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प्लास्टिक कचरा प्रबन्धन पर सरकारों को करने होंगे ज़्यादा प्रयास

भारत में एक कूड़ा घर में कचरे में कुछ काम की चीज़ें बीनती एक महिला
UNDP
भारत में एक कूड़ा घर में कचरे में कुछ काम की चीज़ें बीनती एक महिला

प्लास्टिक कचरा प्रबन्धन पर सरकारों को करने होंगे ज़्यादा प्रयास

जलवायु और पर्यावरण

प्लास्टिक कचरे को कम करने के लिए ऊँची उम्मीदों के बावजूद वास्तविकता के धरातल पर असरदार कार्रवाई’ के बीच में अब भी एक बड़ा अन्तर  बना हुआ है. संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) और 'फ़ूड इन्डस्ट्री एशिया'(FIA) ने मंगलवार को दक्षिण-पूर्व एशिया में उपभोक्ताओं और खाद्य व पेय व्यवसायों के एक क्षेत्रीय सर्वेक्षण के नतीजे जारी किये हैं जिसमें यह बात उजागर हुई है. पिछले कुछ महीनों में कोविड-19 महामारी के कारण कचरे में बढ़ोत्तरी के अलावा प्लास्टिक प्रदूषण की चुनौतियाँ भी बढ़ी हैं.

इस सर्वेक्षण के लिए उन पाँच देशों में उपभोक्ताओं और व्यवसायों को चुना गया था जो विश्व स्तर पर प्लास्टिक के समुद्री मलबे के शीर्ष 10 स्रोतों  में शामिल हैं – इंडोनेशिया, मलेशिया, फ़िलीपीन्स, थाईलैन्ड और वियतनाम.

एशिया और प्रशान्त क्षेत्र के लिए यूएन एजेन्सी के क्षेत्रीय निदेशक डेचेन शेरिंग ने कहा, "प्लास्टिक प्रदूषण दक्षिण-पूर्व एशिया के जल को प्रभावित कर रहा है."

''हमें समुद्रों को साफ़ करने और प्लास्टिक प्रदूषण को ख़त्म करने के लिए प्लास्टिक वैल्यू चेन में मूलभूत परिवर्तन की आवश्यकता है. सरकारें, व्यवसाय और उपभोक्ता - सभी को अपनी महत्वाकांक्षा बढ़ानी होगी और इस लक्ष्य को हासिल करने के अपने प्रयासों में सुधार करना होगा.”

इस सर्वेक्षण के प्रमुख निष्कर्ष इस प्रकार हैं:

- उपभोक्ता प्लास्टिक कचरे के प्रति चिन्तित तो हैं लेकिन अपनी आदतें बदलने को तैयार नहीं हैं.  91 फ़ीसदी उपभोक्ताओं ने सर्वे में प्लास्टिक कचरे के मुद्दे पर चिन्ता ज़ाहिर की लेकिन उनमें से आधे से कम उपभोक्ताओं द्वारा री-सायकिल की गई सामग्री के उत्पादों को ख़रीदने की कम सम्भावना है.

अब उपभोक्ता री-सायक्लिंग पर ध्यान देने लगे हैं. वैसे तो 54 प्रतिशत उपभोक्ता री-सायकिल करके अपने प्लास्टिक कचरे को उपयोगी उत्पादों में बदल रहे हैं, लेकिन 38 प्रतिशत ने अगले 12 से 18 महीनों में री-सायकिल करने की इच्छा ज़ाहिर की है. 

- व्यवसाय मानते हैं कि उनके मौजूदा प्रयास पर्याप्त नहीं हैं. 82 प्रतिशत व्यवसाय प्लास्टिक के कचरे के प्रबन्धन को लेकर चिन्तित हैं, लेकिन उनमें आधे से कम ही महसूस करते हैं कि उनके मौजूदा प्रयास समस्या को दूर करने के लिए काफ़ी हैं.

- व्यवसायों द्वारा प्लास्टिक कचरा प्रबन्धन के लक्ष्यों को मज़बूत करने की आवश्यकता है. सर्वेक्षण मे शामिल 80 प्रतिशत व्यवसाय प्लास्टिक कचरे के लिए लक्ष्य बनाए हैं लेकिन इनमें से एक तिहाई से भी कम इस पर जानकारी बाहर साझा करते हैं. 

प्लास्टिक कचरे को कम करने के व्यावसायिक लक्ष्यों में से 74 फ़ीसदी महज़ उसकी मात्रा पर केन्द्रित हैं. 59 प्रतिशत ने ही इसके लिए तय समय सीमा रखी है.

 - व्यवसाय अब भी प्लास्टिक कचरे के मुद्दों से निपटने के लिए उद्योगों के बीच सामंजस्य नहीं बना पाए हैं. पाँच देशों में आधे से अधिक व्यवसाय प्लास्टिक कचरे से निपटने वाले किसी भी समूह का हिस्सा नहीं हैं. यह आँकड़ा वियतनाम में 76 प्रतिशत और थाईलैन्ड में 24 प्रतिशत है.

- उपभोक्ता और व्यवसाय, दोनों ही सरकार से आगे की कार्रवाई की उम्मीद करते हैं. उपभोक्ताओं और व्यवसायों ने माना कि सरकारें प्लास्टिक कचरे से को लेकर चिन्तित हैं. सरकार की सबसे महत्वपूर्ण कार्रवाइयों में कचरा अलग किया जाना, कचरा एकत्र करने की प्रणालियों में बढ़ोत्तरी, उत्पादों की री-सायक्लिंग पर निरन्तर लेबलिंग सुनिश्चित करना और कूड़े-कचरे पर जुर्माना और शुल्क लगाना शामिल है.

पाँच देशों में सर्वेक्षण

यह सर्वेक्षण जनवरी से अप्रैल 2020 तक इन्डोशिया, मलेशिया, फ़िलीपीन्स, थाईलैन्ड और वियतनाम में किया गया था जिसमें इन देशों के दो हज़ार उपभोक्ता और 400 खाद्य व पेय व्यवसायों शामिल किये गए थे.

'फ़ूड इन्डस्ट्री एशिया' के कार्यकारी निदेशक मैट कोवैक ने कहा, "हम काफ़ी उत्साहित हैं कि कचरे से निपटने के लिए शहरों और समुदायों को समर्थन देने के लिए कम्पनियाँ एक साथ आ रहीं है.” 

“लेकिन सर्वेक्षण के अनुसार इन प्रयासों को बढ़ाने के लिए और भी अधिक व्यवसायों को एक साथ आने की आवश्यकता है. नीतियों, परियोजनाओं और वित्त-पोषण के बीच इस तरह तालमेल बैठाना होगा कि प्लास्टिक वैल्यू चेन में शामिल प्रमुख व्यवसाय एक बहुहितधारक दृष्टिकोण का निर्माण कर सकें.

उनके मुताबिक इससे व्यवसायों, उपभोक्ताओं और सरकारों को प्लास्टिक के लिए सर्कुलर अर्थव्यवस्था बनाने के समाधान खोजने में मदद मिलेगी.

यह लेख पहले यहाँ प्रकाशित हुआ.