सर्वजन के लिये जल व स्वच्छता – त्वरित कार्रवाई के लिए नया फ़्रेमवर्क

वर्ष 2030 तक सभी के लिये जल और साफ़-सफ़ाई की सुलभता सुनिश्चित कराने के इरादे से गुरुवार को एक नई व्यवस्था शुरू की गई है. 'Global Acceleration Framework for SDG-6' नामक इस प्रणाली का उद्देश्य टिकाऊ विकास लक्ष्यों के 2030 एजेण्डा को हासिल करने के प्रयासों में तेज़ी लाना है और इसे 30 से ज़्यादा यूएन संस्थाओं और 40 अन्तरराष्ट्रीय संगठनों ने विकसित किया है.
टिकाऊ विकास एजेण्डा के छठे लक्ष्य में सभी के लिये जल और साफ़-सफ़ाई की उपलब्धता व टिकाऊ प्रबन्धन का महत्वाकाँक्षी लक्ष्य रखा गया है. यह एक ऐसा लक्ष्य है जिससे अनेक यूएन एजेंसियों का कामकाज जुड़ा हुआ है.
यूएन प्रमुख ने वर्चुअल कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा, “वर्ष 2030 तक टिकाऊ विकास लक्ष्य हासिल करने के प्रयासों के तहत कार्रवाई के दशक के लिए संगठित होने की मेरी पुकार के जवाब में ग्लोबल एक्सीलरेशन फ़्रेमवर्क को शुरू होते देखकर मैं गौरवान्वित हूँ.”
Through a reinvigorated system and a new generation of UN Country Teams, UN-Water will provide access to expertise, technical assistance and advocacy support to deliver the promise of safe water and sanitation for all by 2030.https://t.co/UtdVMyCYYX Let's get #SDG6ontrack! pic.twitter.com/boImjhEtu1
UN_Water
गुरुवार को शुरू किये गए फ़्रेमवर्क में ऐसे समाधान पेश किये गए हैं जिनके ज़रिये देशों को दक्ष और समन्वित समर्थन प्रदान किया जाएगा ताकि सभी के लिये जल और साफ़-सफ़ाई की वैश्विक उपलब्धता व टिकाऊ प्रबन्धन सुनिश्चित हो सके.
यूएन प्रमुख ने कहा कि लगभग अन्य सभी 16 टिकाऊ विकास लक्ष्यों को पाने में जल की अहम भूमिका है. यह जलवायु परिवर्तन के प्रति सुदृढ़ता क़ायम करने में ज़रूरी है और शान्ति, सुरक्षा, मानवाधिकार व विकास के लिए यूएन प्रयासों की बुनियाद को मज़बूती देता है.
लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया कि वैश्विक स्तर पर जल की आपूर्ति मौजूदा समय में दोहरे ख़तरों का सामना कर रही है – बढ़ती माँग व दोहन, जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण और अन्य कारणों से जल स्रोतों का क्षरण.
ऐसे में टिकाऊ विकास के छठे लक्ष्य की दिशा में प्रगति पटरी से उतर गई है.
संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि दुनिया में दो अरब से ज़्यादा लोगों के लिये पीने का सुरक्षित जल उपलब्ध नहीं है और चार अरब से ज़्यादा लोग साफ़-सफ़ाई के अभाव में जीवन यापन कर रहे हैं.
महासचिव ने सचेत किया, “जैसे-जैसे जलवायु का बदलना जारी रहेगा, एसडीजी-6 पर प्रगति के रास्ते में चुनौतियाँ गहराती जाएँगी.”
“जल और साफ़-सफ़ाई कोविड-19 से लड़ाई में भी अहम हैं. साबुन से हाथ धोना कोविड-19 और अन्य संक्रामक बीमारियों के फैलाव को सीमित करने के असरदार तरीक़ों में से एक है.”
वैश्विक महामारी के कारण दुनिया को एक ख़तरनाक मन्दी से जूझना पड़ रहा है. यूएन प्रमुख ने ज़ोर देकर कहा कि इन हालात में संसाधनों के दक्षतापूर्ण इस्तेमाल के लिए वैश्विक स्तर पर बेहतर समन्वय की आवश्यकता है.
संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष तिजानी मोहम्मद-बाँडे ने भी बैठक को सम्बोधित किया और शान्ति बनाए रखने में जल सुरक्षा की अहमियत को रेखांकित किया – ना सिर्फ़ स्थानीय स्तर पर बल्कि देशों के बीच भी.
“ताज़े पानी का कुल 60 फ़ीसदी 250 जल बेसिनों से होता हुआ बहता है जो 148 देशों में बँटे हुए हैं.”
“अंशों मे वितरण होने के कारण बहुपक्षीय सहयोग के ज़रिये ही हम वैश्विक जल संसाधन का दक्षतापूर्ण प्रबन्धन कर सकते हैं. सभी के लिए वर्ष 2030 तक सुरक्षित और किफ़ायती पेयजल उपलब्ध कराने का लक्ष्य तब तक दूर रहेगा जब तक जल सम्बन्धी हमारी नीतियों व कार्रवाई में समरसता और एकरूपता नहीं होगी.”
‘ग्लोबल एक्सीलरेशन फ़्रेमवर्क’ के तहत यूएन संस्थाएँ आपसी सहयोग को मज़बूत बनाने का संकल्प लेंगी और अन्तरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा देशों को दिये जाने वाले समर्थन को एकीकृत करेंगी. इसके तहत देशों को विशेषज्ञता और तकनीकी मदद मुहैया कराई जाएगी.
साथ ही यूएन संस्थाओं ने एसडीजी-6 को हासिल करने के लिए बेहतर ढँग से प्रयास करने का संकल्प लिया है.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने इस सम्बन्ध में कार्रवाई देशीय स्तर पर केन्द्रित होने की योजना पर प्रसन्नता जताई है.
यूएन प्रणाली में लागू किये गए सुधार के तहत विभिन्न देशों में यूएन के प्रतिनिधियों में समन्वय के ज़रिये इस कार्य को सम्भव बनाया जाएगा.