इसराइल से फ़लस्तीनी इलाक़े छीनने की योजना से पीछे हटने का आग्रह

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने इसराइल से फ़लस्तीन में क़ब्ज़ाग्रस्त पश्चिमी तट के हिस्सों को हड़प लेने की योजना छोड़ने का आग्रह किया है. ऐसी आशंका जताई गई है कि इसराइल द्वारा इन फ़लस्तीनी इलाक़ों को छीन लेने की कार्रवाई इसराइल द्वारा अगले हफ़्ते तक की जा सकती है. यूएन के विशेष दूत निकोलाय म्लादेनॉफ़ ने सुरक्षा परिषद को सम्बोधित करते हुए आगाह किया है कि कई दशकों की शान्ति प्रक्रिया दाँव पर लगी है.
यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने बुधवार को सुरक्षा परिषद की वर्चुअल बैठक को सम्बोधित करते हुए कहा कि यह एक बेहद महत्वपूर्ण लम्हा है.
“अगर हड़पने की इस योजना पर अमल हुआ तो यह अन्तरराष्ट्रीय क़ानून का एक गम्भीर उल्लंघन होगा जिससे दो-राष्ट्र के समाधान की आशाओं को कष्टदायी नुक़सान होगा और वार्ताओं के फिर शुरू होने की सम्भावना कमज़ोर होगी.”
“मैं इसराइल सरकार से हड़पने की इस योजना से पीछे हटने का आग्रह करता हूँ.”
ग़ौरतलब है कि इसराइली प्रधानमन्त्री बेन्यामिन नेतान्याहू ने मार्च 2020 में राष्ट्रीय चुनावों के आख़िरी दौर में प्रचार के दौरान फ़लस्तीनी इलाक़े छीनने की योजना को अपने चुनावी प्रमुख वादों में शामिल किया था.
इस योजना से पश्चिमी तट पर इसराइल की सम्प्रभुता लगभग 30 फ़ीसदी तक बढ़ जाएगी – इसमें जॉर्डन घाटी से सैकड़ों ग़ैरक़ानूनी इसराइली बस्तियों तक का क्षेत्र शामिल है.
फ़लस्तीनी नेताओं ने इसका विरोध जताते हुए इसराइल और अमेरिका से अपने सम्बन्ध तोड़ लिए हैं. अमेरिका ने इस योजना का समर्थन किया था.
मध्य पूर्व में यूएन के दूत निकोलाय म्लादेनोफ़ ने सुरक्षा परिषद को सचेत किया है कि तीन दशकों के अन्तरराष्ट्रीय शान्ति प्रयास दाँव पर लगे हैं.
येरुशलम से सुरक्षा परिषद को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि 27 वर्ष पहले दोनों पक्ष यह मानकर विवाद को बातचीत के ज़रिये सुलझाने के लिए राज़ी हो गए थे कि इसराइलियों और फ़लस्तीनियों को अपने पूर्वजों स्थान पर रहने का अधिकार है.
साथ ही ऐसा करते समय एकतरफ़ा कार्रवाई से परहेज़ करना था और न्यायोचित ढँग से शान्ति स्थापना के लिए पारस्परिक सहमति पर पहुँचना लक्ष्य था.
“आज इस लक्ष्य से हम हमेशा से कहीं ज़्यादा दूर हैं.”
यूएन दूत म्लादेनॉफ़ ने बताया कि फ़लस्तीनी प्राधिकरण ने उसकी ओर से इसराइल द्वारा कर संग्रहण को स्वीकार करना बन्द कर दिया है.
इससे मासिक राजस्व में 80 फ़ीसदी की गिरावट दर्ज की गई है और कोविड-19 महामारी के कारण आर्थिक सँकट और गहरा गया है.
फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए संयुक्त राहत एवँ कार्य एजेंसी (UNRWA) को दानदाताओं से मिलने वाली मदद भी कम हुई है.
उन्होंने कहा कि ग़ाज़ा पट्टी में चरमपंथी गुट हमास के नियन्त्रण में रह रहे फ़लस्तीनियों के लिए हालात ज़्यादा चुनौतीपूर्ण हैं.
“संयुक्त राष्ट्र और अन्य अन्तरराष्ट्रीय संगठनों से लगातार ज़िम्मेदारियों में समन्वय के लिए कहा जा रहा है. हम आपात समर्थन देने के लिए तैयार हैं लेकिन संयुक्त राष्ट्र फ़लस्तीनी प्राधिकरण का स्थान नहीं ले सकता.”
“यह बेहद महत्वपूर्ण है कि मानवीय राहत और अन्य प्रकार की मदद में देरी या रुकावट ना आए.”
यूएन महासचिव द्वारा इसराइल के नाम जारी अपील का समर्थन करते हुए विशेष दूत ने कहा कि फ़लस्तीनी इलाक़े हड़पे जाने से इसराइल द्वारा पहले से क़ाबिज़ फ़लस्तीनी क्षेत्र और अन्य स्थानों पर अस्थिरता को बढ़ावा मिलेगा.
उन्होंने अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से अनुरोध किया है कि दोनों पक्षों को पीछे हटने और शान्ति की दिशा में संवाद के लिए तैयार करना होगा.
“आने वाले हफ़्तों में, ऐसे निर्णय किए जा सकते हैं जिनसे फ़लस्तीनी और इसराइली समाजों को अपूरणीय क्षति और दोनों पक्षों के लोगों की सुरक्षा और आर्थिक कल्याण को भी.”
विशेष दूत ने कहा कि अराजकता को टालने का समय अब भी है लेकिन इसके लिए सभी पक्षकारों द्वारा एक समन्वित प्रयास की आवश्यकता होगी.