वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

जलवायु संकट को समझने के लिए आसमान का सहारा

खगोलशास्त्र के ज़रिये पृृथ्वी के समक्ष पेश चुनौतियों के बारे में समझ विकसित करने में मदद मिल सकती है.
University of Hawaii/Henry Weilan
खगोलशास्त्र के ज़रिये पृृथ्वी के समक्ष पेश चुनौतियों के बारे में समझ विकसित करने में मदद मिल सकती है.

जलवायु संकट को समझने के लिए आसमान का सहारा

जलवायु और पर्यावरण

अनन्त तक विस्तृत ब्रह्माण्ड के अध्ययन के ज़रिये क्या जलवायु परिवर्तन के ख़िलाफ़ लड़ाई में मदद मिल सकती है? हवाई विश्वविद्यालय के दो खगोलशास्त्रियों (Astronomers) का मानना है कि सौरमण्डल के ज्ञान के सहारे पृथ्वी के वायुमण्डल के गरम होने की रफ़्तार को कम किया जा सकता है. यूएन न्यूज़ ने हाल ही में अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के साथ हवाई की यात्रा की और दोनों खगोलशास्त्रियों से मुलाक़ात की. यह ख़ास बातचीत 30 जून को ‘अन्तरराष्ट्रीय क्षुद्रग्रह दिवस’ से पहले की गई. 

प्रोफ़ेसर जॉन टोनरी ‘नेशनल एयरोनॉटिक्स एण्ड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन’ (NASA) से वित्तीय मदद प्राप्त ATLAS (Asteroid Terrestrial-impact Last Alert System) प्रोजेक्ट का नेतृत्व कर रहे हैं जिसे पृथ्वी का अन्तिम बचाव औज़ार बताया गया है.

उनके साथ पोस्ट-डॉक्टॉरल रीसर्चर एरी हाइन्त्ज़ भी इस प्रोजेक्ट में शामिल हैं.  

दोनों शोधकर्ताओं का कार्य जलवायु परिवर्तन पर वैश्विक बहस और 17 टिकाऊ विकास लक्ष्यों को हासिल करने में एक अहम भूमिका निभा सकता है.

टिकाऊ विकास पर आधारित 2030 एजेण्डा ग़रीबी मिटाने और टिकाऊ पृथ्वी के निर्माण का एक ऐसा ब्लूप्रिन्ट है जिस पर वैश्विक समुदाय ने सहमति जताई है. 

जॉन टोनरी: मुझे बड़े सवाल बहुत पसन्दद हैं; जैसेकि ब्रह्माण्ड कहाँ से आया और यह कहाँ जा रहा है? इस तरह के सवालों के जवाब देना जारी रखने के एक तरीक़े के तौर पर इस क्षुद्रग्रह (Asteroid) एस्टेरॉयड सर्वे को बनाना ज़रूरी था. 

हमारा काम क्षुद्रग्रहों के जोखिमों पर नज़र रखना और यह गणना करना है कि वे पृथ्वी से कब टकराएँगे. हमारे पास ऐसी टैक्नॉलॉजी है जो ऐसी घटनाओं को बढ़िया ढंग से माप सकती है.

साल 2021 में किसी क्षुद्रग्रह से टकराने की सम्भावना बेहद कम है लेकिन अगले 100 वर्षों में यह इतना मामूली नहीं है और इसके नतीजे में अनेक मौतें हो सकती हैं. इसलिए हमारी नज़र में क्षुद्रग्रह का टकराना एक कम सम्भावना वाली लेकिन बड़े नतीजे भरी घटना है.

एरी हाइन्त्ज़: वैसे तो हमारे अधिकांश सर्वे बड़े आकार वाले क्षुद्रग्रहों पर ध्यान केन्दित करते हैं – जिन्हें हम पृथ्वी से टकराने से कई दशकों पहले, यहाँ तक कि, एक सदी से पहले भी, देख सकते हैं, ATLAS में हमारी नज़र छोटे क्षुद्रग्रहों पर होती है जिनसे वैश्विक तबाही तो नहीं होगी लेकिन एक शहर बर्बाद होने की आशंका होती है, ऐसे क्षुद्रग्रह जिनके बारे में जानकारी भी नहीं होती है, जब वे पृथ्वी के बहुत नज़दीक आ जाते हैं.

अगर ATLAS इस तरह के किसी क्षुद्रग्रह को खोज निकालता है तो फिर हम उसे एक चक्रवाती तूफ़ान के ख़तरे की तरह लेंगे और एक शहर या प्रान्त को ख़ाली करने के लिए सलाह देंगे क्योंकि वहाँ एक बड़ा धमाका होने का ख़तरा होगा.

जॉन टोनरी: जिस तरह के कम्पयूटर हम अब इस्तेमाल करते हैं, 20 वर्ष पहले हम उन्हें नहीं ख़रीद सकते थे क्योंकि वे बहुत ही ज़्यादा महंगे थे. 

अब जिस तरह के कैमरा और टैलीस्कॉप बन रहे हैं, 10 साल पहले वैसा सम्भव ही नहीं था, और अब इन हार्डवेयर साधनों के अनुरूप ही सॉफ़्टवेयर क्षमताएँ भी विकसित हो गई हैं.    

एरी हाइन्त्ज़: क्षुद्रग्रहों का ख़तरा वैसे तो कम है लेकिन फिर भी यह मुझे कोई भी क़सर नहीं छोड़ने के लिए प्रोत्साहित करता है. यह एक अजीब विरोधाभास भी है. 

जॉन टोनरी (बाएँ); एरी हाइन्त्ज़ (दाएँ).
ILO Photo/Kevin Cassidy
जॉन टोनरी (बाएँ); एरी हाइन्त्ज़ (दाएँ).

हम अपने रीसर्च समुदाय में एक तरह से शान्तचित्त हैं. हम बहुत प्रयास कर रहे हैं लेकिन आमतौर पर ज़्यादा दबाव में नहीं रहते लेकिन हम यह भी समझते हैं कि किसी भी लम्हे हम दुनिया में थोड़े समय के लिए बेहद महत्वपूर्ण व्यक्ति भी बन जाएँगे.

जॉन टोनरी: जलवायु परिवर्तन को समझने में खगोलशास्त्र (Astronomy) अहम भूमिका निभा सकता है. यह सम्भव है कि सूर्य एक सदी तक चलने वाली परिक्रमाओं (Cycles) से गुज़रता है.

यह समझना महत्वपूर्ण है कि सूर्य किस तरह से व्यवहार करता है. इसकी सतह को देखने के लिए हमने कुछ ही समय पहले एक नया टैलीस्कॉप बनाया है. 

हम सौरमण्डल के दूसरे ग्रहों से भी सीख सकते हैं जहाँ जलवायु परिवर्तन बेहद ग़लत दिशा में हुआ है.

शुक्र (Venus) ग्रह पर वायुमण्डल के कारण तापमान बेहद गर्म हो गया था जबकि मंगल (Mars) की दिशा दूसरी थी जहाँ ठण्डक हो गई और अब वायुमण्डल के गर्म होने की आवश्यकता है. 

इसलिए ग्रह-सम्बन्धी वायुमण्डल के प्रति समझ हमें बताती है कि जलवायु परिवर्तन किस तरह तेज़ी से घट सकता है. 

एरी हाइन्त्ज़: अगर भविष्य की बात करें तो मुझे बहुत सी रोमांचक घटनाएँ होती दिखाई देती हैं – नए टैलीस्कॉप बनाए जा रहे हैं और नए स्पेस मिशन भी शुरू हो रहे हैं. कुछ ऐसे भी क्षेत्र हैं जहाँ हम लम्बी छलाँग आगे लगा सकते हैं, उदाहरण के तौर पर क्षुद्रग्रह और सौर प्रणाली की खोज में. 

और फिर भी कुछ ऐसे बड़े सवाल भी हैं जो बेहद दिलचस्प हैं लेकिन अभी तक हम उन्हें पूरी तरह नहीं समझ पाए हैं. हम यह समझने का प्रयास कर रहे हैं कि अब से 50 वर्ष बाद ‘Dark matter’ कैसा होगा. हम यह जानने में कल भी सफल हो सकते हैं लेकिन यह भी सम्भव है कि हम कभी ना जान पाएँ कि यह क्या है.

जॉन टोनरी: खगोलशास्त्री जलवायु परिवर्तन सम्बन्धी ग़लत धारणाओं को सही करने के लिए अच्छी स्थिति में हैं. इसका सरल जवाब ‘हाँ’ है और यही बात 30 वर्ष पहले मैंने अपने छात्रों को बताई थी.

सवाल महज़ इतना है कि यह कितना गम्भीर होगा और हालात को सही करने में धन कितना ख़र्च होगा.

मानव जाति के लिए सबसे बड़ी बात इस समय यह है कि हमें इसका सामना करने की ज़रूरत है. मैं सोचता हूँ कि खगोलशास्त्री यह सब अच्छी तरह और स्पष्टता से समझते हैं, और हम इसे स्पष्टता से समझा भी सकते हैं.