविड-19 के ऐहतियाती उपायों के लिये दिशानिर्देश जारी किये हैं. 

साथ ही एमेज़ोन नदी के बेसिन में आदिवासी संगठनों के समन्यवक के साथ मिलकर काम किया जा रहा है ताकि कोविड-19 के ख़िलाफ़ लड़ाई का दायरा और स्तर बढ़ाए जा सकें.

वैक्सीन पर 'अच्छी ख़बर'

यूएन एजेंसी ने कोविड-19 की सम्भावित वैक्सीन के शुरुआती नतीजों का स्वागत किया है. साथ ही अनेक देशों में इस बीमारी के उपचार पर शोध जारी है. 

ऑक्सफ़र्ड यूनिवर्सिटी और फ़ार्मेस्यूटिकल कम्पनी एस्ट्राज़ेनेका मिलकर एक वैक्सीन पर काम कर रहे हैं. मेडिकल जर्नल ‘लैन्सेट’ में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक यह वैक्सीन सुरक्षित है और शरीर में प्रतिरोधक कार्रवाई को जन्म देती है. 

यूएन एजेंसी में स्वास्थ्य एमरजेंसी कार्यक्रम के कार्यकारी निदेशक माइकल रायन ने कहा है कि यह अच्छी ख़बर है लेकिन इस सम्बन्ध में आँकड़े अभी नए ही हैं.  

डॉक्टर रायन ने कहा कि इस वैक्सीन का 18 से 55 वर्ष की उम्र के एक हज़ार से ज़्यादा स्वस्थ वयस्कों पर प्रयोग किया गया था और उनमें किसी में भी गम्भीर प्रभाव नहीं देखे गए. कुछ लोगों को कपकपी, माँसपेशियों में दर्द और सिरदर्द ज़रूर हुआ लेकिन वह अपेक्षित था. 

डॉक्टर रायन ने आगाह किया कि अभी एक लम्बा रास्ता तय करना है क्योंकि पहले चरण का ही अध्ययन है.

इसके बाद व्यापक स्तर पर इस वैक्सीन का परीक्षण किया जाएगा. उनके मुताबिक फ़िलहाल 23 प्रकार की वैक्सीनें क्लिनिक में विकसित की जा रही हैं.

संक्रमण पर नियन्त्रण के उपाय

महानिदेशक घेबरेयेसस ने कहा कि आदिवासी समुदायों और सभी समुदायों में संक्रमण पर क़ाबू पाने के अहम उपायों में कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग यानि संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्क में आए लोगों की खोज करना है.

किसी भी देश को संक्रमित लोगों का पता लगाए बिना इस महामारी पर क़ाबू पाने में सफलता नहीं मिल सकती. उन्होंने दोहराया कि तालाबन्दी व अन्य उपायों से बीमारी का फैलाव कम किया जा सकता है लेकिन पूरी तरह नहीं रोका जा सकता.

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संक्रमित लोगों का पता लगाना, उन्हें अलग रखना और उनके सम्पर्क में आए सन्दिग्ध संक्रमितों का पता लगाकर अलग रखा जाना बेहद अहम है.

महानिदेशक ने कहा कि मोबाइल ऐप से कॉन्टैक्ट ट्रेंसिग में मदद मिल सकती है लेकिन संक्रमणों की कड़ी तोड़ने में यह प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मियों का स्थान नहीं ले सकती. 

उन्होंने आगाह किया कि यह इसलिये भी महत्वपूर्ण है क्योंकि बहुत से देश अब पाबन्दियाँ हटा रहे हैं और आर्थिक गतिविधियाँ फिर शुरू करने के प्रयास हो रहे हैं. 

यूएन एजेंसी प्रमुख ने कहा कि महामारियों से सफलतापूर्वक निपटने में कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग का अहम योगदान रहा है – चेचक, पोलियो, इबोला और कोविड-19 में भी. 

उन्होंने कहा कि वैक्सीन के लिए इसलिए इन्तज़ार नहीं करना है क्योंकि ज़िन्दगी बचाने का समय अब है.

महानिदेशक घेबरेयेसस ने वैक्सीन शोध में प्रयास जारी रखने की पुकार लगाई लेकिन साथ ही अन्य औज़ारों का भी इस्तेमाल करने की अहमियत को दोहराया है.