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'असमानता हमारे दौर को परिभाषित करती है' – महासचिव का कड़ा 'मण्डेला दिवस सन्देश'

वर्ष 2020 का वार्षिक नेलसन मण्डेला भाषण देते हुए यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश (18 जुलाई 2020)
UN Photo/Eskinder Debebe
वर्ष 2020 का वार्षिक नेलसन मण्डेला भाषण देते हुए यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश (18 जुलाई 2020)

'असमानता हमारे दौर को परिभाषित करती है' – महासचिव का कड़ा 'मण्डेला दिवस सन्देश'

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा है कि असमानता एक ऐसा मुद्दा है जो हमारे दौर को परिभाषित करता है और इसके कारण दुनिया की अर्थव्यवस्थाओं व समाजों के तबाह होने का जोखिम पैदा होता है. महासचिव ने शनिवार को नेलसन मण्डेला अन्तरराष्ट्रीय दिवस के मौक़े पर एक कड़े सन्देश में ये बात कही है.

कोविड-19 महामारी के माहौल में नेलसन मण्डेला वार्षिक भाषण 2020 ऑनलाइन माध्यमों के ज़रिये आयोजित किया गया, जो इसके इतिहास में पहली बार था. ये भाषण श्रंखला नेलसन मण्डेला संस्थान हर साल उनके जन्म दिवस पर आयोजित करता है. ध्यान रहे कि नेलसन मण्डेला दक्षिण अफ्रीका के लोकतान्त्रिक तरीक़े से चुने गए पहले राष्ट्रपति थे. 

इस भाषण का उद्देश्य प्रमुख अन्तरराष्ट्रीय चुनौतियों पर बात करने के लिये महत्वपूर्ण हस्तियों को आमन्त्रित किया जाता है और इसका मक़सद संवाद को बढ़ावा देना है. 

कोविड-19 पर ज़ोर

महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने अपने भाषण की शुरुआत ये ध्यान दिलाते हुए की कि कोविड-19 महामारी ने बढ़ती असमानताओं को उजागर कर दिया है.

साथ ही इस भ्रम को भी सामने लाकर खड़ा कर दिया है कि हम सभी एक ही नाव में सवार हैं, क्योंकि “वैसे तो हम सभी एक ही समुद्र पर तैर रहे हैं, मगर ये भी स्पष्ट है कि कुछ लोग तो बेहतरीन व आधुनिक जहाज़ों या नावों में सवार हैं जबकि बहुत से अन्य लोग तैरते मलबे से चिपके हुए हैं.”

उन्होंने कहा कि बहुत से जोखिमों को दशकों तक नज़रअन्दाज़ किया गया है जिनमें अपर्याप्त स्वास्थ्य प्रणालियाँ, सामाजिक संरक्षण में कमियाँ और भेद, संस्थागत असमानताएँ, पर्यावरण क्षरण, और जलवायु आपदा – पर ध्यान नहीं दिया गया है.

निर्बल वर्गों के लोगों को सबसे ज़्यादा तकलीफ़ें हो रही हैं – जो लोग ग़रीबी में रहने को मजबूर हैं, वृद्ध लोग, और विकलाँग व पहले से ही चिकित्सा समस्याओं से जूझ रहे व्यक्ति.

महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा कि असमानता के बहुत से रूप हैं. एक तरफ़ आमदनी के मामले में असमानता का दायरा बहुत बड़ा है, तो केवल 26 सबसे धनी देशों के पास इतनी सम्पदा है बाक़ी जितनी सम्पदा दुनिया की आधी आबादी के पास है.

इसके अलावा जीवन के अवसर बहुत से इन कारकों पर भी निर्भर करते हैं कि किसी व्यक्ति की लैंगिग पहचान क्या है, उसकी पारिवारिक और जातीय पृष्ठभूमि व नस्ल क्या है, और कोई व्यक्ति विकलांग है या नहीं. 

हालाँकि उन्होंने ये भी कहा कि परिणाम हर किसी को भुगतने पड़ते हैं क्योंकि उच्च स्तर की असमानता आर्थिक अस्थिरता, भ्रष्टाचार, वित्तीय संकट, बढ़ते अपराध और ख़राब शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े हुए हैं.

जियॉर्ज फ़्लॉयड की मौत के बाद अमेरिका और अन्य देशों में नस्लीय भेदभाव का अन्त किए जाने की माँग के समर्थन में प्रदर्शन हुए हैं.
UN Photo/Evan Schneider
जियॉर्ज फ़्लॉयड की मौत के बाद अमेरिका और अन्य देशों में नस्लीय भेदभाव का अन्त किए जाने की माँग के समर्थन में प्रदर्शन हुए हैं.

महासचिव ने असमानता का एक ऐतिहासिक पक्ष रहे उपनिवेशवाद की तरफ़ भी ध्यान दिलाया.

उन्होंने कहा कि आज के दौर का नस्लभेद विरोधी आन्दोलन असमानता के ऐतिहासिक स्रोत की तरफ़ ध्यान दिलाता है: “वैश्विक उत्तर, विशेष रूप से योरोप के मेरे अपने महाद्वीप ने, वैश्विक दक्षिण के ज़्यादातर हिस्से पर सदियों तक उपनिवेशवाद थोपकर रखा, और ये हिंसा और ज़ुल्म के ज़रिये किया गया.”

एंतोनियो गुटेरेश ने कहा कि इसके कारण देशों के भीतर व देशों के बीच बहुत गहरी असमानताएँ बैठ गईं, जिनमें महाद्वीपों के बीच चला दास व्यापर और दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद की शासन व्यवस्था शामिल थे.

इस माहौल से आर्थिक व सामाजिक अन्याय, नफ़रत भरे अपराध, ख़ुद से भिन्न लोगों को कलंकित करना, संस्थागत नस्लभेद और श्वेत त्वचा वाले लोगों की प्रभुता की एक विरासत चली.

एंतोनियो गुटेरेश ने पुरुष वर्चस्व की परम्परा का भी ज़िक्र किया जो ऐतिहासिक असमानता का एक अन्य कारण रही है, और आज भी मौजूद है: महिलाओं की स्थिति हर जगह पुरुषों की तुलना में बदतर है, और महिलाओं के विरुद्ध हिंसा किसी महामारी के स्तर तक जारी है. 

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यूएन प्रमुख ने ख़ुद को महिलाधिकारों का हितैशी क़रार देते हुए कहा कि वो लैंगिक समानता के लिए प्रतिबद्ध हैं, और संयुक्त राष्ट्र में वरिष्ठ पदों पर लैंगिक समानता को एक वास्तविकता बना दिया गया है.

उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के अन्तरराष्ट्रीय रग्बी कप्तान सिया कोलिसा को स्पॉटलाइ पहल का वैश्विक चैम्पियन बनाने की भी घोषणा की.

स्पॉटलाइट पहल के तहत लड़कियों व महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा का ख़ात्मा करने की मुहिम पुरुषों को बढ़चढ़कर शामिल किया जाता है. 

अपने हिस्से का टैक्स अदा करें

महासचिव ने मौजूदा दौर में व्याप्त असमानताओं का ज़िक्र करते हुए कहा कि व्यापार का दायरा बढ़ने, और प्रोद्योगिकी जगत में प्रगति के कारण आय वितरण में असाधारण अन्तर आया है.

उन्होंने चेतावनी के अन्दाज़ में कहा कि कम कौशल वाले कामगारों को इसका ज़्यादा ख़ामियाज़ा भुगतना पड़ रहा है और नई प्रोद्योगिकियों, ऑटोमेशन (इन्सान का काम मशीनों द्वारा किया जाना), उत्पादन कार्य अन्य देशों में कराना और श्रम बाज़ारों का पतन होने के कारण उनके सामने नई घातक चुनौतियाँ दरपेश हैं.

महासचिव ने कहा कि इस बीच बड़े पैमाने पर दी जाने वाली कर राहतें या छूटें, टैक्स अदायगी से बचना और टैक्स अदा नहीं करने के तरीक़े निकालने का चलन, व कॉर्पोरेशन टैक्स की कम दरें, होने के मतलब है कि सामाजिक संरक्षण, शिक्षा, और स्वास्थ्य देखभाल जैसी आवश्यक सेवाओं के लिये कम संसाधन बचते हैं जो असमानता कम करने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं.

कुछ देशों ने धनी व प्रभावशाली सम्पर्कों वाले लोगों को कर प्रणालियों से लाभ उठाने देने का माहौल बना दिया है लेकिन “हर किसी को अपने हिस्सा का टैक्स अवश्य अदा करना चाहिए.” 

उन्होंने कहा कि सरकारों को भ्रष्टाचार के दुष्चक्र को तोड़ने के लिये सरकारों को आवश्यक कार्रवाई करनी होगी जिसके कारण सामाजिक मान्यताएँ और क़ानून का शासम कमज़ोर होते हैं. साथ ही करों का बोझ लोगों की आमदनी से हटाकर कार्बन की तरफ़ मोड़ा जाए जिससे जलवायु आपदा से निपटने में मदद मिलेगी.

जलवायु परिवर्तन अलबत्ता एक वैश्विक समस्या है, लेकिन इसके प्रभाव उन देशों पर ज़्यादा हो रहे हैं जो इसके लिए सबसे कम ज़िम्मेदार हैं. ये मुद्दा आने वाले वर्षों में और भी ज़्यादा गहराने वाला है जिससे करोड़ों लोगों के कुपोषण, मलेरिया और अन्य बीमारियों का शिकार होने का ख़तरा है. इसके अलावा बहुत से लोगों को जबरन पलायन और मौसम की अत्यधिक सख़्त घटनाओं का भी सामना करना पड़ सकता है.

कैमरून के उत्तरी हिस्से के बैगाई स्कूल में एक बच्ची कम्प्यूटर टैबलेट से सीखती हुूई. इस तरह की टैबलेट यूनीसेफ़ ने मुहैया कराई हैं. (39 अक्टूबर 2017)
UNICEF/UN0143514/Karel Prinsloo
कैमरून के उत्तरी हिस्से के बैगाई स्कूल में एक बच्ची कम्प्यूटर टैबलेट से सीखती हुूई. इस तरह की टैबलेट यूनीसेफ़ ने मुहैया कराई हैं. (39 अक्टूबर 2017)

महासचिव ने सुझाव देते हुए कहा कि एक न्यायसंगत व टिकाऊ भविष्य बनाने के लिए आगे बढ़ने का एक मात्र रास्ता ये है कि एक “नई सामाजिक संविदा” को अपनाया जाए; जिसमें युवाओं को गरिमा के साथ जीवन जीने का मौक़ा मिले, महिलाओं को भी पुरुषों के ही समान अवसर मिलें; निर्बलों को सुरक्षा मिले, और एक ऐसा “वैश्विक समझौता” हो जिसके तहत सत्ता, सम्पदा और अवसरों का दायरा ज़्यादा व्यापक हो और अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर ज़्यादा न्यायसंगत भी.

एक नई सामाजिक संविदा के एक हिस्से के रूप में श्रम बाज़ार नीतियाँ रोज़गार देने वालों और कामगारों के बीच रचनात्मक संवाद पर आधारित हों, और जिनमें मानवाधिकार व बुनियादी स्वतन्त्रताएँ सुनिश्चित की जाएँ.

महासचिव ने एक नया सामाजिक सुरक्षा कवच बनाए जाने का भी अहवान किया जिसमें सार्वभौम स्वास्थ्य कवरेज भी शामिल हो, सार्वभौम न्यूनमत आमदनी सुनिश्चित करने की भी सम्भावना हो, सार्वजनिक सेवाओं में निवेश बढ़ाया जाए, और लम्बे समय से चली आ रही असमानताओं को ख़त्म करने के लिये, सकारात्मक कार्रवाई वाले कार्यक्रम और लैंगिक पहचान, नस्ल व जातीयता के क्षेत्रों में व्याप्त असमानताओं को ख़त्म करने के लिये अन्य तरह की नीतियाँ बनाई जाएँ.

यूएन प्रमुख ने व्याख्या करते हुए बताया कि सभी के लिये गुणवत्ता वाली शिक्षा, और डिजिटल टैक्नॉलॉजी का सभी के हित के लिये असरदार प्रयोग ही इन लक्ष्यों की प्राप्ति में महत्वपूर्ण साबित होगा.

इसका मतलब है कि निम्न व मध्य आय वाले देशों में शिक्षा पर ख़र्च को वर्ष 2030 तक दोगुना करके 3 ट्रिलियन डॉलर प्रतिवर्ष के स्तर पर लाना शामिल होगा. ऐसा होने से निम्न व मध्य आय वाले देशों में बच्चे एक पीढ़ी के भीतर ही सभी स्तरों पर गुणवत्ता वाली शिक्षा हासिल कर पाएँगे.

यूएन महासचिव ने कहा कि सरकारों को बच्चों को शिक्षा देने वाले तरीक़े भी पूरी तरह से बदलने होंगे और डिजिटल साक्षरता व ढाँचे में भी धन निवेश करना होगा, इससे उन बच्चों को प्रोद्योगिकी के कारण उथल-पुथल का सामना कर रहे कामकाजी स्थानों में आ रहे तेज़ बदलावों के लिए तैयार करने में मदद मिलेगी.

महासचिव ऐसे कुछ उपाय भी गिनाए जो संयुक्त राष्ट्र इन प्रयासों के तहत कर रहा है, इनमें डिजिटल सहयोग के लिये एक रोडमैप भी शामिल है, जो जून में में यूएन मुख्यालय में शुरू किया गया था.

इस रोडमैप में साल 2030 तक चार अरब लोगों को इन्टरनेट से जोड़ने के रास्ते निकालने के लिए प्रोत्साहित किया गया है. इसमें गीगा नामक परियोजना भी शामिल है जिसमें दुनिया भर के हर एक स्कूल को ऑनलाइन बनाने जैसा महत्वाकाँक्षी लक्ष्य भी है. 

‘या तो हम एकजुट हों, या फिर बिखर जाएँ’ 

यूएन प्रमुख ने अपना ये प्रमुख रणनैतिक दृष्टि वाला वक्तव्य अन्तरराष्ट्रीय सहयोग व एकजुटता की महत्ता पर ज़ोर देते हुए समाप्त किया, “हम एक दूसरे से जुड़े हुए हैं, या तो हम एकजुट रहें या फिर बिखर जाएँ.”

भाषण के समापन में उन्होंने कहा कि विश्व इस समय बहुत नाज़ुक मोड़ पर है, और ये दौर हमारे नेताओं के लिये ये फ़ैसला करने का है कि वो क्या रुख़ अपनाएँ.

एंतोनियो गुटेरेश ने जो विकल्प पेश किया वो था कि या तो “अराजकता, विभाजन और असमानता” को चुना जाए, या फिर अतीत की ग़लतियों को सुधारते हुए, एक साथ मिलकर आगे बढ़ा जाए और सभी की भलाई के लिये काम किया जाए.