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ट्राँसफ़ैट के सेवन से बढ़ सकता है अण्डाशय कैंसर का ख़तरा

आलू फ्राइ चिप्स के साथ हैमबर्गर. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बहुत ज़्यादा चर्बी वाले खाद्य पदार्थों के लिए नए दिशा निर्देश जारी किए हैं. ऐसे खाद्य पदार्थों से मोटापा बढ़ रहा बताया गया है.
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आलू फ्राइ चिप्स के साथ हैमबर्गर. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बहुत ज़्यादा चर्बी वाले खाद्य पदार्थों के लिए नए दिशा निर्देश जारी किए हैं. ऐसे खाद्य पदार्थों से मोटापा बढ़ रहा बताया गया है.

ट्राँसफ़ैट के सेवन से बढ़ सकता है अण्डाशय कैंसर का ख़तरा

स्वास्थ्य

संयुक्त राष्ट्र के वैज्ञानिकों ने तले हुए खाने-पीने के पदार्थों और प्रोसेस्ड फ़ूड यानि खाने के लिए लम्बे समय तक संरक्षित किए जाने वाले खाद्य पदार्थों में पाए जाने वाले ‘ट्राँसफैट्स’ (Transfats) और अण्डाशय (Ovarian) कैंसर में सम्बन्ध होने की बात कही है. 

ट्राँसफैट्स आमतौर पर तले हुए भोज्य पदार्थों, बड़े पैमाने पर मशीनों के ज़रिये पकाए गए भोजन और हल्के नाश्ते के लिए इस्तेमाल किये जानने वाले पदार्थों (स्नैक्स) इत्यादि में पाया जाता है और इसे लम्बे समय तक इस्तेमाल के क़ाबिल बनाने के लिये औद्योगिक प्रक्रिया के ज़रिये तरल वनस्पति तेल में हाइड्रोजन मिलाकर तैयार किया जाता है. 

कैंसर पर रीसर्च के लिए अन्तरराष्ट्रीय एजेंसी (International Agency for Research on Cancer) ने गुरूवार को एक अध्ययन के नतीजे प्रकाशित किये हैं जिनमें इस बीमारी से पीड़ित डेढ़ हज़ार से ज़्यादा मरीज़ों का अध्ययन किया गया. 

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महिलाओं में कैंसर के कारण होने वाली मौतों में अण्डाशय कैंसर आठवें नम्बर पर है. 

इससे पहले भी कुछ अन्य सीमित अध्ययनों में औद्योगिक रूप से बनाए जाने वाले फ़ैटी फ़ूड्स और अण्डाशय कैंसर में सम्बन्ध की आशंका जताई गई थी लेकिन अभी तक पक्के निष्कर्ष नहीं निर्धारित किये गए हैं. 

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से जुड़े कैंसर रीसर्च एजेंसी की डॉक्टर इन्गे हॉएबरेख़्त्स ने बताया कि योरोप भर में किया जाने वाला यह पहला अध्ययन है जिसमें औद्योगिक ‘ट्राँस फ़ैटी अम्लों’ (Trans fatty acids) का सेवन करने और अण्डाशय कैंसर होने के बीच सम्बन्ध को दर्शाया गया है.  

कैंसर पर ट्राँस फ़ैटी अम्लों के प्रभाव पर शोध का दायरा अभी तक सीमित रहा है हालाँकि पुराने अध्ययन में बताया गया था कि औद्योगिक 'ट्राँस फ़ैटी एसिड' के सेवन से मोटापे और सूजन (Inflammation) जैसी कठिनाइयाँ पैदा हो सकती हैं.

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रीसर्च एजेंसी के मुताबिक अण्डाशय कैंसर के लिये ये दोनों कारक जोखिम बढ़ाने वाले हैं और इनसे कम से कम आंशिक रूप से समझा जा सकता है कि इन फ़ैटी एसिड्स और अण्डाशय कैंसर में सम्बन्ध है. 

वर्ष 2018 में अण्डाशय कैंसर के तीन लाख से ज़्यादा मामले सामने आए थे और एक लाख 84 हज़ार से ज़्यादा मौतें हुई थी.

कैंसर के कुल मामलों के हिसाब से इसका आठवाँ स्थान है और महिलाओं में कैंसर के कारण होने वाली मौतों के लिए भी. 

अण्डाशय कैंसर के बढ़ते मामलों के मद्देनज़र बचाव के लिये रोकथाम के उपायों की शिनाख़्त को ज़रूरी बताया गया है.

रीसर्च एजेंसी के वैज्ञानिकों का कहना है कि ताज़ा अध्ययन के निष्कर्ष यूएन स्वास्थ्य एजेंसी (WHO) की उन सिफ़ारिशों के अनुरूप हैं जिनमें भोजन से औद्योगिक ट्राँस फ़ैटी अम्लों को हटाने की बात कही गई है. 

उनके मुताबिक औद्योगिक स्तर पर तैयार किये जाने वाले प्रोसेस्ड फ़ूड, फ़ास्ट फूड के सेवन की मात्रा घटाने से अण्डाशय कैंसर का ख़तरा कम किया जा सकता है. साथ ही कैंसर सहित अनेक अन्य बीमारियों की भी रोकथाम सम्भव है.