सीरिया: जीवनरक्षक मानवीय राहत जारी रखने के लिए अनुमति अधर में

तुर्की से पश्चिमोत्तर सीरिया में भोजन और जीवनदायी मानवीय राहत पहुँचाने के लिए समयसीमा शुक्रवार को समाप्त हो रही है लेकिन सुरक्षा परिषद में इस अवधि को बढ़ाने के लिए इस सप्ताह तीसरा प्रयास भी विफल हो गया.
शुक्रवार को वीडियो टेलीकॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिये सुरक्षा परिषद की बैठक में बेल्जियम और जर्मनी द्वारा पेश एक प्रस्ताव के मसौदे पर चर्चा हुई. इस प्रस्ताव पर रज़ामंदी होने की स्थिति में बाब अल-सलाम और बाब अल-हावा से गुज़रने वाली चौकियों के ज़रिये मानवीय राहत को 10 जनवरी 2021 तक पहुँचाना सम्भव होता.
सुरक्षा परिषद के 15 में से 13 सदस्यों ने इस प्रस्ताव के पक्ष मे मत दिया लेकिन चीन और रूस द्वारा विरोध में मतदान किए जाने से यह प्रस्ताव पारित नहीं किया जा सका. दोनों देश सुरक्षा परिषद के स्थाई सदस्य हैं और उनके पास वीटो करने का अधिकार है.
वोटिंग के नतीजे के बाद इस मुद्दे पर सुरक्षा परिषद की बंद दरवाज़े में चर्चा होनी है जिसे कोविड-19 के मद्देनज़र विशेष लिखित प्रक्रिया के तहत आयोजित किया जाएगा.
सीमा-पार राहत की मौजूदा व्यवस्था के लिए सुरक्षा परिषद से अनुमति लम्बी वार्ता के बाद इस वर्ष जनवरी में मिली थी. यह समसयीमा शुक्रवार को समाप्त हो रही है.
इससे पहले बेल्जियम और जर्मनी ने एक ऐसे ही अन्य प्रस्ताव का मसौदा सामने रखा था जिसमें सीमा-पार मानवीय राहत व्यवस्था को एक साल तक जारी रखना सम्भव होता.
लेकिन चीन और रूस ने बुधवार को इस प्रस्ताव को वीटो कर दिया था और प्रतिनिधियों ने एक दूसरे पर मानवीय राहत के राजनैतिकरण के आरोप लगाए थे. सीरिया में हिंसा और अस्थिरता से जूझ रहे एक करोड़ से ज़्यादा लोग मानवीय राहत पर निर्भर हैं.
इसके बाद रूस की ओर से एक प्रस्ताव पेश किया गया जिसमें बाब अल-हवा से गुज़र कर मानवीय राहत को 10 जनवरी 2021 तक पहुँचा पाना सम्भव होता लेकिन गुरुवार को ज़रूरी मतों के अभाव में यह पारित नही हो पाया.
इसके पक्ष में चार वोट (चीन, रूस, दक्षिण अफ़्रीका, वियत नाम) और विरोध में सात मत (बेल्जियम, डोमिनिकन रिपब्लिक, एस्टोनिया, फ़्राँस, जर्मनी, ब्रिटेन, अमेरिका) पड़े. सुरक्षा परिषद के चार सदस्य (इंडोनेशिया, सेंट विन्सेंट एण्ड द ग्रेनेडाइन्स, ट्यूनीशिया) वोटिंग के दौरान अनुपस्थित रहे.
मानवीय राहत पहुँचाने के लिए बाब अल-सलाम एक अहम पड़ाव है जहाँ से उत्तरी अलेप्पो तक पहुँचा जा सकता है जबकि बाब अल-हावा से इदलिब तक मदद पहुँचाई जा सकती है.
सुरक्षा परिषद के लिए अपनी ताज़ा रिपोर्ट में यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा था कि बाब अल-सलाम और बाब अल-हावा से होकर गुज़रने वाली मानवीय राहत अपने रिकॉर्ड स्तर पर संचालित हो रही है और वैश्विक महामारी कोविड-19 से उपजे हालात में इसका दायरा और भी बढ़ाया जाना होगा.
उन्होंने दोनों क्रॉसिन्ग प्वाइंट से मानवीय राहत की अनुमति को 12 महीनों के लिए बढ़ाए जाने की सिफ़ारिश की थी.
साथ ही आगाह किया था कि अगर इस पर सहमति नहीं बनाई जा सकी तो लाखों लोगों तक जीवनदायी मदद पहुँचाने के प्रयासों को झटका लगेगा क्योंकि संयुक्त राष्ट्र उन तक अन्य माध्यमों से नहीं पहुँच पाएगा.