कोविड-19: खाद्य सुरक्षा को क्षति कम करने के लिए ‘देश-स्फूर्त’ दृष्टिकोण ज़रूरी

संयुक्त राष्ट्र के खाद्य व कृषि संगठन के प्रमुख ने कोरोनोवायरस महामारी ख़त्म होने के बाद के लिये एक नई योजना शुरू करते हुए कहा है कि अब 'सामान्य तरीक़े से व्यापार चलाना’ कोई विकल्प नहीं रह गया है और देश स्तर पर आधारित नीतियाँ बनाने और लागू करने के विकल्प पर भी ग़ौर करना होगा.
खाद्य और कृषि एजेंसी (FAO) के महानिदेशक क्यू यू डोंग्यु ने मंगलवार को नई रणनीति जारी करते समय अपनी प्रारम्भिक टिप्पणी में कहा “हमें खाद्य सुरक्षा और पोषण पर कोविड-19 के हानिकारक प्रभावों को सीमित करने के लिये कड़ी मेहनत करनी होगी. हमें अधिक ‘देश स्फूर्त’ होना होगा और अभिनव तरीक़ों से, एक साथ मिलकर काम करना होगा.”
कृषि संगठन के व्यापक कोविड-19 रिस्पॉन्स और रिकवरी कार्यक्रम का उद्देश्य - खाद्य सुरक्षा और पोषण की दीर्घकालिक विकास कार्रवाई पर एक साथ काम करते हुए, महामारी के दौरान और बाद में, दुनिया भर में खाद्य आपदा की स्थिति पैदा होने से रोकना है.
विश्व स्तर पर पौष्टिक भोजन की उपलब्धता सुनिश्चित करने की ख़ातिर एक समन्वित प्रतिक्रिया के लिये संसाधनों और भागीदारी को - देश, क्षेत्र और वैश्विक स्तर पर तैयार करना होगा जिसके लिए 1 अरब 20 करोड़ अमेरीकी डॉलर के प्रारम्भिक निवेश की आवश्यकता होगी.
इस नए कार्यक्रम का मक़सद खाद्य प्रणालियों और आजीविका के दीर्घकालिक लचीलेपन को मज़बूत करते हुए महामारी के तात्कालिक प्रभावों को कम करना होगा.
संगठन प्रमुख ने कहा, "इसी तरह एफ़एओ ने अपना व्यापक कोविड-19 प्रतिक्रिया और पुनबहाली कार्यक्रम निर्मित किया है और आज हम आप सबसे हमारे साथ जुड़ने का आग्रह कर रहे हैं."
इस महामारी ने एक बड़ी सार्वजनिक चिन्ता का विषय होने के अलावा वैश्विक खाद्य सुरक्षा को भी ख़तरे में डाल दिया है.
विश्व बैंक के अनुमानों के अनुसार, संकट के आर्थिक प्रभावों के कारण 4 करोड़ 90 लाख अतिरिक्त लोग अत्यधिक ग़रीबी के गर्त में पहुँच सकते हें
इसके अलावा, बढ़ती बेरोज़गारी दर, आय में कमी और बढ़ती खाद्य लागत, न केवल विकसित और विकासशील देशों में भोजन की उपलब्धता को ख़तरे में डालती है, बल्कि खाद्य सुरक्षा पर दीर्घकालिक असर भी छोड़ती है.
कोविड-19 के कारण राष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाएँ जैसे-जैसे मन्दी में डूब रही हैं, ऐसे में आने वाले समय में, देशों को खाद्य प्रणालियों व खाद्य सुरक्षा पर दीर्घकालिक प्रभावों को कम करने के लिये तात्कालिक क़दम उठाने होंगे.
इस बीच, संघर्ष, प्राकृतिक आपदाएँ, जलवायु परिवर्तन और हैज़ा जैसे मौजूदा संकटों से ये अनिश्चित स्थिति और ज़्यादा जटिल होती जा रही है.
खाद्य व कृषि संगठन ने सरकारों को उभरती हुई प्रवृत्तियों को बेहतर ढंग से समझने, किसी भी झटके को इंगित करने और कई प्रकार के विषयों में तकनीकी सलाह व क्षमता विकसित करने का आहवान किया है. इसके साथ ही अधिक निवेश सहायता भी दी जा रही है.
एफ़एओ के उप-महानिदेशक, बेथ बेछडोल ने बैठक को आगाह करते हुए कहा, "खाद्य गठबन्धन उच्च स्तरीय पूंजी और राजनैतिक इच्छाशक्ति के ज़रिये महामारी से बचने के लिए एक अनुकरणीय दृष्टिकोण है. लेकिन इसके लिये भविष्य में अपार प्रयास करने की ज़रूरत पड़ेगी.”
इस रिपोर्ट में खाद्य प्रणाली को बढ़ाने और खाद्य सुरक्षा पर कोविड-19 प्रभावों को कम करने के लिये सात प्राथमिकताओं पर ज़ोर दिया गया है.
• कोविड-19 के लिए एक वैश्विक मानवीय प्रतिक्रिया योजना लागू करना
• निर्णय क्षमता बेहतर करने के लिये डेटा में सुधार
•.ग़रीबी उन्मूलन के लिये आर्थिक समावेश और सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करना
• व्यापार और खाद्य सुरक्षा मानक बढ़ाना
•. छोटे उद्यमों की पुनर्बहाली क्षमता बढ़ाना
• भविष्य में पशुजन्य महामारी की रोकथाम में "सभी के लिये स्वास्थ्य" का दृष्टिकोण मज़बूत करना
• खाद्य प्रणाली के कार्यान्वयन में बदलाव