तुर्की द्वारा ऐतिहासिक 'आया सोफ़िया' का दर्जा बदले जाने पर यूनेस्को ने जताया खेद

संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवँ सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) ने तुर्की के उस फ़ैसले पर गहरा खेद जताया है जिसमें किसी विचार-विमर्श के बिना ही प्राचीन ‘आया सोफ़िया’ (Hagia Sophia) धरोहर को मस्जिद मे बदलने की बात कही गई है. ग़ौरतलब है कि तुर्की के राष्ट्रपति रेचप तैयप एरदोआन ने इस सिलसिले में शुक्रवार को एक आधिकारिक आदेश पर हस्ताक्षर किये हैं. इससे पहले यूएन एजेंसी ने तुर्की से अपने दायित्वों का निर्वहन करने और ‘आया सोफ़िया” का दर्जा विश्व धरोहर सूची में एक संग्रहालय के तौर पर बनाए रखने की अपील की थी.
इस बेहतरीन इमारत को क़रीब डेढ़ हज़ार साल पहले एक बड़े गिरजाघर के रूप में स्थापित किया गया था और विश्व में इसे बायेज़ेन्टाइन ईसाई वास्तुशिल्प के अप्रतिम उदाहरण के तौर पर देखा जाता है.
ओटोमन साम्राज्य के उभार के बाद इसे बाद में एक मस्जिद बना दिया गया लेकिन फिर वर्ष 1934 में इमारत को एक धर्मनिरपेक्ष संग्रहालय का दर्जा दिया गया जिसे ईसाई व मुस्लिम समुदायों सहित हर पंथ के लोग बराबर रूप से महत्वपूर्ण समझते हैं.
Hagia Sophia: UNESCO deeply regrets the decision of the Turkish authorities, made without prior discussion, and calls for the universal value of #WorldHeritage to be preserved.Full statement: https://t.co/WiZpjyagqF pic.twitter.com/klcMR9pmxC
UNESCO
वर्षों तक चलाई गई मुहिम और तुर्की की एक अदालत के फ़ैसले के बाद ही राष्ट्रपति एरदोआन ने आधिकारिक आदेश पर हस्ताक्षर किये हैं.
ख़बरों के मुताबिक इस फ़ैसले के बाद इमारत का नियन्त्रण देश के धार्मिक निदेशालय को सौंप दिया जाएगा और इसे मस्जिद के तौर पर खोला जाएगा जहाँ नमाज़ भी अदा की जा सकेगी.
यूनेस्को की महानिदेशक ऑड्री अज़ोले ने इस फ़ैसले पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि एक संग्रहालय के रूप में इस इमारत का दर्जा इस धरोहर के सार्वभौमिक मूल्यों को प्रदर्शित करता है और सम्वाद के लिए इसे एक मज़बूत प्रतीक बनाता है.
उन्होंने कहा कि यह वास्तुशिल्प का उत्कृष्ट उदाहरण है और सदियों से योरोप व एशिया के बीच सम्पर्कों का अनूठा प्रमाण भी.
यूनेस्को ने अपने बयान में कहा है कि आधिकारिक आदेश से पहले यूएन एजेंसी ने तुर्की की सरकार से सम्वाद की पुकार लगाई थी.
एजेंसी ने आगाह किया था कि सार्वभौमिक मूल्य को समेटे इस स्थल को प्रभावित करने वाला कोई भी निर्णय को लेने से पहले विचार-विमर्श ज़रूरी है.
आया सोफ़िया इमारत तुर्की के इस्ताम्बुल शहर के ऐतिहासिक क्षेत्रों का हिस्सा है और विश्व धरोहर सूची में इसे संग्रहालय का दर्जा प्राप्त है.
वक्तव्य में कहा गया है कि किसी भी तरह की तब्दीली के लिए यूनेस्को को सम्बन्धित देश से सूचना मिलना ज़रूरी है और आवश्यक होने पर विश्व धरोहर समिति पड़ताल भी कर सकती है.
बयान के मुताबिक किसी भी सम्पत्ति के असाधारण सार्वभौमिक मूल्य के आधार पर ही विश्व धरोहर सूची में उसे शामिल करने का निर्णय लिया जाता है.
यूएन एजेंसी ने कहा है कि अपने दर्जे के अनुरूप ‘आया सोफ़िया’ एक मज़बूत प्रतीकात्मक, ऐतिहासिक और सार्वभौमिक मूल्य को दर्शाती है.
यूनेस्को ने तुर्की सरकार से बिना देरी के सम्वाद शुरू करने की अपील की है ताकि इस असाधारण विरासत के सार्वभौमिक मूल्य पर होने वाले किसी तरह के नकारात्मक प्रभाव की तत्काल रोकथाम की जा सके.
यूएन एजेंसी संस्कृति से जुड़े मामलों के लिए सहायक महासचिव अर्नेस्टो ओटोन ने ज़ोर देकर कहा कि यूनेस्को के साथ विचार-विमर्श के बिना इस तरह के फ़ैसले लागू किए जाने से बचा जाना अहम है जिनसे इस धरोहर तक पहुँचने और देखने, इमारतों का ढाँचा और स्थल का प्रबन्धन प्रभावित होता हो.
उन्होंने ध्यान दिलाया कि अगर ऐसे क़दम उठाए जाते हैं तो वो वर्ष 1972 की ‘विश्व धरोहर सन्धि’ के तहत तय नियमों का उल्लंघन होंगे.