अफ़ग़ानिस्तान में कोविड-19 के बावजूद स्वास्थ्य सेवाओं पर हमले घोर निन्दनीय
अफ़ग़ानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन (UNAMA) ने कहा है कि देश में कोविड-19 महामारी फैलने के दो महीने के भीतर स्वास्थ्य सेवाओं पर 15 हमले किए गए. रविवार को प्रकाशित एक ताज़ा रिपोर्ट में दिखाया गया है कि 11 मार्च और 23 मई के बीच हुए हमलों में किस तरह से स्वास्थ्यकर्मियों को निशाना बनाया गया और किस हद तक स्वास्थ्य सेवाओं को नुक़सान पहुँचा.
देश में 11 मार्च को ही कोविड-19 के संक्रमण का पहला मामला घोषित किया गया था और 23 मई को अफ़ग़ान सरकार और तालेबान के बीच तीन दिन का युद्धविराम शुरू हुआ था.
UN in #Afghanistan gravely concerned by recent deliberate attacks on healthcare personnel and facilities, especially in the context of the #COVID19 pandemic. Read more: https://t.co/FczYFcuqAw. pic.twitter.com/aagFkd7SZC
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अफ़ग़ानिस्तान के लिए संयुक्त राष्ट्र महासचिच की विशेष प्रतिनिधि और UNAMA की मुखिया डेबोराह लियोन्स का कहना था, “अफ़ग़ानिस्तान में जब हर एक व्यक्ति की ज़िन्दगी बचाने के लिए आपात स्तर पर मानवीय सहायता कार्रवाई की ज़रूरत थी, तो तालेबान और अफ़ग़ान राष्ट्रीय सुरक्षा बलों ने जानबूझकर हिंसक गतिविधियाँ कीं जनसे स्वास्थ्य सेवा अभियानों पर नकारात्मक असर पड़ा.”
“इस तरह की गतिविधियों के लिए कोई बहाना नहीं बनाया जा सकता; आम आबादी की सुरक्षा और बेहतरी हर क़ीमत पर प्राथमिकता होनी चाहिए.”
ज़्यादातर हमले इरादतन
रिपोर्ट में कहा गया है कि 12 हमले इरादतन और जानबूझकर किये गए, जबकि बाक़ी हमलों में परिस्थितिजनक नुक़सान शामिल था.
12 लक्षित हमलों में से 8 हमलों के लिए तालेबान को ज़िम्मेदार ठहराया गया.
तालेबान पर ही दो ऐसी घटनाओं का आरोप लगाया गया जिनमें परिस्थितिजनक नुक़सान हुआ था.
इन लगभग दो महीनों के दौरान चरमपंथी गुटों ने देश के 6 प्रान्तों व क्षेत्रों में 7 अलग-अलग घटनाओं में 23 स्वास्थ्यकर्मियों का अपहरण किया.
तालेबान ने 21 अप्रैल को ननगाहार प्रान्त में एक निजी फ़ार्मेसी में रिमोट से चलने वाली एक विस्फोटक सामग्री (आईईडी) से विस्फोट किया जिसमें आठ लोग घायल हुए, उनमें एक किशोर बालक और एक स्थानीय अस्पताल का एक डॉक्टर भी था.
अफ़ग़ान राष्ट्रीय बलों ने तीन इरादतन व लक्षित हमले किये, जबकि एक परिस्थितिजनक हमला और नुक़सान युद्धरत पक्षों के बीच झड़पों के कारण हुआ.
इस बीच राजधानी काबुल में 12 मई को एक जच्चा-बच्चा स्वास्थ्य केन्द्र पर हुआ भयावह हमला किसने किया था, इस बारे में अभी कोई ठोस जानकारी नहीं मिली है.
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार उस हमले में कम से कम 24 लोगों की मौत हुई थी.
युद्धविराम की पुकार
यूएन मिशन ने ध्यान दिलाते हुए कहा है कि स्वास्थ्य सेवाओं (अस्पताल व स्वास्थ्यकर्मी) पर इरादतन और लक्षित हमले किया जाना अन्तरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून के तहत प्रतिबन्धित है और इन्हें युद्धापराध भी माना जा सकता है.
अफ़ग़ान यूएन मिशन में मानवाधिकार प्रमुख फ़ियोना फ़्रेज़र का कहना था, “कोविड-19 महामारी के दौरान स्वास्थ्य सेवाओं पर जानबूझकर हमले किया जाना, घोर निन्दनीय है. ये ऐसा समय है जब स्वास्थ्य संसाधनों पर पहले से ही बहुत दबाव है और आम आबादी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है.”
यूएन मिशन ने स्वास्थ्य सेवाओं पर हुए सभी हमलों की निन्दा की है और संघर्षरत पक्षों का आहवान किया है कि वो यूएन महासचिव द्वारा महामारी के दौरान युद्धविराम लागू किए जाने की अपील का पालन करें.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार अफ़गानिस्तान में रविवार, 21 जून तक, कोविड-19 महामारी के संक्रमण के 29 हज़ार मामले सामने आ चुके थे जिनमें 581 लोगों की मौत भी हो चुकी थी.
यूएन मिशन का कहना है कि इस समय स्वास्थ्य सेवाओं का निर्बाध संचालन सुनिश्चित करने के अलावा कुछ और महत्वपूर्ण प्राथमिकता नहीं हो सकती.