सीरिया में हिंसा के दौरान अन्तरराष्ट्रीय क़ानून की अवहेलना के नए सबूत

अनेक वर्षों से सीरिया को अपनी गिरफ़्त में लेने वाले क्रूर हिंसक संघर्ष की आँच में आम लोगों का झुलसना अब भी जारी है. संयुक्त राष्ट्र द्वारा नियुक्त जाँचकर्ताओं की ताज़ा रिपोर्ट बताती है कि इदलिब गवर्नरेट में लड़ाई के दौरान अस्पतालों, स्कूलों, घरों और आम लोगों को निशाना बनाया गया. जाँचकर्ताओं के मुताबिक इन हमलों को युद्धापराध की श्रेणी में रखा जा सकता है. यह रिपोर्ट जिनीवा में मानवाधिकार परिषद के मौजूदा सत्र में 14 जुलाई को पेश की जानी है.
सीरिया पर ‘जाँच आयोग’ ने अपनी ताज़ा रिपोर्ट में सरकार का समर्थन कर रहे सुरक्षा बलों द्वारा इदलिब गवर्नरेट में पिछले वर्ष चलाए गए उस सैन्य अभियान का उल्लेख किया गया है जिसका मक़सद विद्रोही हथियारबन्द गुटों के क़ब्ज़े वाले इलाक़ों को फिर अपने नियन्त्रण में लेना था.
कमीशन के मुताबिक हयात तहरीर अल-शाम नामक संगठन के लड़ाकों ने घनी आबादी वाले इलाक़ों में अन्धाधुन्ध गोले बरसाए और सरकार के नियन्त्रण वाले इलाक़ों में आतंक फैलाया. संयुक्त राष्ट्र ने इस संगठन को आतंकवादी गुट घोषित किया हुआ है.
“What is clear from the military campaign is that pro-government forces and @UN-designated terrorists flagrantly violated the laws of #war & the rights of #Syrian civilians”. @UNCoISyria on new report Press release: https://t.co/5htXCkIXwd https://t.co/FoecTsC0S4
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जाँच कमीशन के प्रमुख पाउलो पिनयेरो ने बताया, “यह पूरी तरह घृणास्पद है कि नौ से भी ज़्यादा वर्षों के बाद आम लोगों पर अन्धाधुन्ध हमले जारी हैं और यहाँ तक कि अपने दैनिक कार्य पूरा करते समय भी उन्हें निशाना बनाया जाता है.”
“बच्चों पर स्कूलों में गोले बरसाए गए, अभिभावकों पर बाज़ारों में गोले बरसाए गए, मरीज़ों पर अस्पतालों में गोले बरसाए गए...भरे-पूरे परिवारों पर जान बचाकर भागते समय बमबारी हुई. इस सैन्य अभियान से स्पष्ट है कि सरकार-समर्थित सुरक्षा बल और यूएन द्वारा चिन्हित आतंकी पक्ष युद्ध के नियमों व सीरियाई नागरिकों के अधिकारों का खुला उल्लंघन करते हैं.”
सीरियाई सुरक्षा बलों ने रूसी वायु सेना के साथ हवाई और ज़मीनी हमले किये जिनमें नागरिक प्रतिष्ठान तबाह हो गए, और शहर व गाँव ख़ाली हो गए. इन हमलों में सैकड़ों महिलाओं, पुरुषों व बच्चों की मौत हुई है.
रिपोर्ट बताती है कि हवाई और ज़मीनी हमलों में ऐसे बहुत से स्थान तबाह हुए हैं जिन्हें देश के पश्चिमोत्तर में अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के तहत संरक्षण प्राप्त था. इनमें से कुछ हमलों के दौरान क्लस्टर बमों का इस्तेमाल किया गया.
नवम्बर 2019 से जून 2020 तक सभी पक्षों ने 17 हमले अस्पतालों और चिकित्सा केन्द्रों पर, 14 हमले स्कूलों पर, 12 हमले घरों पर और 9 हमले बाज़ारों पर किये.
जाँचकर्ताओं ने कहा कि अन्धाधुन्ध हमले और संरक्षित स्थलों पर जानबूझकर हमला करने जैसे कृत्यों को युद्धापराध की श्रेणी में रखा जा सकता है.
दिसम्बर 2019 की दूसरी छमाही के दौरान और इस वर्ष मध्य फ़रवरी में सरकार-समर्थित सुरक्षा बलों ने इदलिब गवर्नरेट के मारात अल-नुमान और अरीहा में व्यापक और अन्धाधुन्ध बमबारी की.
साथ ही पश्चिमी अलेप्पो में अतारिब और दारात अज़्ज़ा को भी निशाना बनाया गया जिसके कारण लोग सामूहिक विस्थापन का शिकार हुए हैं.
जाँचकर्ताओं के मुताबिक आम लोगों के पास जान बचाकर भागने के अलावा कोई विकल्प नहीं था.
हयात तहरीर अल-शाम संगठन के लड़ाकों ने लोगों के भागने के दौरान उनके घरों में लूटपाट की और लड़ाई के दौरान लोगों को हिरासत में लिया गया, उन्हें यातनाएँ दी गईं, और विरोध में अपनी आवाज़ उठाने वाले लोगों को जान से मार दिया गया – इनमें कुछ पत्रकार भी थे.
महिला मीडियाकर्मियों को दोहरी पीड़ा झेलनी पड़ी. आतंकी गुट ने महिलाओं व लड़कियों के साथ भेदभाव जारी रखा और उनकी आवाजाही की आज़ादी पर भी पाबन्दियाँ लगा दी गईं.
इदलिब में हिंसा से विस्थापन का शिकार और कोविड-19 संक्रमण के ख़तरे से जूझ रहे क़रीब दस लाख लोगों के लिए कमिश्नर हैनी मेगेली ने एक अपील जारी की है जिसमें उन्होंने सभी पक्षों से आम लोगों और नागरिक प्रतिष्ठानों पर हमले रोकने का आग्रह किया है.
जाँच आयोग की ये रिपोर्ट जिनीवा में मानवाधिकार परिषद के मौजूदा 44वें सत्र के दौरान 14 जुलाई को पेश की जानी है.