कोविड-19: महामारी के प्रकोप से उबरने में महिला नेतृत्व की महती भूमिका
विश्वव्यापी महामारी कोविड-19 के कारण विश्व भर में स्वास्थ्य, मानवीय सहायता और विकास के लिए अभूतपूर्व संकट पैदा हुआ है लेकिन इस चुनौती से महिला नेतृत्व की शक्ति भी उजागर हुई है. संयुक्त राष्ट्र उपमहासचिव अमीना जे. मोहम्मद ने मंगलवार को विभिन्न क्षेत्रों, सैक्टरों और पीढ़ियों की प्रभावशाली महिलाओं के साथ एक वर्चुअल बैठक के दौरान यह बात कही है.
Women #RiseForAllIn this devastating #COVID19 crisis we have an opportunity to hit the reset button, to deliver on the Decade of Action. This will only be possible when we recognize the value of women front and centre, together leading the way and rising for all. pic.twitter.com/LljBENGD6N
AminaJMohammed
इस बैठक में स्विट्ज़रलैंड की राष्ट्रपति सिमोनेटा सोमारूगा, बारबेडॉस की प्रधानमन्त्री मिया मोट्ले और लाइबेरिया की पूर्व राष्ट्रपति इलेन जॉनसन सरलीफ़ सहित अन्य हस्तियों ने शिरकत की.
यह आयोजन महामारी से उबरने में कारगर समाधानों की तलाश और महिला नेतृत्व की सामर्थ्य में यूएन द्वारा किए जा रहे प्रयासों का हिस्सा था.
यूएन उपप्रमुख ने अपने सम्बोधन में कहा, “पिछले कुछ महीनों में दुनिया भर के लोगों ने वो देखा है जिसे हम पहले से ही जानते थे: महिलाओं के नेतृत्व से गहरा बदलाव आता है.”
“देश-दर-देश तथ्यों ने दर्शाया है कि किस तरह महिलाओं के नेतृत्व वाली सरकारें संक्रमण के वक्र को सपाट बनाने और आर्थिक पुनर्बहाली के लिये तैयार होने में ज़्यादा कारगर रहीं.”
मंगलवार को “Women Rise for All” नामक वर्चुअल कार्यक्रम का उद्देश्य वैश्विक महामारी से निपटने की जवाबी कार्रवाई को आकार देने और पुनर्बहाली प्रक्रिया में महिला नेतृत्व की भूमिका पर चर्चा करना था ताकि सभी लोगों तक उसका लाभ पहुँच सके.
उन्होंने कहा कि हम नेतृत्व को निर्धारित करने वाले तरीक़ों को आकार देना चाहते हैं और यह सुनिश्चित करना चाहते हैं हम इस महामारी से इस तरह उबरें जिसमें महिलाओं का नेतृत्व बराबर हो और समान साझीदारी हो.
संकट में उम्मीद की किरण
महिला व बाल अधिकारों के लिये लड़ाई में अग्रणी नाम ग्रासा मशेल ने कहा कि मौजूदा महामारी के दौरान महिलाओं का नेतृत्व एक आशा की किरण बनकर उभरा है.
उन्होंने स्पष्ट किया कि यह महज़ संयोग नहीं है कि महिला राष्ट्राध्यक्ष वाले देशों - न्यूज़ीलैंड, जर्मनी, फ़िनलैंड और ताइवान में घातक नॉवल कोरोनावायरस को हराने में काफ़ी हद तक सफलता हासिल हुई है.
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“इस संकट से एक ऐसा सच सामने आया है जिसे नकारा नहीं जा सकता: कारगर ढँग से दुनिया को फिर सृजित करने में महिलाओं का नेतृत्व बेहद अहम है...जो और ज़्यादा मानव-आधारित होता है, ज़्यादा बराबरी वाला होता है. एक ऐसी दुनिया जिसमें ऐसा सामाजिक न्याय सुनिश्चित करना एक लक्ष्य होता है.”
मोज़ाम्बीक़ की पूर्व मन्त्री ग्रासा मशेल के मुताबिक महामारी के कारण उन मूल्य प्रणालियों व परम्पराओं का भी मूल्याँकन किया जाना होगा जिनका अब तक दबदबा रहा है.

उन्होंने ध्यान दिलाया कि इस संकट के बाद विश्व फिर से पुराने ढर्रे पर वापस नहीं लौट सकता.
“हमें एक ऐसी पृथ्वी पर रहना है जहाँ भौतिकवाद, लालच, विषमताएँ भविष्य में मानव परिवार को और ज़्यादा विभाजित ना कर पाएँ.”
‘Women Rise for All’ नामक ये पहल इस वर्ष अप्रैल में महासचिव एंतोनियो गुटेरेश की एकजुटता और तत्काल कार्रवाई के समर्थन में शुरू की गई थी.
विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि मंगलवार तक विश्व भर में कोविड-19 के संक्रमण के एक करोड़ 29 लाख मामलों की पुष्टि हो चुकी है और पाँच लाख 60 हज़ार से ज़्यादा लोगों की मौत हुई है.
यूएन उपप्रमुख ने कहा कि इस विनाशकारी संकट के दौरान भी एक बेहतर दुनिया के निर्माण का अवसर मौजूद है जिसमें सभी के लिये काम किया जाए. लेकिन उनके मुताबिक यह तभी सम्भव होगा जब अग्रिम मोर्चे पर सभी को रास्ता दिखाने वाली महिलाओं की भूमिका के मूल्य को समझा जाएगा.