भोजन है अराजकता के ख़िलाफ़ ‘सर्वश्रेष्ठ वैक्सीन’

वैश्विक महामारी कोविड-19 अब निर्धन देशों में भी लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है जिसके कारण करोड़ों लोगों के इस वर्ष भुखमरी के गर्त में धँसने की आशंका है. विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) ने 83 देशों में प्रभावित लोगों तक सहायता पहुँचाने और वैश्विक राहत अभियान का दायरा और ज़्यादा व्यापक करने के लिए 4 अरब 90 करोड़ डॉलर की रक़म जुटाने की अपील जारी की है.
यूएन एजेंसी के मुताबिक भुखमरी और अस्त-व्यस्त हालात से निपटने के लिए भोजन एक कारगर वैक्सीन है.
“The frontline in the battle against the coronavirus is shifting from the rich world to the poor world,” @WFPChief 🚨🆕WFP is set to assist the largest number of hungry people ever as #COVID19 devastates poor nations.⬇️Read the news release⬇️
WFP
विश्व खाद्य कार्यक्रम के प्रमुख डेविड बीज़ली ने नए आँकड़े जारी करते हुए बताया कि नए अनुमान के अनुसार इस वर्ष के अन्त तक 27 करोड़ लोग खाद्य असुरक्षा का शिकार हो सकते हैं.
दुनिया के विश्वव्यापी महामारी कोविड-19 की चपेट में आने से पहले के आँकड़े में यह सँख्या 82 फ़ीसदी की बढ़ोत्तरी दर्शाती है.
उन्होंने कहा कि कोरोनावायरस संकट से विश्व के वे क्षेत्र भी प्रभावित हो रहे हैं जहाँ पहले गम्भीर खाद्य असुरक्षा नहीं थी.
“कोरोनावायरस के ख़िलाफ़ लड़ाई में अग्रिम मोर्चा अब धनी दुनिया से हटकर निर्धन दुनिया की ओर जा रहा है.”
लातिन अमेरिकी देशों में इस स्वास्थ्य संकट का बेहद गम्भीर असर देखने को मिला है और खाद्य सहायता पर निर्भर लोगों की संख्या में तीन गुना वृद्धि हुई है.
इनमें निम्न और मध्यम आय वाल देशों में शहरी समुदाय भी शामिल हैं.
यूएन खाद्य एजेंसी के मुताबिक रोज़गार ख़त्म होने और धन-प्रेषण (Remittances) में भारी गिरावट आने के कारण लोग अभावग्रस्त जीवन की ओर खिंचते जा रहे हैं.
पश्चिम और मध्य अफ्रीका में भुखमरी का शिकार लोगों की संख्या तेज़ी से बढ़ी है.
खाद्य असुरक्षा से पीड़ित लोगों में 135 प्रतिशत का इज़ाफ़ा हुआ है जबकि दक्षिणी अफ्रीकी देशों में 90 फ़ीसदी की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है.
विकट हालात और बढ़ती भुखमरी से निपटने के लिए विश्व खाद्य कार्यक्रम अपने इतिहास में सबसे बड़ा मानवीय राहत अभियान चलाने की तैयारियों में जुटा है.
पिछले साल 9 करोड़ 70 लाख लोगों को सहायता प्रदान की गई थी लेकिन वर्ष 2020 में 13 करोड़ से ज़्यादा लोगों तक राहत पहुँचाए जाने की योजना है.
यूएन एजेंसी प्रमुख ने कहा कि इसे सम्भव बनाने के लिए सतत धनराशि की आवश्यकता होगी.
इस क्रम में उन्होंने अगले छह महीनों में 83 देशों तक मदद पहुँचाने के लिए 4 अरब 90 करोड़ डॉलर की रक़म जुटाने की अपील जारी की है.
उन्होंने कहा कि कोविड-19 के इलाज के लिये जब तक एक असरदार वैक्सीन विकसित नहीं हो जाती तब तक भोजन ही अव्यवस्था और अस्त-व्यस्त हालात के ख़िलाफ़ एक सर्वश्रेष्ठ वैक्सीन है.
एजेंसी प्रमुख ने आगाह किया कि इसके अभाव में सामाजिक असन्तोष फैलने, विरोध-प्रदर्शन भड़कने, प्रवासन में बढ़ोत्तरी होने, हिंसक संघर्षों के और ज़्यादा गहरा होने और जनसमूहों के कुपोषण का शिकार होने की आशंका है, उन समुदायों में भी जो कभी भुखमरी का शिकार नहीं रहे.